बैटरी के बारे में तो सबको पता होता है लेकिन यह कैसे काम करती है इसके बारे में कम ही लोगों को पता होता है । लेकिन कुछ लोग सोचते हैं की बैटरी काम इस तरह करती है लेकिन जिस तरह से लोग सोचते हैं की बैटरी कैसे काम करती है तो सच बात तो यह है की वैसे तो बैटरी काम ही नहीं करती वो क्या है वो हम जानेंगे आगे विस्तार से । बैटरी के प्रकार भी कई हैं जिसका उपयोग अलग-अलग कामों के लिए किया जाता है और कुछ बैटरियों की अपनी अलग ही खासियत होती है । तो चलिए जानते हैं बैटरी क्या है और यह कैसे काम करती है ।
What is battery in hindi |
What is battery in hindi | बैटरी क्या है :
बैटरी एक ऐसा स्टेटिक डिवाइस है जो बिना हिले और बिना मूव किये काम करती है । इसका मुख्य काम होता है विधुत को अपने अंदर जमा करके रखना और जब जरूरत पड़ी तो हम इस विधुत को ले भी सकते हैं यानि की हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इस बैटरी के जरिये चला सकते हैं । विधुत कितनी मात्रा में उस बैटरी के अंदर जमा होगा यह निर्भर करता है उस बैटरी की स्टोरेज क्षमता पर । बैटरी की स्टोरेज क्षमता अगर कम है तो उसमें विधुत कम ही मात्रा में जमा हो पायेगा और अगर स्टोरेज क्षमता अधिक है तो उसमें विधुत काफी अधिक मात्रा में जमा करके रखा जा सकता है । आजकल हमारे घरों में जो बैटरी लगी होती है वह बड़ी होती है और उसमें स्टोरेज क्षमता भी होती है अधिक जिससे हम काफी देर तक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चला पाते हैं । तो यह है बैटरी का मुख्य काम इलेक्ट्रिसिटी या विधुत को अपने अंदर जमा करके रखना और जरूरत आने पर हमें विधुत देना ।
Parts of battery in hindi | बैटरी के पार्ट्स के नाम :
बैटरी जो कम पार्ट्स से जोड़कर तैयार हो जाती है और उन पार्ट्स के नाम हैं प्लेट, प्लास्टिक और केमिकल ।
प्लेट :
बैटरी में दो टर्मिनल होते हैं एक होता है नेगेटिव टर्मिनल और दूसरा होता है पॉजिटिव टर्मिनल । दो टर्मिनल होने से इसमें दो प्लेटों को आमने सामने थोड़ी दुरी तक रखा जाता है । इसमें से एक प्लैट एनोड की और दूसरी प्लेट होती है कैथोड की । कैथोड की प्लेट पॉजिटिव और एनोड की प्लेट नेगेटिव की होती है ।
सेपरेटर :
सेपरेटर क्रिस्टलाइन पाउडर या किसी और पदार्थ से बनाया जाता है । दोनों प्लेट आपस में जुड़ने से रोकने के लिए लगाया जाता है सेपरेटर को । सेपरेटर एक दीवार का काम करती है जो रोकती है दोनों प्लेट में जमा करंट को आपस में जुड़ने से रोकने के लिए । दोनों प्लेट आपस में जुड़ने से चिंगारी निकलने लगती है जिससे बाद में आग लगने लग जाती है, बस इसी को रोकने के लिए ही सेपरेटर को लगाया जाता है ।
Parts of battery in hindi |
प्लास्टिक :
बैटरी के अंदर लगे सभी पार्ट्स को ढकने के लिए प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है । यह प्लास्टिक काफी हार्ड बनाया जाता है और दोनों प्लेटों के टर्मिनल को थोडा सा बाहर निकाला जाता है । जबकि कुछ बैटरियों को ढकने के लिए मेटल का भी प्रयोग किया जाता है जैसे की एल्युमीनियम ।
लिक्विड केमिकल :
कुछ-कुछ बैटरियों में केमिकल और पानी को मिक्स करने के बाद बने लिक्विड का भी इस्तेमाल किया जाता है जबकि यह एक हल्का यानी कि कम पॉवर वाला केमिकल होता है जिसका मुख्य काम होता है विधुत को बनाने का । लीड एसिड बैटरी और ट्यूबलर बैटरियों में इसी लिक्विड को उपयोग में लाया जाता है ।
Battery working in hindi | बैटरी कैसे काम करती है :
बैटरी में दो प्लेटें होती हैं उसमें से एक एनोड की और दूसरी कैथोड की । एनोड की प्लेट में नेगेटिव करंट और एनोड की प्लेट में नेगेटिव करंट की होती है । सबसे पहले आप एक बात जरूर ध्यान रखें की बैटरी में जमा करंट किस दिशा की और मूव होता है । डिस्चार्ज होते समय बैटरी का करंट हमेशा पॉजिटिव से नेगेटिव की और मूव होता है जबकि इलेक्ट्रॉन्स मूव होते हैं नेगेटिव से पॉजिटिव की और । इसीलिए आपको यही बात सबसे ज्यादा ध्यान से रखने की जरूरत है । बैटरियों में इलेक्ट्रॉन्स और करंट दोनों होते हैं और ये दोनों एक दूसरे के उल्टी दिशा में ही मूव होते हैं जिससे उपकरण या बल्ब जगता है सबसे पहले जब बैटरी को जोड़ा जाता है चार्जर में से पॉजिटिव करंट यानि की करंट जो की जाता है बैटरी के पॉजिटिव टर्मिनल से । पॉजिटिव करंट जमा होता जाता है कैथोड टर्मिनल में जिससे एक प्लेट में पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स जमा होते हुए दूसरे प्लेट में भी नेगेटिव इलेक्ट्रॉन्स जमा होते जाते हैं । जैसे-जैसे करंट और जमा होता जाता है उस बैटरी की दोनों प्लेटों में वैसे-वैसे बैटरी की पॉवर भी बढ़ती जाती है ।
Battery working diagram in hindi |
इसको दूसरी भाषा में भी समझने का एक तरीका है बैटरी के खाली होने पर चार्जर का काम होता है एनोड की प्लेट में गया हुआ करंट को पकड़कर कैथोड की प्लेट में भेजता है और साथ ही कैथोड की प्लेट में पड़े हुए इलेक्ट्रॉन्स को पकड़कर भेजना होता है एनोड की प्लेट में । जिससे बैटरी चार्ज होती है । बस आपको यही याद रखना है कि बैटरी खाली तभी होती है जब कैथोड की प्लेट में इलेक्ट्रॉन्स और एनोड की प्लेट में करंट हो जबकि बैटरी फुल चार्ज तभी होती है जब कैथोड की प्लेट में केवल करंट और एनोड की प्लेट में इलेक्ट्रॉन्स हो ।
बैटरी के खाली होने पर अगर उसके अंदर प्लेट की तरफ ध्यान से देखें तो कैथोड की प्लेट में इलेक्ट्रॉन्स की संख्या और एनोड की तरफ करंट है । इसका मतलब यह बैटरी खाली है । तो यह फुल चार्ज तभी होती है जब बैटरी के सभी इलेक्ट्रॉन्स होते हैं एनोड की प्लेट में होते हैं और करंट कैथोड की प्लेट में तब बैटरी चार्ज होती है । बैटरी को चार्ज करने से कैथोड प्लेट में पड़ा हुआ एलेक्ट्रॉन्स चार्जर की मदद से एनोड की प्लेट में जमा होने लगते हैं जबकि करंट कैथोड से उठकर एनोड की प्लेट में जमा होने लगता है ।
जब बैटरी खाली होती है या खाली होने लगती है तब इलेक्ट्रॉन्स पॉजिटिव से नेगेटिव की ओर मूव होता है जबकि करंट नेगेटिव से पॉजिटिव की ओर मूव होता है । जबकि बैटरी चार्जिंग होते समय इलेक्ट्रॉन्स मूव होते हैं कैथोड से एनोड की ओर और करंट मूव होता है एनोड से कैथोड की और । बैटरी खाली और भरने से करंट और इलेक्ट्रॉन्स एक प्लेट से दूसरी प्लेट में मूव होते रहते हैं ।
अब यह यो हुआ बैटरी चार्जिंग के बारे में अब यह जानते हैं की करंट कैसे निकलता है बाहर । जब जोड़ा जाता है बल्ब को बैटरी से तब बैटरी की एनोड प्लेट से इलेक्ट्रॉन्स बाहर निकल कर बल्ब में से और कैथोड की प्लेट में पॉजिटिव करंट बल्ब की और प्रवाहित होता है, जब इलेक्ट्रॉन्स और करंट गुज़रता है बल्ब से तब बल्ब जगता है । इसके बाद जब पॉजिटिव करंट बल्ब के दूसरी टर्मिनल से बाहर निकलता है तब वह करंट चला जाता है एनोड की प्लेट में और जब इलेक्ट्रॉन्स बल्ब के दूसरे टर्मिनल से बाहर निकलता है तब वह जाता है बैटरी के कैथोड टर्मिनल में ।
जानिए बैटरी क्यों फूलती है और कैसे रोकें
कैसे पहचाने बैटरी चार्ज है या नहीं :
जब बैटरी की कैथोड प्लेट में कोई भी पॉजिटिव करंट की बजाय इलेक्ट्रॉन्स और एनोड प्लेट इलेक्ट्रॉन्स की बजाय पॉजिटिव करंट हो तब इसका मतलब यही होता है की बैटरी खाली है । अगर बैटरी के एनोड प्लेट में इलेक्ट्रॉन्स हो और कैथोड प्लेट में पॉजिटिव करंट ना हो तो इसका मतलब बैटरी फुल चार्ज है और अगर दोनों प्लेटों में आधे-आधे इलेक्ट्रॉन्स और करंट हो तो इसका मतलब बैटरी आधी चार्ज है ।
बैटरी में कौन सा करंट जमा होता है :
बैटरी चाहे कोई भी हो उसमें सिर्फ dc करंट ही जमा होता है यानि की जमा किया जा सकता है । इसमें क्यों नहीं होता इसके बारे में भी हम आपको समझायेंगे । ac करंट 50 से 60 बार अपना पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल चेंज करता है जिससे पहले A तार में पॉजिटिव करंट होगा वो तो जमा हो जायेगा बैटरी के पॉजिटिव प्लेट में । पॉजिटिव करंट प्लेट में जब थोडा सा जमा हो जाता है उसके बाद ac करंट अपनी दिशा बदल लेती है जिससे A वाली तार नेगेटिव और B वाली तार बन जाती है पॉजिटिव । B वाली तार पॉजिटिव होने से उसका पॉजिटिव करंट बैटरी के नेगेटिव प्लेट में जैसे ही जाने की कोशिश करता है उससे बैटरी में से धुंआ निकलने लगता है ।
Use of battery in hindi | बैटरी के उपयोग :
बैटरी का उपयोग किया जाता है किसी उपकरणों को चलाने के लिए जब विधुत ना हो और जब किसी छोटे उपकरणों को कहीं लेकर जाना हो और साथ में चलाना हो जैसे की स्मार्टफोन, लैपटॉप इत्यादि । जिस-जिस उपकरणों में बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है उन उपकरणों के नाम जो की इस प्रकार हैं :
Advantages of battery in hindi | बैटरी के फायदे :
- इसमें लम्बे समय तक विधुत को जमा करके रख सकते हैं ।
- विधुत के ना होने पर इसका ही उपयोग किया जाता है इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चलाने के लिए ।
Disadvantages of battery in hindi | बैटरी के फायदे :
- इसमें ac करंट जमा नहीं होता ।
- बड़ी बैटरियों की कीमत काफी ज्यादा होती है ।