इंडक्टर जिसका इस्तेमाल हर dc सर्किट में किया जाता है । इसके उपयोग के बिना सर्किट में पॉवर सप्लाई कांस्टेंट नहीं रहती । जिस सर्किट में dc पॉवर सप्लाई दी जाती है वहाँ इंडक्टर का उपयोग किया जाता है तो चलिये अब हम जानते हैं कि इंडक्टर क्या है और इंडक्टर कैसे काम करता है ।
Inductor in hindi | इंडक्टर क्या है :
इंडक्टर जो कि तांबे की तार से ही बना होता है । इसमें विधुत धारा प्रवाहित करने पर यह विधुत धारा को कांस्टेंट मात्रा में आगे बढ़ने देता है । कांस्टेंट यानी कि फिक्स्ड । बैटरी में से निकला हुआ करंट कांस्टेंट ही होता है लेकिन dc जनरेटर में से या किसी उपकरण में से तैयार किया हुआ विधुुुत कई बार एक समान नहीं आता औऱ एक सेकंड में कई बार विधुत धारा ऊपर नीचे होती रहती है । मोटर लगातार चलता रहे और सर्किट में लगातार कांस्टेंट विधुत जाता रहे इसीलिए इंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है ।
थोड़ी दूरी तक सिग्नल भेजने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है । दूसरा यह विधुत धारा को एक सर्किट से दूसरे सर्किट में बिना किसी तार के भेज सकते हैं जिसे वायर-लेस तकनीक कहा जाता है । आगे हम इन दोनों का प्रैक्टिकल टेस्ट करके बताएंगे कि इंडक्टर कैसे काम करता है । तीसरा यह dc विधुत को ही आगे जाने देता है और ac वोल्टेज पर यह इंडक्टर काम नहीं करता है और इसका कारण आप आगे की तरफ जान जायेंगे और यह विधुत धारा को कम या बढ़ाने का भी काम करता है जिसे ट्रांसफॉर्मर भी कहा जाता है । ट्रांसफार्मर भी एक इंडक्टर का ही हिस्सा होता है ।
थोड़ी दूरी तक सिग्नल भेजने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है । दूसरा यह विधुत धारा को एक सर्किट से दूसरे सर्किट में बिना किसी तार के भेज सकते हैं जिसे वायर-लेस तकनीक कहा जाता है । आगे हम इन दोनों का प्रैक्टिकल टेस्ट करके बताएंगे कि इंडक्टर कैसे काम करता है । तीसरा यह dc विधुत को ही आगे जाने देता है और ac वोल्टेज पर यह इंडक्टर काम नहीं करता है और इसका कारण आप आगे की तरफ जान जायेंगे और यह विधुत धारा को कम या बढ़ाने का भी काम करता है जिसे ट्रांसफॉर्मर भी कहा जाता है । ट्रांसफार्मर भी एक इंडक्टर का ही हिस्सा होता है ।
Inductor working in hindi | इंडक्टर कैसे काम करता है :
इंडक्टर में dc विधुत धारा प्रवाहित करने पर विधुत वाहक बल उतपन्न होता है यानी कि मैग्नेटिक फील्ड उतपन्न होती है । उसी मैग्नेटिक फील्ड में बहुत ही कम मात्रा में विधुत जमा हो जाता है । जितना अधिक तार को लपेटा जाएगा उतना ही अधिक उसमें मैग्नेटिक फील्ड बनेगा और उतना ही अधिक उसमें विधुत जमा रहेगा ।
अधिक मैग्नेटिक फील्ड होने से अगर हम विधुत धारा को इंडक्टर में भेजना बन्द करेंगे तो इंडक्टर में मैग्नेटिक फील्ड में जो विधुत जमा होता है धीरे-धीरे खत्म होता है । यानी कि एक दम से विधुत खत्म नहीं होता ।
जानिए इंडक्टर के प्रकार
Dc जनरेटर से तैयार हुई विधुत धारा एक सेकंड में कई बार ऊपर नीचे होती रहती है । अगर हम उस विधुत धारा से मोटर चलाएंगे तो मोटर की स्पीड में कहीं ना कहीं बहुत ही कम मात्रा में अंतर आ सकता है लेकिन इसकी स्पीड को आप कम या अधिक होते देख नहीं सकते । इसका मतलब यह हुआ कि पैदा किया हुआ विधुत धारा कांस्टेंट नहीं रहता यानी कि फिक्स्ड नहीं रहता । लेकिन जमा किया हुआ बैटरी का करंट हमेशा कांस्टेंट रहता है । इसी कारण सर्किट में भी ऐसा ही होता है और सर्किट को कांस्टेंट मात्रा में विधुत देने के लिए इंडक्टर का इस्तेमाल किया जता है ताकि कांस्टेंट रूप से सर्किट में विधुत मिलता रहे । इंडक्टर को और ज्यादा पॉवरफुल बनाने के लिए इसके अंदर मेटल जैसे रॉड का इस्तेमाल इसके अंदर बीच मे किया जाता है ताकि मैग्नेटिक फील्ड अच्छी तरीके से और बड़ी बन जाये जिससे विधुत अधिक से अधिक इस मैग्नेटिक फील्ड में जमा रहेगा और उतना ही विधुत धारा कांस्टेंट रूप से आगे बढ़ता जाएगा ।
नोट :
शुरुआत में इंडक्टर में से विधुत धारा प्रवाहित होने के बाद उसमें मैग्नेटिक फील्ड बनने में थोड़ा समय लग जाता है । जिससे अगर आप विधुत धारा प्रवाहित करोगे तो तुरंत विधुत धारा बाहर नहीं आएगी क्योंकि मैग्नेटिक फील्ड बनने में थोड़ा सा समय लग जाता है ।
How inductor is made in hindi | इंडक्टर कैसे बनता है :
Inductor working diagram in hindi | इंडक्टर के काम करने का उदाहरण :
अगर आप 5 वॉल्ट जनरेटर में से विधुत किसी उपकरण को दे रहे हैं तो विधुत धारा पहले 5 वॉल्ट आएगी फिर एकदम 4.9 वॉल्ट हो जाएगी फिर 4.8 वॉल्ट आएगी और फिर 5 वॉल्ट हो जाएगी । एक सेकंड में कई बार ऐसा ही होता है । 5 वॉल्ट विधुत धारा को एक समान भेजने के लिए ही इंडक्टर का उपयोग किया जाता है ।
Working of inductor in hindi |
लेकिन फिर भी वोल्टेज में थोड़ा सा सुधार जरूर हो जाता है । जैसे कि इंडक्टर लगाने के बाद 5 वॉल्ट का कांस्टेंट रूप से मिलना । आप समझ गए होंगे कि इंडक्टर काम कैसे करता है ।
इंडक्टर वायर लेस्स सिस्टम में कैसे काम करता है :
इंडक्टर के अंदर वायर-लेस्स तकनीक भी शामिल होती है यानी कि यह एक जगह से दूसरे जगह तक विधुत को भेज सकता है वो भी बिना किसी तार की मदद के । जिसका इस्तेमाल वायर-लेस्स चार्जरों में किया जाता है स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए । यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है ।
अब यह काम कैसे करता है । इसमें दो coil होती है जिसे वाइंडिंग कहते हैं । ऐसे ही तार की मदद से दो इंडक्टर बनाये जाते हैं । एक इंडक्टर में से विधुत धारा प्रवाहित करने पर उसमें मैग्नेटिक फील्ड बन जाने के बाद उस मैग्नेटिक फील्ड के अंदर जब दूसरा इंडक्टर अंदर आ जाता है तो इससे दूसरे इंडक्टर में विधुत धारा प्रवाहित होने लगती है । यानी कि एक इंडक्टर से दूसरे इंडक्टर में विधुत धारा प्रवाहित होने लगती है । एक इंडक्टर को दूसरे इंडक्टर से जितनी दूर आप लेकर जाएंगे उतना ही कम मात्रा में विधुत प्रवाहित होने लगता है । जिससे पॉवर का लॉस बढ़ने लगता है और वोल्टेज और amps की मात्रा भी कम हो जाती है । चित्र को देख कर आप समझ सकते हैं की यह किस तरह से काम करता है ।
इंडक्टर चुम्बक की तरह काम कैसे करता है :
इंडक्टर में विधुत धारा प्रवाहित करने पर मैग्नेटिक फील्ड उतपन्न हो जाती है जितनी अधिक टर्न होगी तार की उतनी ही बड़ी मैग्नेटिक फील्ड उस इंडक्टर मेंं बनेगी ।
Inductor working example in hindi |
अधिक मैग्नेटिक फील्ड होने से उसके पास मेटल की कोई चीज़ निकट लेकर जाएं तो इंडक्टर उस मेटल को अपनी और खींचने की कोशिश करेगा । ऐसे ही इंडक्टर एक चुम्बक की तरह काम करता है । आप चित्र को देख कर समझ जाएंगे कि यह किस तरह से काम कर रहा है ।
How to make inductor in hindi | इंडक्टर कैसे बनाये :
इंडक्टर बनाने के लिए आप ताम्बे की तार को लें उसको ऊपर दिए गए चित्र के अनुसार पेन के ऊपर लाइन-वाइज लपेट लें । इसके तार को निकाल लें । आपका इंडक्टर तैयार हो जाएगा । चाहे तो आप इसे किसी छोटे से रॉड के ऊपर लपेट कर परमानेंट रॉड को भी साथ में रहने दे सकते हैं ताकि मैग्नेटिक फील्ड का एरिया बड़ा बन सके । अधिक पॉवरफुल इंडक्टर बनाने के लिए आप बीच में मेटल की रॉड का इस्तेमाल करें और उसे साथ में ही रहने दें जिससे मैग्नेटक फील्ड का एरिया काफी बड़ा बनेगा ।
Advantages of inductor in hindi | इंडक्टर के फायदे :
- इंडक्टर विधुत धारा को कांस्टेंट रखता है यानी कि फिक्स्ड रखता है । ताकि विधुत धारा एक समान मात्रा में आगे बढ़ता जाए ।
- विधुत धारा प्रवाहित करने पर इसमें विधुत वाहक बल उतपन्न होता है जिससे पॉवर का लॉस भी कम हो जाता है ।
- इंडक्टर की मदद से हम विधुत धारा को एक सर्किट से दूसरे सर्किट में बिना किसी तार के भेज सकते हैं यानी कि वायर-लेस्स टेक्नोलॉजी ।
Disadvantages of inductor in hindi | इंडक्टर की कमियां :
- अगर इससे वायर-लेस्स चार्जर या कोई वायर-लेस्स उपकरण बनाया जाए तो पॉवर का लोस्स अधिक होता है ।
- Ac विधुत धारा पर यह काम नहीं कर सकता ।