DC करंट क्या है | DC करंट कैसे काम करता है

DC करंट जिसे इलेक्ट्रिसिटी कहा जाता है जो की बिजली ही होती है जिसकी मदद से हम इलेक्ट्रॉनिक के उपकरणों को चला सकते हैं जिसका उपयोग अधिकतर किया जाता है । 70 से 80 प्रतिशत ऐसे उपकरण होते हैं जो की सिर्फ DC करंट पर ही चलते है । DC करंट के बारे में कम और AC करंट के बारे में जानकारी अधिक होती है क्योंकि ac करंट को सप्लाई के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है जबकि उपकरण अधिकतर DC करंट पर ही चलते हैं । तो चलिए अब जानते हैं की DC करंट क्या है और DC करंट कैसे काम करता है

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DC current in hindi | DC करंट क्या होता है :

DC करंट का पूरा नाम डायरेक्ट करंट होता है । जो विधुत हमें डायरेक्ट मिलता है या जो विधुत एक ही दिशा में आगे बहता है । जिससे DC करंट की या उसकी उसकी फ्रीक्वेंसी की हर्ट्ज़ 0 होती है उसे dc करंट कहा जाता है । DC करंट की खासियत यही होती है की यह एक ही दिशा में आगे बहता है और इसे हम बैटरी में या किसी उपकरण में जमा करके रख सकते हैं । DC करंट जो हमेशा कांस्टेंट ही होता है यानि की यह ac करंट की तरह अपनी दिशा बार-बार चेंज ऊपर-नीचे नहीं होता । DC करंट के बारे में तो आपने कुछ जानकारी तो ले ली और अब आगे आप जानेंगे की DC करंट कैसे काम करता है

DC करंट की खोज किसने की :

सबसे पहले dc बिजली ही बनायी गयी थी । महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन जिन्होंने dc करंट की खोज की थी यानि की शुरुआत की थी । जिसकी मदद से आज हम इलेक्ट्रॉनिक के उपकरणों को चला पाते हैं । लेकिन dc करंट की खोज करने के बाद भी उस समय थॉमस एडिसन को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा था । सबसे बड़ी dc करंट की कमी यही थी की इसको हम 2 किलोमीटर से अधिक की दुरी तक भेज नहीं सकते थे । यानि की जिस जगह पर dc जनरेटर स्थापित होता था उस 2 किलोमीटर के दायरे के अंदर ही पॉवर की सप्लाई हो पाती थी । इसका मतलब यही हुआ की हर 10 किलोमीटर के क्षेत्र में पॉवर सप्लाई भेजने के लिए 5 dc जनरेटर लगाने पड़ेंगे जिसमें काफी खर्चा आ जाता है । यही प्रॉब्लम निकोला टेसले ने दूर की जिन्होंने ac विधुत की खोज की जिसकी मदद से दूर तक पॉवर सप्लाई हो पाती थी । लेकिन 70 से 80 प्रतिशत उपकरण ऐसे हैं जो ac विधुत पर काम नहीं करते हैं, वो सिर्फ dc विधुत पर ही चल पाते हैं ।
 

DC working in hindi | DC करंट कैसे काम करता है :

Dc करंट का पॉजिटिव टर्मिनल हमेशा आगे बढ़ता है और नेगेटिव टर्मिनल में जा कर अपना एक साइकिल या चक्कर पूरा करता है ।

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चित्र के अनुसार अगर हम बल्ब को जगाते हैं तो बैटरी का पॉजिटिव टर्मिनल बल्ब के पॉजिटिव टर्मिनल से और बैटरी का नेगेटिव टर्मिनल बल्ब के नेगेटिव टर्मिनल से जोड़ने पर ही बल्ब जगेगा । इससे बैटरी के इलेक्ट्रॉन्स पॉजिटिव सिरे से बाहर निकल कर बल्ब से होते हुए बैटरी के नेगेटिव सिरे से अंदर जा कर चक्कर पूरा करते हैं जिससे बल्ब जगता है । अगर हम बैटरी का कनेक्शन उल्टा करके बल्ब से कनेक्ट करेंगे यानि बैटरी के नेगेटिव सिरे को बल्ब के पॉजिटिव सिरे से और बैटरी के पॉजिटिव सिरे को बल्ब के नेगेटिव सिरे से जोड़ने पर बल्ब नहीं जगेगा ।

Dc करंट में पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल का खास ध्यान रखना पड़ता है । क्योंकि इसका बार-बार पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल चेंज नहीं होता । पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल तब चेंज होते हैं जब dc जनरेटर को अलग दिशा में घुमाया जाये ।

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जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं अगर dc जनरेटर को दायें से बाएं तरफ घुमाएंगे तो उसका a टर्मिनल पॉजिटिव टर्मिनल बनेगा और b टर्मिनल नेगेटिव बनेगा और अगर dc जनरेटर को बाएं से दायें तरफ घुमाते हैं तो a टर्मिनल नेगेटिव और b टर्मिनल पॉजिटिव बनेगा । जब एक बार जनरेटर जिस दिशा में घुमा दिया जाता है तो उसके बाद उसका पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल फिक्स्ड ही रहते हैं तब तक फिक्स्ड रहते हैं जब तक हम उसको रोककर उसे अलग दिशा में ना घुमा दें ।

DC करंट कांस्टेंट क्यों होता है :

कांस्टेंट का मतलब होता है ऊपर नीचे का ना होना और एक समान होना । Dc करंट हमेशा कांस्टेंट रहता है ये तो आपको पता चल गया होगा । लेकिन कांस्टेंट रहने का मुख्य कारण यही होता है की dc करंट अपनी दिशा बार-बार चेंज नहीं करता समय में बार-बार बन्द और चालू नहीं होता जिससे dc करंट कांस्टेंट रहता है । बैटरी में से जो विधुत बाहर निकलता है वह कांस्टेंट होता है

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लेकिन dc जनरेटर में से निकला हुआ करंट थोड़ा सा ऊपर नीचे हो जाता है क्योंकि उसके अंदर coil घूमने से उसका टर्मिनल एक तार से जुड़कर उसके बाद हटकर फिर दूसरी तार से जुड़ता है और दूसरी तार से हटकर फिर पहली तार से जुड़ता है जिससे बीच में जब तार हट जाती है उस समय उसका करंट थोड़ा सा कम हो जाता है । जो विधुत या करंट बार-बार अपनी दिशा चेंज करते हैं वह करंट कांस्टेंट नहीं रहता क्योंकि दिशा बदलने से विधुत बन्द जरूर होता है जिससे वोल्टेज का लेवल भी 0 हो जाता है ।

नोट :

जब किसी उपकरण को चलाना होता है तो उसमें यह देखा जाता है की कौन सा टर्मिनल पॉजिटिव और कौन सा टर्मिनल नेगेटिव है । इसके बाद ही dc करंट की पॉजिटिव तार को उपकरण के पॉजिटिव टर्मिनल से और dc करंट की नेगेटिव तार को उपकरण के नेगेटिव टर्मिनल से जोड़ना पड़ता है जिससे उपकरण लगातार चलता रहता है ।

क्या DC करंट बैटरी चार्ज कर सकती है :

यह बात बिल्कुल सही है कि dc करंट बैटरी को चार्ज करता है यानी कि करंट को हम बैटरी में जमा करके रख सकते हैं । वही विधुत बैटरी को चार्ज कर सकता है जिस विधुत के बहने की दिशा एक जैसी ही होती है या बार-बार चेंज नहीं होती है । बैटरी को चार्ज करने के लगातर करंट भेजने की आवश्कयता होती वो भी एक ही दिशा में । dc करंट का पॉजिटिव टर्मिनल और नेगेटिव टर्मिनल हमेशा फिक्स्ड ही होता है । जिससे जब dc करंट के पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल को बैटरी के पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल से जोड़ते हैं तो इससे dc करंट का पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स बैटरी के पॉजिटिव टर्मिनल से जाते हुए नेगेटिव टर्मिनल से बाहर निकल कर वापिस dc करंट के नेगेटिव टर्मिनल में जा कर अपना एक चक्कर पूरा करते हैं जिससे बैटरी चार्ज होने लगती है ।

DC करंट में कितने हर्ट्ज होते हैं :

Ac करंट में तो हर्ट्ज 50 से 60 होते हैं लेकिन dc करंट में हर्ट्ज की वैल्यू 0 होती है क्योंकि dc करंट बार-बार अपनी दिशा नहीं बदलता और यह एक ही दिशा में आगे बढ़ता रहता है यानी कि इसका करंट हमेशा कांस्टेंट रहता है ।

Advantages of DC current in hindi | DC करंट के फायदे :

  1. Dc करंट एक ही दिशा में आगे बढ़ता है यानी कि इसकी दिशा बार-बार चेंज नहीं होती ।
  2. ज्यादातर 70 से 80 प्रतिशत उपकरण जो कि dc करंट पर ही चलते हैं ।
  3. इसको हम बैटरी में जमा करके रख सकते हैं ।
  4. इसका करंट हमेशा कांस्टेंट रहता है ।

Disdvantages of DC current in hindi | DC करंट के नुकसान :

  1. Dc करंट की सप्लाई दूर तक नहीं हो पाती । यानी कि 2 किलोमीटर जगह के अंदर ही dc करंट की सप्लाई अच्छी तरह से हो पाती है इससे अधिक करने से वोल्टेज बहुत कम हो जाते हैं ।
  2. पॉवर का लॉस अधिक होता है ।
  3. Dc करंट जो कि काम नहीं कर सकते ट्रांसफार्मरों पर यानी ट्रांसफार्मर इस करंट से चलता ही नहीं ।
  4. इस dc करंट का उपयोग हम नहीं कर सकते उन उपकरणों पर जो बहुत अधिक वोल्टेज पर चलते हैं ।

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