ब्रिज रेक्टिफायर क्या होता है | Bridge Rectifier कैसे काम करता है

जैसे रेक्टिफायर को इस्तेमाल में लाया जाता है ठीक वैसे ही ब्रिज रेक्टिफायर जो की रेक्टिफायर का ही प्रकार है । इसी प्रकार के रेक्टिफायर का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है क्योंकि यह बाकि रेक्टिफायरों में से सबसे अच्छी तरीके से काम करता है और तकरीबन 90 प्रतिशत इसी प्रकार का रेक्टिफायर को उपयोग में लाया जाता है । तो चलिए जानते हैं ब्रिज रेक्टिफायर क्या है और यह कैसे काम करता है

 

ब्रिज रेक्टिफायर क्या है | (What is bridge rectifier in hindi) :

ब्रिज रेक्टिफायर एक ऐसा रेक्टिफायर है जो ac करंट को पूरी तरह से dc करंट में बदलता है । वैसे देखा जाये तो बाकि के कुछ रेक्टिफायर ऐसे भी हैं जो ac करंट को dc करंट में बदलते हैं लेकिन वह पूरी तरीके से नहीं बदल पाता । तो इस प्रॉब्लम को फिक्स्ड किया ब्रिज रेक्टिफायर ने । यह सबसे आखिरी में बनाया गया रेक्टिफायर जो करंट को dc करंट में बदलता है ।

What is bridge rectifier in hindi
What is bridge rectifier in hindi

लेकिन आप एक बात जरूर ध्यान रखें की ब्रिज रेक्टिफायर की मदद से ac करंट को dc करंट में बदलने के बाद प्राप्त हुए dc करंट में कुछ कचरा सा रह जाता है और वही कचरा सर्किट में अंदर जाने से कुछ प्रॉब्लम खड़ा कर देते हैं । इस कचरे को रोकने के लिए कैपेसिटर को इस ब्रिज के साथ कनेक्ट किया जाता है जिससे dc करंट फ़िल्टर होकर बाहर निकलता है । रेक्टिफायर में कैपेसिटर का इस्तेमाल जरूर किया जाता है ।

How bridge rectifier is made in hindi | ब्रिज रेक्टिफायर कैसे बनता है :

यह रेक्टिफायर बनता है चार डायोड से । जिसको आपस में जोड़कर ब्रिज की तरह आकार दे दिया जाता है । इसको आपस में जोड़ने से पहले डायोड के ऊपर जो पट्टी आपको दिखाई दे रही है उसको ध्यान से देखकर ही बाकि डायोड के साथ जोड़ा जाता है । इसको जोड़ना कैसे है वो आप चित्र को देख सकते हैं जिससे अपको पता चल जायेगा ।

ब्रिज रेक्टिफायर कैसे काम करता है | (Bridge rectifier working in hindi) :

ब्रिज रेक्टिफायर किस तरह से काम करता है यह जानने से पहले आपको एक बात जरूर ध्यान रखनी होगी की रेक्टिफायर में डायोड का इस्तेमाल इसीलिए किया जाता है ताकि करंट एक ही दिशा में आगे जा सके और वापिस ना आये ।

Bridge rectifier working example in hindi
Bridge rectifier working example in hindi
डायोड में जो आपको पट्टी दिखाई वह टर्मिनल कैथोड का यानि की नेगेटिव का होता है और दूसरा टर्मिनल एनोड का यानि की पॉजिटिव का होता है । इसमें से विधुत तभी प्रवाहित होती है जब पॉजिटिव करंट भेजा जाता है डायोड के पॉजिटिव टर्मिनल से । अगर आप नेगेटिव तार को डायोड के पॉजिटिव टर्मिनल से जोड़ कर करंट भेजेंगे तो डायोड उस करंट को रोक देता है ।

Bridge rectifier working diagram in hindi
Bridge rectifier working diagram in hindi

ठीक वैसे ही रेक्टिफायर में ac करंट की दो तारों को चार डायोड से इस तरह से कनेक्ट किया जाता है की पहले जब एक डायोड में से पॉजिटिव करंट तो प्रवाहित हो जाता है लेकिन जैसे ही ac करंट की दिशा बदलने से उसी डायोड से नेगेटिव करंट प्रवाहित ना होने से दूसरे डायोड में से करंट प्रवहित होने लगता है । कहने का मतलब यह है की एक ही तार के साथ दो डायोड को जोड़ने से करंट पहले डायोड में जाता है उसके बाद दिशा बदलने से करंट दूसरे डायोड में चला जाता है ऐसा करने से करंट लगातार हमें मिलता रहता है ।

इस ब्रिज रेक्टिफायर में होता ऐसा है की ac करंट की एक तार को दो डायोड के बीच के टर्मिनल से साथ जोड़ दिया जाता है और ठीक वैसे ही बाकि की बचे दो डायोड के बीच का टर्मिनल को कनेक्ट किया जाता है ac करंट की दूसरी टार के साथ । इसमें सबसे पहले पॉजिटिव करंट चला जाता है डायोड नंबर 2 में से क्योंकि उसका सिरा पॉजिटिव है उसके बाद करंट बाहर निकल जाता है । इसके बाद ठीक वैसे ही नेगेटिव करंट जो की प्रवाहित होता है डायोड नंबर से इसके बाद करंट बाहर निकल जाता है । लेकिन जैसे ही ac करंट की दिशा चेंज होने से उसका पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल जैसे ही चेंज होते हैं उसके बाद पहली तार में जब पॉजिटिव करंट था तब वह जा रहा था डायोड नंबर में लेकिन वह तार नेगेटिव हो जाने से उसका नेगेटिव करंट डायोड नंबर की बजाय डायोड नंबर में प्रवेश करेगा क्योंकि डायोड नंबर का सिर नेगेटिव का है । ठीक वैसे ही दूसरी तार में से पहले ac का नेगेटिव करंट था लेकिन अब पॉजिटिव करंट आ जाने से अब यह पॉजिटिव करंट डायोड नंबर की बजाय डायोड नंबर पर में प्रवेश करेगा । कहने का मतलब मेरा यही है की ac चाहे कितनी भी बार अपनी करंट की दिशा चेंज कर ले लेकिन उसकी दिशा चेंज होने के बाद भी डायोड अपना काम करके dc करंट बाहर देता है ।

अब आपके मन में सवाल यह भी उठता होगा की आपको कैसे पता चला की यह dc करंट है । हमें इसका पता ऐसे चला की आप ऊपर चित्र देख सकते हैं ac का पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल बार-बार चेंज हो रहा है लेकिन बाहर हमें जो करंट मिल रहा है उसका पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल फिक्स्ड ही है । तो वैसे देखा जाये तो dc करंट की दिशा बार-बार चेंज नहीं होती यानि की उसका पॉजिटिव और नेगेटिव करंट चेंज नहीं होता वह फिक्स्ड ही होता है । यह काम किस तरह से करता है यह आपको अच्छी तरह से तभी पता चल पायेगा जब आप ऊपर का giff (वीडियो) देखते हैं ।

Use of bridge rectifier in-hindi | ब्रिज रेक्टिफायर के उपयोग :

ब्रिज रेक्टिफायर का उपयोग बहुत और काफी अधिक मात्रा में किया जाता है क्योंकि यह बाकि डायोड में से सबसे ज्यादा और अच्छी तरीके से काम करता है तो चलिए जानते हैं इसका उपयोग जिस-जिस उपकरणों में किया जाता है उसके नाम जो की इस प्रकार है :

  • Dc उपकरणों में :

कुछ उपकरण ऐसे होते हैं जो dc करंट से चलते हैं जैसे की टेलीविज़न, रेडियो, कंप्यूटर, चार्जर, इन्वर्टर, मॉनिटर इत्यादि । लेकिन हमारे में घर में ac करंट की ही सप्लाई हो पाती है तो उसको चलाने के लिए भी यह डायोड ac करंट को dc करंट में कन्वर्ट करता है जिससे हम ac करंट की मदद से कोई भी dc करंट से चलने वाले उपकरणों को चला सकते हैं ।

  • चार्जरों में :

चार्जरों में इसका इस्तेमाल भी ac करंट को dc करंट में कन्वर्ट करने के लिए किया जाता है । सबसे पहले चार्जर में ac 240 वॉल्ट अंदर जाता है इसके बाद सबसे पहले ट्रांसफार्मर जो की 240 वॉल्ट को कम करके 5 वॉल्ट में बदलता है । लेकिन 5 वॉल्ट जो की ac करंट ही होता है फिर इसमें ब्रिज रेक्टिफायर जो की 5 वॉल्ट ac करंट को 5 वॉल्ट dc करंट में बदलता है । लेकिन फिर भी चार्जर का काम यही समाप्त नहीं होता है । इसमें dc करंट में कुछ कचरा सा रह जाता है जो बैटरी को नुकसान पहुंचा सकता है और इसी कचरे को रोकने के लिए लगाया जाता है कैपेसिटर को जो इस कचरे को रोकता है इसके बाद ही हम चार्ज कर लेते हैं स्मार्टफोन या बैटरी ।

Advantages of bridge rectifier in hindi | ब्रिज रेक्टिफायर के फायदे :

  1. यह पूरा ही ac करंट को dc करंट में बदल देता है ।
  2. हाई वोल्टेज वाले और कम वोल्टेज वाले उपकरणों में काम करने की क्षमता ।
  3. कम कीमत में बन जाना ।
  4. आसानी से ब्रिज रेक्टिफायर का बन जाना ।

Disadvantages of bridge rectifier in hindi | ब्रिज रेक्टिफायर के नुकसान :

  1. Ac करंट को dc करंट में बदलने के पश्चात उस dc करंट में कचरा सा रह जाता है जो की सर्किट में कुछ प्रॉब्लम खड़ा कर देता हैं । इसी को रोकने के लिए अलग से लगाया जाता है कैपेसिटर को ।

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