Capacitor kya hai, कैपेसिटर एक पैसिव इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट है जो कि कुछ ही मात्रा में विधुत को थोड़े ही समय में अपने अंदर जमा करके रखता है । जिसका आकार गोल या चपटा होता है जिसमें से दो टर्मिनल बाहर निकलते हैं उस टर्मिनल में से विधुत धारा प्रवाहित करने से ही कैपेसिटर काम करता है । यह बहुत छोटे होते हैं जिससे किसी भी सर्किट में यह आसानी से आ जाते हैं और इसकी कीमत भी काफी कम होती है । तो चलिए अब हम जानेंगे अच्छी तरीके से की कैपेसिटर क्या है, कैपेसिटर कैसे काम करता है और कैपेसिटर के प्रकार के बारे में ।
इस आर्टिकल को पढ़ लेने से आपकी काफी सारी प्रोब्लम्स भी दूर होने वाली कैपासिटर को लेकर । पहले आपको “Capacitor क्या है” इसके बारे में जानना चाहिए, उसके बाद ही आपको ये जानना चाहिए की “Capacitor कैसे काम करता है” । जिससे आप कैपासिटर के बारे में सही तरीके से जान पाएंगे ।
Capacitor क्या है |
What is Capacitor in hindi | Capacitor क्या है :
विधुत को साफ करने और विधुत कम करने वाले पार्ट को ही कैपेसिटर कहते हैं । कैपेसिटर बहुत प्रकार के आते हैं कुछ कैपेसिटर का इस्तेमाल अलग जगह में किया जाता है और कुछ कैपेसिटर का इस्तेमाल स्पेशल कामों के लिए किया जाता है और कुछ कैपेसिटर की अपनी ही खासियत होती है । कैपेसिटर का काम बिना विधुत धारा व्यर्थ करके वोल्टेज को कम करना, किसी सर्किट या फिर मोटर ( DC मोटर, BLDC मोटर और AC मोटर ) को पॉवर बूस्टर देना, ac या dc विधुत धारा को ब्लॉक करना, फ्लक्चुएशन को कंट्रोल यानी की विधुत को कांस्टेंट करना और पॉवर सप्लाई को स्मूथली से भेजना होता है बिना किसी रुकावट के ।
विधुत धारा को फ़िल्टर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है । जैसे पानी को फ़िल्टर करने के लिए वॉटर प्योरीफायर लगाया जाता है वैसे ही कैपेसिटर का इस्तेमाल सर्किट में साफ विधुत धारा देने के लिए किया जाता है इससे बाहर से आ रहे रिपल्स यानी कि कचरा अंदर नहीं जाने देता । “Capacitor क्या होता है” ये जानने के बाद अब हम जानेंगे की कैपासिटर कैसे काम करता है ।
Capacitor कैसे काम करता है :
कैपेसिटर के अंदर दो प्लेटें लगी होती है जिसे कैथोड और एनोड कहा जाता है और बीच में डाई इलेक्ट्रिक मटेरियल पाया जाता है जो दोनों प्लेटों को आपस मे जोड़ने से रोकता है । चित्र के अनुसार हमने कैपेसिटर को बैटरी के साथ कनेक्ट किया है जिससे बैटरी से पॉवर कैपेसिटर के पॉजिटिव टर्मिनल में जाता है जिससे कैपेसिटर की एक प्लेट में इलेक्ट्रॉन्स जब अधिक जमा हो जाते हैं तब उसमें से मैग्नेटिक फील्ड उतपन्न होता है जिससे पॉवर एक प्लेट से दूसरी प्लेट में प्रवाहित होने से दूसरी प्लेट में भी इलेक्ट्रॉन्स जमा होने लगते हैं जिससे कैपेसिटर चार्ज हो जाता है । कैपेसिटर चार्ज हो जाने के बाद अगर हम इस कैपेसिटर से बल्ब जोड़ेंगे तो बल्ब कुछ सेकंड चलने के बाद ही बन्द हो जाएगा यानी कि कैपेसिटर खाली हो जाएगा । कैपेसिटर का उपयोग आप इस चित्र को भी समझ के कर सकते हैं ।
Capacitor working in hindi |
अगर आप 50 वॉल्ट का कैपेसिटर लेता हैं तो इसका मतलब यह होता है कि वह कैपेसिटर 50 वॉल्ट तक कि विधुत धारा पर काम कर सकता है यानी कि अपने अंदर विधुत जमा कर सकता है । चाहे आप 10 वॉल्ट दो या फिर 15 वह काम करेगा । जितने वॉल्ट आप कैपेसिटर को देंगे उतना ही वोल्टेज उसमें जमा रहेगा । अगर आप 50 वॉल्ट का कैपेसिटर लेकर उसे 60 वॉल्ट देंगे तो इससे कैपेसिटर ब्लास्ट या खराब हो जाएगा । इसीलिए जितने वोल्टेज की मात्रा कैपेसिटर में लिखी होती है उस वोल्टेज तक कि विधुत धारा के अंदर यह काम करता है ।
नोट :
कैपेसिटर मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं जो ac और dc अलग-अलग विधुत धारा से चलते हैं और दोनों के काम करने का अंतर थोड़ा सा होते है । हमने उपर की तरफ DC और AC कैपेसिटर के बारे में बताया है ताकि आपको अच्छी तरह से समझ आ जाये ।
- जानिए कैपेसिटर के प्रकार
Capacitor का उपयोग :
- कैपेसिटर का इस्तेमाल विधुत धारा को फ़िल्टर करने के लिए किया जाता है जैसे पानी को फ़िल्टर करने के लिए हम घर मे वाटर प्योरीफायर लगाते हैं ठीक वैसे ही सर्किट में विधुत धारा के अंदर विधुत के आने से कुछ रिपल्स भी साथ में आते हैं रिपल्स यानी कि एक तरह से कचरा । उस कचरे को सर्किट के अंदर जाने से रोकने के लिए कैपेसिटर का इस्तेमाल किया जाता है ।
- Ac विधुत या dc विधुत धारा को ब्लॉक करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसमें कनेक्शन का ध्यान रखना पड़ता है और कैपेसिटर के प्रकार का भी ।
- वोल्टेज को घटाने के लिए और विधुत व्यर्थ किये बिना भी कैपेसिटर का इस्तेमाल किया जाता है ।
- फैन को या फिर किसी सर्किट को पॉवर बूस्टर देने के लिए भी कैपेसिटर का इस्तेमाल किया जाता है ।
- विधुत धारा एक सेकंड में 50 से 60 बार चालू और बन्द होती है इसे कांस्टेंट करने के लिए भी कैपेसिटर का उपयोग किया जाता है ।
Capacitance क्या है :
कैपासिटेंस जिसे कैपेसिटी कहा जाता है । किसी कैपेसिटर में कितनी कितनी मात्रा में एनर्जी जमा हो सकती है उसे कैपासिटेंस से मापा जाता है जैसे कैपेसिटर के ऊपर उसकी डीटेल्स लिखी होती है उस डिटेल की वजह से ही हमें पता चलता है कि उस कैपेसिटर की कैपासिटेंस वैल्यू कितनी है या कितनी मात्रा में वह कैपेसिटर अपने अंदर विधुत धारा को जमा करके रख सकता है ।
Capacitor की कैपेसिटी कैसे बढ़ती है :
जितना बड़ा कैपेसिटर होगा उतनी ही ज्यादा उसके अंदर विधुत को जमा करने के क्षमता ज्यादा होगी । कैपेसिटर की प्लेट को अगर छोटी होगी तो उसमें विधुत जमा कम होगा अगर प्लेट बड़ी होगी तो उसमें विधुत अधिक मात्रा में जमा होगा । इसके बाद दोनों प्लेटें जितनी अधिक नजदीक होंगी उतना ही कैपेसिटर सही रहेगा और अच्छी तरह से काम करेगा ।
Capacitor किसका बना होता है :
कैपेसिटर के अंदर दो प्लेटें होती हैं जो कि मेटल की किसी भी चीज़ की बनाई हो सकती है । दोनों प्लेटों को नाम एनोड और कैथोड होता है । बीच मे डाई इलेक्ट्रिक पदार्थ डाला जाता है ताकि दोनों प्लेटें आपस में ना जुड़े ।
Material is use in capacitor in hindi |
डाई इलेक्ट्रिक पदार्थ वो होता है जो विधुत को प्रवाहित नहीं होने देता जैसे कि प्लास्टिक, रबड़ इत्यादि । इसके बाद इसके ऊपर इसे स्पेशल प्लास्टिक से ढका जाता है ताकि अधिक गर्म होने के बाद प्लास्टिक ना पिघले ।
Capacitor का अविष्कार किसने किया :
कैपेसिटर का अविष्कार तो दो वैज्ञानिकों की मदद से हो पाई थी जिसका नाम है Ewald Georg Von Kleist और Pieter Van Musschenbroek ने की थी लेकिन इसका सबसे बड़ा Pieter Van Musschenbroek श्रेय को ही जाता है जिन्होंने इसकी खोज सबसे पहले की थी । इसके आलावा कुछ कैपेसिटर के अंदर आने वाले कुछ प्रकार ऐसे भी हैं जिसकी खोज अलग-अलग वैज्ञानिकों की मदद से हो पाई थी । जैसे की इलेक्ट्रोल्यटिक कैपेसिटर की खोज की थी Charless Pollak ने की थी ।
Capacitor को किससे मापा जाता है :
कैपेसिटर को फैरड (farad) से मापा जाता है फैराडे का नाम पड़ा उससे. जिसने कैपेसिटर को बनाया था उसका नाम माइकल फैराडे (Michael farady) है उसी का नाम इस कैपेसिटर में पड़ा । एक फैरड में दस लाख माइक्रो फैरड होते हैं वैसे ही 1 माइक्रो फैरड में एक हज़ार नैनो फैरड और एक नैनो फैरड में दस लाख पिको फैरड होते हैं ।
Capacitor value chart in hindi |
फैरड बहुत बड़ी वैल्यू होती है और इस वैल्यू वाले कैपेसिटर का उपयोग बहुत बड़ी मशीनों में किया जाता है । आम तौर पर पिको फैरड से लेकर नैनो फैरड तक के कैपेसिटर का इस्तेमाल अधिक किया जाता है ।
Check died capacitor in hindi | खराब कैपेसिटर को कैसे पहचाने :
किसी सर्किट में खराब कैपेसिटर को पहचानने के लिए की टिप्स है । कैपेसिटर अगर ऊपर से फुला हुआ है तो इसका मतलब कैपेसिटर खराब है । मल्टीमीटर की मदद से चैक करने के लिए आप मल्टीमीटर को पॉइंटर में सेलेक्ट कर लें । इसके बाद मल्टीमीटर के दोनों तारों को कैपेसिटर के दोनों टर्मिनलों के साथ कनेक्ट करें । मल्टीमीटर की डिस्प्ले में अगर कुछ नंबर चलते आ रहे हैं और मल्टीमीटर में से बीप की आवाज आ रही है तो इसका मतलब मल्टीमीटर खराब है ।
कैपेसिटर और बैटरी में अंतर :
कैपेसिटर एक बैटरी की तरह ही काम करता है जैसे बैटरी चार्ज होती है वैसे ही ये कैपेसिटर चार्ज होते हैं बस इसमें अंतर यही होता है कि बैटरी लंबे समय तक और अधिक मात्रा में विधुत को जमा करके रख सकती है जबकि कैपेसिटर बहुत कम मात्रा में और कम समय में ही विधुत धारा को अपने अंदर जमा करके रख सकती है । जब बात आती है डिसचार्जिंग की तो बैटरी काफी देर बाद ही खाली होती है जबकि कैपेसिटर बहुत ही जल्दी कुछ सेकंडों में खाली हो जाते हैं । यही इन दोनों में अंतर होता है ।
Capacitor के फायदे :
- बहुत कम मात्रा में ही विधुत धारा व्यर्थ जाता है ।
- वोल्टेज को कम कर सकता है वो भी कम मात्रा में विधुत धारा व्यर्थ करके ।
- विधुत को फ़िल्टर करता है । ताकि साफ यानी कि बिना कचरे वाली विधुत धारा ही सर्किट को मिले ।
- Ac ( अल्टरनेटिव करंट ) या dc ( डायरेक्ट करंट ) विधुत धारा को ब्लॉक कर सकता है ।
- सर्किट या मोटर को तेजी से स्टार्ट करने या पॉवर बूस्टर देने के लिए ।
- विधुत धारा को कांस्टेंट रखता है ।
कैपासिटर के बारे में मेरी राय :
कैपासिटर के बारे में हमने आपको काफी कुछ सिखाया इस आर्टिकल में जैसे की “Capacitor क्या है” और “Capacitor कैसे काम करता है” । कैपासिटर आज के समय में इतना जरूरी हो गया है की इसके बिना अधिकतर उपकरण काम नहीं कर सकते, इसीलिए हमने आपको यहाँ पर कैपासिटर के बारे में जोतना हो सके उतना सिखाया और मुझे पूरा विश्वास है की अब आपको “Capacitor क्या है” और “Capacitor कैसे काम करता है” के बारे में कहीं से जानने की जरूरत नहीं पड़ने वाली है ।