Transformer kya hai | Transformer कैसे काम करता है

आज हम जानेंगे Transformer kya hai, Transformer कैसे काम करता है, ट्रांसफार्मर के कार्य, ट्रांसफार्मर कैसे बनता है, ट्रांसफार्मर का के भाग, ट्रांसफार्मर का उपयोग, ट्रांसफार्मर के फायदे, ट्रांसफार्मर के नुकसान और भी काफी कुछ टॉपिक्स के बारे में । रास्ते में आपने देखा होगा की ट्रांसफार्मर लगा होता है किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में देख लो वहाँ भी ट्रांसफार्मर लगा होता है । इसका उपयोग बहुत ज्यादा मात्रा में किया जाता है चाहे कोई चार्जर हो या फिर कोई अन्य उपकरण ।
बिना ट्रांसफार्मर के वे डिवाइस नहीं कर सकेंगे काम, अगर उसमें ट्रांसफार्मर ना लगा हो । ट्रांसफार्मर शब्द तो बहुत से लोगों ने सुना होगा । जिसमें से अधिकतर लोग जानते भी हैं कि Transformer kya hai और Transformer कैसे काम करता है । किन्तु अधिकतर बच्चे नहीं जानते हैं ट्रांसफार्मर के बारे में जो हम विस्तारपूर्वक जानने वाले हैं इस लेख में
Transformer kya hai
Transformer kya hai

Transformer kya hai

ट्रांसफार्मर एक ऐसा उपकरण है जो की बिजली की फ्रीक्वेंसी को बिना बदले वोल्टेज को बढ़ाने और घटाने का काम करता है और जबकि dc करंट पर यह काम नही करता और ना ही यह ac करंट को dc करंट में या dc करंट को ac करंट में बदलता है यह सिर्फ वोल्टेज और प्रोटेक्शन पर निर्भर करता है ।

इसका उपयोग किसी स्थान और ऐसे dc सर्किट में किया जाता है जहाँ पर ac पॉवर का इस्तेमाल होता है जैसे की चार्जर, टीवी, एम्पलीफायर इत्यादि । ट्रांसफार्मर जो की अलग-अलग आकार में आते हैं छोटे से लेकर बड़े तक और अलग-अलग काम के लिए ।

Transformer कैसे काम करता है

जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं की सबसे पहले बिजली प्राइमरी coil यानि की वाइंडिंग के अंदर जायेगी । बिजली का प्राइमरी coil के अंदर जाने से वहाँ उसी जगह पर इर्द-गिर्द मैग्नेटिक फील्ड यानि की चुंबकीय क्षेत्र कोर पैदा हो जाता जिससे है जब मैग्नेटिक फील्ड कोर की मदद से दूसरा coil वाइंडिंग इस मैग्नेटिक फील्ड के क्षेत्र में आ जाता है तब इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होने लग जाता है यानि की एक जगह से दूसरी जगह ac बिजली ट्रांसफर हो जाती है ।

Transformer kaise kaam karta hai
Transformer कैसे काम करता है


उदाहरण : चार्जर में ट्रांसफार्मर ही ac 240 वोल्ट को 5 वोल्ट में कन्वर्ट करता है फिर रेक्टिफायर (rectifier) की मदद से ac पॉवर को dc पॉवर में  बदल दिया जाता है फिर हम मोबाइल चार्ज कर लेते हैं । लेकिन रेक्टिफायर इसमें नहीं होता वो उपकरण के मुताबिक अलग से लगाना पड़ता है ।

ट्रांसफार्मर वोल्टेज कैसे कम करता है

वोल्टेज को कम करने के लिए सेकंडरी coil की टर्न कम कर दी जाती है प्राइमरी coil के मुकाबले । जिससे वोल्टेज कम हो जाता है लेकिन एक बात का जरूर ध्यान रखें जितनी वोल्टेज की मात्रा घटाते हैं उतनी ही मात्रा में एम्पिएर (amps) की मात्रा भी बढ़ जाती है ।

ट्रांसफार्मर वोल्टेज कैसे बढ़ाता है

वोल्टेज अधिक करने के लिए सेकंडरी coil की टर्न प्राइमरी coil ले तुलना में और बड़ा दी जाती है जिससे वोल्टेज हमें इनपुट वोल्टेज के मुकाबले अधिक मिलती है । अधिक वोल्टेज करने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है की इससे पॉवर लोस कम से कम होता है यानि की बिजली अधिक मात्रा में व्यर्थ नहीं जाती है ।

ट्रांसफार्मर से दूर तक बिजली की सप्लाई कैसे होती है

अगर हम बात करें जहां से बिजली बनायी जाती है या उत्तपन्न होती है वहां से लेकर जब हमारे घर तक बिजली की सप्लाई की जाती है तब हमारे घर में सही वोल्टेज यानि की पर्याप्त बिजली नहीं पहुंच पाती क्योंकि पॉवर प्लांट से लेकर घर तक बिजली पहुंचते-पहुंचते वोल्टेज कम होता जाता है क्योंकि तारों का जाल बहुत मात्रा में दूर-दूर तक फैलाया जाता हर एक घर को बिजली देने के लिए है ।

पॉवर प्लांट से घर तक का फासला हज़ारों किलोमीटर का होता है । इसीलिए ट्रांसफार्मर को पहले पॉवर प्लांट में लगाया जाता है जहाँ से वोल्टेज पहले बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ा दिया जाता है और घर के नजदीक पहुंचने से पहले ही वोल्टेज घटा कर ac 240 वोल्ट कर दिया जाता है फिर हमारे घर में वही बिजली की सप्लाई होती है । वोल्टेज अधिक होने से अगर दूर तक बिजली भेजी जाए तो वोल्टेज कम होने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है और इससे पॉवर का लॉस भी कम होता है ।

नोट :

अगर वोल्टेज अधिक करके बिजली भेजें तब बिजली का वोल्टेज जल्दी कम नहीं होते अगर वोल्टेज यानि की ac 240 पॉवर प्लांट से आपके घर तक भेजें तब पॉवर आपके घर में बहुत कम पहुंचेगा जिससे पॉवर का लॉस अधिक होता है । याद रखिये जितना अधिक वोल्टेज बढ़ाया जायेगा उतना कम पॉवर का लॉस होगा और उतना ही वोल्टेज की मात्रा कम नहीं होगी ।

ट्रांसफार्मर कैसे बनता है

सबसे पहले कोर होते हैं जो की एल्युमीनियम से बने होते हैं जिसका आकार चौरस जैसा होता है । इसके दोनों तरफ आमने-सामने coil लगायी जाती है जो की ताम्बे से बनी तार होती है जिसे कोर के इर्द-गिर्द दोनों तरफ लपेटी जाती है । लपेटने से पहले विद्युत्-रोधी कागज़ लगाया जाता है ताकि तार एलुमिनियम कोर के साथ और दूसरी कोर के साथ ना लगे । जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं ।

Parts of transformer in hindi, how transformers are made in hindi
Parts of transformer in hindi

ट्रांसफार्मर के भाग :

ट्रांसफार्मर को बनाने के लिए एक नहीं बल्कि कुछ पार्ट्स की ही जरूरत पड़ती है और उन सभी पार्ट्स को मिलाकर ही एक ट्रांसफार्मर होता है तैयार और उन सभी पार्ट्स के नाम हमने एक-एक करके बारी-बारी से समझाया है जैसे की :
  • कोर :

यह एल्युमीनियम से बनी होती है जिसका साइज़ दो कागज़ के बराबर मोटा होता है जिसे एक के ऊपर रख-रख कर बनाया जाता है । इसको चौरस आकार का बनाया जाता है । इसमें एल्युमीनियम का इस्तेमाल इसीलिए किया जाता है ताकि ट्रांसफार्मर अधिक गर्म ना हो । जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं ।

  • वाइंडिंग :

वाइंडिंग जो की coil होती है यानि की कॉपर वायर को लपेटा जाता है इसी को वाइंडिंग कहा जाता है । कॉपर की वायर को कोर के ऊपर लपेटने से पहले कोर के इर्द-गिर्द स्पैशल कागज़ लगा दिया जाता है ताकि तार कोर के साथ ना लगे । जिसमें से एक प्राइमरी वाइंडिंग और दूसरा सेकंडरी वाइंडिंग का नाम दिया गया है । जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं ।

    • प्राइमरी वाइंडिंग :

प्राइमरी वाइंडिंग में से ac पॉवर 240 वोल्ट अंदर जाता है उसे प्राइमरी वाइंडिंग कहा जाता है ।

    • सेकंडरी वाइंडिंग :

जिस वाइंडिंग से हमें आउटपुट (बाहर) पॉवर मिलती यानि की बिजली बाहर आती है उसे सेकंडरी वाइंडिंग कहा जाता है ।

  • तेल :

बड़े-बड़े ट्रांसफार्मर में तेल का भी इस्तेमाल किया जाता है ताकि ट्रांसफार्मर कम से कम गर्म हो । छोटे ट्रांसफार्मर में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता । जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं ।

  • टँकी :

बड़े-बड़े ट्रांसफार्मर में टँकी भी लगी होती है । जब ट्रांसफार्मर में लोड अधिक बढ़ जाता है तब तेल अधिक गर्म होने से टँकी में चला जाता है जिससे तेल का तापमान सामान्य हो जाता है ।

  • कागज़ :

इसमें स्पेशल विद्युत-रोधी कागज़ का इस्तेमाल किया जाता है जिसे दो coil के बीच में लगाया जाता है और कॉपर वायर लपेटने से पहले, ताकि coil की तार एक दूसरे के साथ ना लगे और coil के ऊपर भी कागज़ लगाया जाता है जिससे coil या फिर वाइंडिंग सुरक्षित रहे ।

नोट :

ट्रांसफार्मर जिसमें से एक बिल्कुल छोटे आकार का होता है जिसका उपयोग छोटे उपकरणों के अंदर होता है जैसे कि चार्जर, इन्वर्टर इत्यादि । इस तरह के ट्रांसफार्मर में तेल, टंकी जैसे कई पार्ट्स नहीं होते । जबकि बड़े आकार के ट्रांसफार्मर जो सड़कों में दिखते हैं उनमें काफी कुछ होता है जैसे कि तेल टंकी इत्यादि । छोटे एयर बड़े आकार के ट्रांसफार्मर में सबसे बड़ा अंतर यही होता है जोकि आपको ध्यान देना चाहिए ।

ट्रांसफार्मर की खोज किसने की

ट्रांसफार्मर चाहे कोई भी हो यह फैराडे लॉ के मैग्नेटिक फिल्ड (Farady’s Law of magnetic field) के सिद्धान्त पर कार्य करता है क्योंकि ट्रांसफार्मर का अविष्कार माइकल फैराडे सन् 1831 में ब्रिटेन में किया था और इस तकनीक का उपयोग आज भी काफी मात्रा में किया जा रहा है । इसके बिना बिजली की सप्लाई दूर-दूर तक करना मुमकिन नहीं है 

ट्रांसफार्मर का उपयोग

ट्रांसफार्मर का उपयोग यानि की इसका इस्तेमाल आज में काफी अधिक मात्रा किया जाता है जिस-जिस भी उपकरणों में ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है उन उपकरणों के नाम नीचे दिए अनुसार है :
इसके आलावा भी बहुत से उपकरणों में ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है और उपकरण तो बहुत सारे हैं हैं जबकि मैंने आपको कुछ ही उपकरणों के नाम बताये हैं ताकि आपको पता चल सके ।

ट्रांसफार्मर की कीमत कितनी होती है

ट्रांसफार्मर की कीमत निर्भर करती है ट्रांसफार्मर के आकार के उपर । जैसे की अगर आप कम वोल्टेज पर काम करने के लिए ट्रांसफार्मर लेना चाहते हैं तो उसका आकार भी छोटा ही होगा जिससे ट्रांसफार्मर की कीमत भी कम ही होती है । आज के समय में साइंस के लिए कोई प्रोजेक्ट्स अगर आप बनाना चाहते हैं तो इसके आपके लिए अधिक से अधिक 12 वोल्टेज वाले ट्रांसफार्मर की ही जरुरत पड़ सकती है, जिसकी कीमत भी तकरीबन 100 रूपए से शुरू हो जाती है और इससे अधिक वोल्टेज वाले ट्रांसफार्मर की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी ।

नोट :

लेकिन मार्किट में और ऑनलाइन ट्रांसफार्मर खरीदने से पहले इसका भी आप जरुर ध्यान रखें की ट्रांसफार्मर के प्रकार कई होते हैं और उनमें से आपको सिर्फ दो ही ट्रांसफार्मर की जरूरत पड़ सकती है जैसे की स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर और स्टेप अप ट्रांसफार्मर 

ट्रांसफार्मर से कितना वोल्टेज बढ़ा सकते हैं :

ट्रांसफॉर्मर के ऊपर डिपेंड करता है की उसमें coil की कितनी टर्न दी गयी है वैसे तो ट्रांसफार्मर ac 240 वोल्ट को 3300 वोल्ट तक या इससे भी अधिक बढ़ा सकता है । वोल्टेज के बढ़ने के साथ-साथ करंट (amps) भी कम होता जाता है ।

नोट :

जैसे-जैसे वोल्टेज बढ़ाते जायेंगे वैसे-वैसे करंट (amps) भी कम होता जाएगा ठीक वैसे ही जैसे-जैसे वोल्टेज कम करते जायेंगे वैसे-वैसे करंट (amps) भी बढ़ता जाएगा ।

शहरों में कौन से ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है :

स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर का उपयोग गलियों, शहरों और गांवों में किया जाता है हर घरों को बिजली देने के लिए । इसे डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है क्योंकि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर कम बिजली की सप्लाई करता है ।

पॉवर प्लांट में कौन सा ट्रांसफार्मर प्रयोग में लिया जाता है :

पॉवर प्लांट में स्टेप-अप ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है  क्योंकि दूर तक बिजली पहुंचाने के लिए वोल्टेज बढ़ा दिया जाता है और जहाँ बिजली सप्लाई करनी हो यानी कि घरों को बिजली देनी हो तब स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर की मदद से घटा दिया जाता है ।

Transformer के फायदे

  1. इसकी मदद से हम वोल्टेज को बढ़ा या घटा सकते हैं ।
  2. इसका उपयोग टीवी, रेडीओ, चार्जर और भी कई उपकरणों में किया जाता है ।
  3. पॉवर का लॉस कम होता है यानि की आप हज़ारों किलो-मीटर दूर तक बिजली की सप्लाई कर सकते हैं जिससे बिजली पर्याप्त और बिना किसी रुकावट के पहुंच जाती है ।
  4. सर्किट सुरक्षित रहता है जब वोल्टेज ऊपर नीचे होता है तब ।

Transformer के नुकसान

  1. यह dc बिजली यानि की dc पॉवर पर काम नहीं करता । यह सिर्फ ac बिजली पर ही काम करता है ।

मेरी राय :

इस आर्टिकल में सबसे मुख्य सवाल को ही सबसे पहले कवर किया है जिसके बारे में जानना सभी के लिए जरूरी होता है जैसे कि । Transformer kya hai और Transformer कैसे काम करता है । ये दोनों ही सवाल काफी जरूरी थी जो अक्सर पेपरों में पूछे जा सकते हैं जब इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में सवाल पूछा जाता है तब इसके अलावा हमने अन्य भी सवालों के जवाब भी इस आर्टिकल अच्छे से बताया है जैसे कि ट्रांसफार्मर के भाग कौन-कौन से होते हैं, ट्रांसफार्मर का उपयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है, ट्रांसफार्मर के कार्य क्या हैं और भी कई सारे जवाब

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