रिले एक इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट है जिसका इस्तेमाल ज्यादातर बड़े उपकरणों में किया जाता । कभी-कभी कुछ सर्किटों में काम ऑटोमैटिक करवाना होता है तभी उस वक्त रिले बहुत कम में आता है तो चलिए जानते हैं कि रिले क्या है और रिले कैसे काम करता है ।
What is Relay in hindi | Relay क्या है :
रिले सर्किट को ऑन या ऑफ कर सकता है वो भी ऑटोमैटिक तरीके से इसे चलाने के लिए अलग से विधुत धारा प्रवाहित करनी पड़ती है तभी यह काम करता है । सर्किट को ओवर वोल्टेज या करंट से बचाने के लिए भी यह रिले सर्किट को बचाता है । |
What is relay in hindi |
इन्वर्टर में भी यह बहुत काम करता है जैसे कि जब लाइट चली जाती है तब रिले ऑन होकर बैटरी में से बिजली को बाहर निकलता है जिससे हम पंखा या फिर कोई उपकरण चला सकते हैं अगर लाइट आ जाती है तो यह ऑफ हो जाता है बाहर से आ रहा विधुत सीधा बैटरी में चला जाता है । जिससे बैटरी चार्ज होने लग जाती है । कुल मिलाकर रिले ऑटोमैटिक काम करता है विधुत को बंद या चालू करने के लिए । मॉस्फेट का भी कुछ इसी तरह से काम होता है सिग्नल के जरिये सर्किट को ऑन और ऑफ करने के लिए । लेकिन आपको यह जानना बहुत ही जरूरी है कि रिले कैसे काम करता है तभी तो आप अच्छी तरीके से समझ पाएंगे और इसके बाद आप इसे बना भी सकते हैं ।
Name of terminals in Relay in hindi | Relay के टर्मिनलों के नाम :
कम पिन से लेकर अधिक पिन वाले रिले हमें देखने को मिलते हैं । लेकिन साधारण और जरूरी रिले में कुल पांच टर्मिनल लगे होते हैं । जिसमें चित्र के अनुसार साथ मे जुड़े दो टर्मिनलों में से एक का नाम n/c जिसे नॉर्मली क्लोज टर्मिनल कहा जाता है और दूसरा टर्मिनल का नाम n/o जिसे नॉर्मली ओपन टर्मिनल कहा जाता है । |
Relay terminals explain in hindi |
साथ मे जुड़े तीन टर्मिनलों में से बीच वाला टर्मिनल जिसे मूवेबल टर्मिनल कहा जाता है क्योंकि यह टर्मिनल अंदर से एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट होता रहता है और बाकी के बचे टर्मिनल को coil टर्मिनल कहते हैं क्योंकि वो दोनों टर्मिनल अंदर की तरफ coil से यानी कि वाइंडिंग से जुड़े होते हैं । Coil को हम इंडक्टर भी कह सकते हैं ।
Relay working in hindi | Relay कैसे काम करता है :
रिले चाहे ऑफ कंडीशन में हो या फिर ऑन कंडीशन में वह काम करता रहता है । ऑफ़ कंडीशन में रिले को एक्टिवेट करने के लिए विधुत धारा की जरूरत नहीं पड़ती । लेकिन इसे ऑन कंडीशन में करने के लिए यानी की इसे एक्टिवेट करने के लिए अलग से विधुत धारा coil वाले टर्मिनल से प्रवाहित करनी होती है जिससे अंदर पड़ा coil चुंबक की तरह काम करता है और |
Relay working diagram in hindi |
साथ मे पड़ी लोहे की पत्ती को अपनी तरफ खींचता है जिससे वह पत्ती n/c टर्मिनल से जुड़ जाती है जिससे रिले एक्टिवेट हो जाता है । एक बात हमेशा ध्यान रखें कि coil में से विधुत प्रवाहित नहीं करने से यानी कि रिले का ऑफ कंडीशन में रहने से मूवेबल टर्मिनल और n/c टर्मिनल हमेशा जुड़ा होता है । जैसे ही विधुत धारा प्रवाहित करते हैं coil टर्मिनल से तो इसके बाद मूवेबल टर्मिनल की पत्ती n/c से हटकर n/c से जुड़ जाती है यानी कि मूवेबल और n/o टर्मिनल आपस मे जुड़ जाते हैं ।
इसके बाद अब आप सोचेंगे कि इसका क्या काम हुआ यानी कि इसे हम काम मेंं कैसे ले सकते हैं इसके लिए हमने आगे इसका प्रैक्टिकल टेस्ट करके बताया है कि रिले कैसे काम करता है, इसे कैसे काम में ले सकते हैं और सर्किट को कैसे प्रोटेक्ट कर सकते हैं ।
Working example of relay in hindi | Relay का काम करने का उदाहरण :
चित्र 1 में देख सकते है कि हमने रिले के n/c के टर्मिनल को पहले वाले बल्ब के नेगेटिव टर्मिनल से कनेक्ट किया है और n/c के टर्मिनल को दूसरे बल्ब के साथ नेगेटिव टर्मिनल से कनेक्ट किये है । अब बल्ब तो कनेक्ट हो गए इसके बाद बल्ब को जगाने के लिए बैटरी का नेगेटिव टर्मिनल रिले के मूवेबल टर्मिनल से कनेक्ट करेंगे और पॉजिटिव टर्मिनल सीधा ही बल्ब से कनेक्ट करेंगे । जैसा कि चित्र 2 में आप देख सकते हैं कि दूसरा बल्ब जग रहा है क्योंकि रिले ऑफ कंडीशन में होने के बावजूद भी इसका मूवेबल टर्मिनल n/c के टर्मिनल से जुड़ा हुआ है जिससे बैटरी का विधुत बल्ब में से जाते हुए n/c टर्मिनल के अंदर जाकर सीधा ही मूवेबल टर्मिनल से बाहर निकल कर बैटरी में जाता है और साईकल पूरा होने से बल्ब जगता है । |
Working example of relay in hindi |
अगर हम चाहते हैं कि दूसरा बल्ब जगे और पहला बन्द हो जाये तो इसके लिए आपको सबसे पहले अलग से रिले के coil टर्मिनल में से विधुत धारा प्रवाहित करनी होगी जिससे रिले के अंदर coil पत्ती को अपनी और खींचता है जिससे मूवेबल का सिरा n/c से जुड़ जाता है । इससे पहले वाला बल्ब जगना शुरू हो जाता है और दूसरा बल्ब बन्द हो जाता है । यह हमने साधारण उदाहरण देकर समझाया है । इसकी मदद से हम काम का उपकरण भी तैयार कर सकते हैं । जैसे कि इन्वर्टर अपने आप काम करता है विधुत को बैटरी में जमा करने के लिए और लाइट जाने को बाद घर को बिजली देने के लिए ।
Relay कितने वोल्टेज पर काम करता है :
रिले कम वोल्टेज से लेकर अधिक वोल्टेज के रिले मार्किट में देखने को मिलते हैं । कुछ रिले 5 वोल्टेज पर चलते हैं तो कुछ 12 वोल्टेज पर । ज्यादातर 12 वॉल्ट के रिले का इस्तेमाल अधिक किया जाता है । 12 वॉल्ट का रिले को अगर हम 10 वॉल्ट देंगे या 14 वॉल्ट तब भी यह काम करता है । 20 वॉल्ट या इससे अधिक देने से रिले के अंदर की coil सड़ सकती है ।
रिले की कीमत कितनी होती है :
रिले की कीमत कम ही होती है जिसे आप आसानी से खरीद सकते हैं और यह आपके बजट में भी आता है । दूसरी बात यह है की रिले की कीमत निर्भर करती है उसके वोल्टेज के ऊपर यानि की आप कितने वोल्टेज पर काम करने वाला रिले खरीदना चाहते हैं और आप कितना बिजली का लोड पास करना चाहते हैं उसी के उपर ही रिले की कीमत रखी गयी है । रिले की कीमत तकरीबन 80 रूपए से शुरू हो जाती है ।
How many pins in relay in hindi | रिले में कितने पिन होते हैं :
3 पिन से लेकर 5 पिन वाले रिले मार्किट में देखने को मिलते हैं जिसके अलग-अलग नाम हैं जैसे कि SPST, SPDT, DPST, DPDT ।
SPST (single pole single throw) में पत्ती (पोल)जो कि एक ही पत्ती के साथ जुड़ती है या हटती है विधुत देने से और ना देने से । इसकी मदद से हम सर्किट को ऑन या ऑफ कर सकते हैं ।
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How many pins in relay in hindi |
SPDT (single pole dual throw) में दो पोल होते हैं जो कि विधुत के हिसाब से पत्ती के ऊपर या नीचे कनेक्ट होती है । जैसे कि अगर हम विधुत नहीं देंगे तो पोल ऊपरी हिस्से से कनेक्ट होगा अगर विधुत नहीं देंगे तो पोल नीचे हिस्से से कनेक्ट होगा । इसकी मदद से हम दो सर्किटों में से किसी एक सर्किट को बंद या चालू कर सकते हैं ।
DPST (dual pole single throw) में दो पोल और दो पत्तियां होती हैं । विधुत धारा प्रवाहित करने से दोनों पोल एक साथ ऊपरी पत्ती से जुड़ेंगे और विधुत ना देने से दोनों पोल नीचे की पत्ती से जुड़ेंगे ।
DPDT (dual pole dual throw) में दो और चार पत्तियां होती हैं । इसमें विधुत धारा प्रवाहित करने से दो पोल अलग अलग पत्तियों के साथ कनेक्ट होते हैं और विधुत ना देने से भी दोनों पोल अलग-अलग पत्तियों से कनेक्ट होंगे ।
इसमें दिखाए गए सभी पिन वाले रिले का उपयोग सर्किट के हिसाब से देखा जाता है कि हमें सर्किट में काम किस प्रकार का है और कैसे करवाना है ।
Relay के टर्मिनल को कैसे पहचाने :
इसका n/c और n/o टर्मिनल कौन सा है यह पहचानना मुश्किल होता है । मल्टीमीटर की मदद से हम इसकी पहचान कर सकते हैं । चित्र के अनुसार आप मल्टीमीटर को continuity पर सेलेक्ट कर लें । मल्टीमीटर की एक तार को मूवेबल टर्मिनल से कनेक्ट करें और दूसरा n/o या n/c से कनेक्ट करें । अगर मल्टीमीटर में से बीप की आवाज आती है और नंबर चलते हुए दिखाई देते हैं तो इसका मतलब मूवेबल का टर्मिनल n/c से जुड़ा हुआ है और दूसरा टर्मिनल n/o का है ।
Advantages of relay in hindi | रिले के फायदे :
- सर्किट को ऑन या ऑफ कर सकते हैं ऑटोमैटिक तरीके से ।
- सर्किट को प्रोटेक्शन करने के लिए रिले एक्टिवेट होकर बाहर से आ रहा अधिक विधुत धारा को रोक देता है । जिससे सर्किट बच जाता है ।
- रिले एक तरह से फ्यूज की तरह भी काम करता है सर्किट को प्रोटेक्ट करने के लिए ।
Disadvantages of relay in hindi | रिले के नुकसान :
- इसे एक्टिवेट करने के लिए अलग से विधुत धारा प्रवाहित करनी होती है जिससे कुछ मात्रा में विधुत व्यर्थ चला जाता है ।