शायद आपने कहीं bldc मोटर के बारे में सुना होगा । बहुत अधिक मात्रा में इसका उपयोग किया जाता है और आज भी किया जा रहा है क्योंकि इसकी खासियत ही सबसे अलग है इसीलिए । आजकल जो इलेक्ट्रिक रिक्शा बन रही है उसमें bldc मोटर का ही उपयोग किया जाता है तो चलिए आज हम जानेंगे bldc मोटर क्या है और bldc मोटर कैसे काम करती है ।
BLDC motor in hindi | BLDC मोटर क्या होती है :
BLDC का पूरा नाम ब्रश लैस डायरेक्ट करंट मोटर होता है यानि की इसमें ब्रश का इस्तेमाल नहीं किया जाता इसीलिए इसे ब्रश लेस dc मोटर कहा जाता है । इसमें ब्रश का इस्तेमाल नहीं करने से इसमें आवाज बहुत ही कम आती है । जो ब्रश वाली मोटर होती है उसमें वाइंडिंग रॉड के ऊपर लगायी जाती है और वही रॉड घूमती है लेकिन इस मोटर में वाइंडिंग बीच फिक्स्ड रहता है जबकि इसके आसपास लगा चुम्बक ही घूमता है चुम्बक को शाफ्ट से जोड़ा जाता है । कुछ मोटरों में वाइंडिंग आसपास फिक्स्ड होती है और बीच में चुम्बक को रॉड के ऊपर लगाया जाता है और वही रॉड घूमती है तो कुल मिलाकर वाइंडिंग फिक्स्ड ही रहती है जबकि मैगनेट वाला रोटर ही घूमता है । इस मोटर की सबसे बड़ी खासियत यही है की इसकी स्पीड सबसे ज्यादा है । इसमें से हमें 20 से 50% तक की स्पीड हमें dc मोटर से अधिक देखने को मिलती है । इसीलिए इसका अधिकतर उपयोग ड्रिल जैसे तेज़ स्पीड वाले उपकरणों में किया जाता है ।
Parts of BLDC motor in hindi | BLDC मोटर के पार्ट्स :
ब्रश लेस्स डायरेक्ट करंट मोटर की बनावट साधारण मोटर से काफी अलग होती है लेकिन इसके अंदर इस्तेमाल में लाये जाने वाला पार्ट्स में कोई अन्तर नहीं होता है और BLDC मोटर के सभी पार्ट्स की डिटेल्स जोकि इस प्रकार है :
- स्टेटर और रॉड :
Bldc मोटर में बीच की रॉड मेटल की बनी होती है और इसके ऊपर स्टेटर लगा होता है जो की स्टील का बना होता है । स्टेटर जो की कई सारी स्टील की पतली शीट्स को जोड़कर बनाया जाता है ।
- वाइंडिंग या coil :
इसके ऊपर ताम्बे की वाइंडिंग लगायी जाती है जिसे आपस में कनेक्ट करने के बाद इसमें से तीन तारें बाहर निकलती है । जब एक ही जगह में ताम्बे की तार को लपेट कर बाहर निकाला जाये तो उसे वाइंडिंग या coil कहा जाता है । इस मोटर का आकार छोटा होता है और इसमें वाइंडिंग छोटी और कई मात्रा में लगायी जाती है जितना आकार वाइंडिंग का होता है उतना ही आकार चुम्बक का रखा जाता है ।
- मैगनेट या चुम्बक :
इसके आसपास निओडियम चुम्बक लगा होता है जीसे s पोल और n पोल के हिसाब से सीरीज में लगाये जाते हैं । पहले आप यह जान लीजिये निओडियम मैगनेट बहुत पॉवरफुल होते हैं और इसका रंग सिल्वर जैसा होता है लेकिन ये बहुत महंगे होते हैं । चुम्बक को जिस खोखले से लगाया जाता है वह खोखला शाफ्ट से जुड़ा होता है ।
- कंट्रोलर या सेंसर :
इसके बाद इस मोटर को चलाने के लिए स्पेशल सेंसर या कंट्रोलर की जरूरत पड़ती है जिसकी मदद से मोटर की स्पीड को कण्ट्रोल और स्टार्ट किया जाता है । इसमें कई कई सारे इलेक्ट्रॉनिक के पार्ट्स लगे होते हैं जैसे की मोस्फेट, कैपेसिटर, डायोड इत्यादि ।
- स्पीड कंट्रोलर :
इसके साथ स्पीड कंट्रोलर का उपयोग स्पीड को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है । इसे डायरेक्ट कंट्रोलर से जोड़ा जाता है । कुछ bldc मोटर के कंट्रोलर में ही स्पीड कंट्रोल करने का ऑप्शन दे दिया जाता है ।
BLDC motor working in hindi | BLDC मोटर कैसे काम करता है :
Bldc मोटर में जितनी वाइंडिंग लगी होती है उतनी ही मात्रा में चुम्बक के सामने लगाया जाता है । इसमें तारें तीन बाहर की तरफ निकलती है जिसे कंट्रोलर के साथ कनेक्ट किया जाता है और कंट्रोलर में से दो तारें बाहर निकलती है जिसे डायरेक्ट बैटरी से कनेक्ट करने के बाद ही मोटर चलती है । एक बात का जरूर ध्यान रखें जो bldc मोटर होती है उसे चलाने के लिए सेंसर या कंट्रोलर की जरूरत पड़ती है यही सेसंर मोटर को घुमाने का और उसे कंट्रोल करने का का। करती है ।
सबसे पहले जब करंट भेजते हैं मोटर में तो सबसे पहले वाइंडिंग में जाता है लेकिन जाता है दो वाइंडिंग में वो भी बारी-बारी सभी वाइंडिंग में । पहले एक वाइंडिंग में करंट जाता है उसमें बन्द हो जाने के बाद फिर दूसरी वाइंडिंग में जाता है और फिर तीसरी वाइंडिंग में । इसमें आमने सामने दो वाइंडिंग में ही करंट जाता है तभी चुम्बक की तरह साउथ (S) और नॉर्थ (N) पोल बनाता है । चित्र में हमने आपको दिखाया है अलग-अलग वाइंडिंग में किस तरह से करंट अंदर जाता है ।
अलग-अलग वाइंडिंग में करंट जाने से क्या होता है पहले हम यही जानते हैं । कंट्रोलर जो की सबसे पहले आमने सामने वाली दो वाइंडिंग को करंट देता है जिसकी वजह से वाइंडिंग में साउथ और नॉर्थ पोल बनता है । वाइंडिंग का साउथ पोल चुम्बक के नॉर्थ पोल को अपनी तरफ खींचता और साउथ पोल को धक्का देता है और वाइंडिंग का नॉर्थ पोल चुम्बक के साउथ पोल को अपनी तरफ खींचता है और दूसरी तरफ नॉर्थ पोल वाले मैगनेट को धक्का देता जिससे शाफ्ट घूमती है । चुम्बक जब वाइंडिंग के सामने आ जाता है तब कंट्रोलर उसी वाइंडिंग में करंट भेजना बन्द करके दूसरी आमने-सामने वाइंडिंग में करंट भेजता है जो चुम्बक को साउथ और नॉर्थ पोल की मदद से अपनी तरफ खींचता है जिससे शाफ्ट और घूमती है । बस ऐसे ही एक बारी-बारी वाइंडिंग को करंट भेजने से सभी वाइंडिंग मैगनेट को बारी-बारी अपनी तरफ खींचती है जिससे शाफ्ट घूमती रहती है । वाइंडिंग को करंट देने से वाइंडिंग निओडियम मैगनेट से भी ज्यादा पॉवरफुल हो जाती है जिससे वाइंडिंग चुम्बक वाली शाफ्ट को अपनी तरफ खींचती है और शाफ्ट तेज़ी से घूमती है । इसी कारण इस मोटर में टॉर्क और स्पीड काफी ज्यादा होती है ।
Use of BLDC motor in hindi | BLDC मोटर के उपयोग :
BLDC मोटरों का उपयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है । इसका उपयोग किन-किन उपकरणों और जगहों में किया जाता है उसकी डिटेल नीचे दी गयी है :
- ड्रिल मशीन
- इलेक्ट्रिक व्हीकल
- फैन
- सिलाई मशीन
- बड़े आकार के उपकरणों में
- हेलिकॉप्टर, प्लेन, ड्रोन और भी कई प्रकार के खिलौनों में ।
- फैक्टरियों और इंडस्ट्रियों में
- रोबॉटिक्स
- मशीनों में
Features of BLDC motor in hindi | BLDC मोटर के फीचर्स :
- इस मोटर की स्पीड साधारण पंखों से भी कई गुना तेज होती है इसीलिए ड्रोन बनाने में इसी मोटर का इस्तेमाल किया जाता है ।
- दूसरी इस मोटर की खासियत यह है की इसमें टार्क काफी अधिक मिलता है जिससे मोटर जल्दी से स्टार्ट हो जाती है ।
- इसको आप कहीं भी लगा लो इसकी आवाज इतनी कम आती है कि पता नहीं चलता ।
- परफॉरमेंस इस मोटर में काफी ज्यादा देखने को मिलती है वो सब कुछ कामयाब है इसकी बनावट पर ।
Advantages of BLDC motor in hindi | BLDC मोटर के फायदे :
- इस मोटर की स्पीड सबसे तेज़ होती है इसीलिए तो इसका इस्तेमाल ड्रोन और ड्रिल जैसे मशीनों में किया जाता है ।
- हाई टार्क मतलब पॉवरफुल मोटर ।
- इस मोटर को रिपेयर करवाने और इसके मेंटेनेंस में खर्चा कम आता है ।
- तेज़ स्पीड से घूमने के बावजूद भी इसमें से आवाज बेहद कम आती है ।
- यह लंबे समय तक चलने वाली मोटर होती है ।
Disadvantages of BLDC motor in hindi | BLDC मोटर की कमियां :
- इस प्रकार की bldc मोटरें बिजली की खपत अधिक करती हैं ।
- Bldc मोटर साधारण मोटर से मंहगी होती है क्योंकि इस मोटर को चलाने के लिए अलग से सेंसर लगाया जाता है ।
- बिना सेंसर के यह मोटर काम नहीं करती ।
- किसी उपकरण में इस मोटर को लगाने में काफी मुश्किल होती है क्योंकि इसका कनेक्शन अलग-अलग करना पड़ता है ।
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