दोस्तो आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि हाफ वेव रेक्टिफायर क्या है और यह कैसे काम करता है । हाफ वेव रेक्टिफायर जो कि रेक्टिफायर का ही प्रकार है जो कि सबसे पहला बनाया गया रेक्टिफायर था । लेकिन अगर आज के समय में देखा जाए तो इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है और अगर किया जाता भी है तो भी बिल्कुल कम क्योंकि इससे भी बढ़िया ब्रिज रेक्टिफायर है जो इससे भी काफी अच्छी तरह से काम करते हैं लेकिन आज हम हाफ वेव रेक्टिफायर के बारे में ही बताएंगे और इसकी खासियत क्या है तो चलिये शुरू करते हैं ।
What is half wave rectifier in hindi |
What is Half Wave Rectifier in hindi | हाफ वेव रेक्टिफायर क्या होता है :
जैसे कि शायद आपको पता होगा कि ब्रिज रेक्टिफायर जो कि ac करंट को बदलता है dc करंट में वो भी पूरी तरह से । लेकिन हाफ वेव रेक्टिफायर ऐसा रेक्टिफायर है जो कि ac करंट को आधा ही बदल पाता है dc करंट में यानी कि कहने का मतलब मेरा यह है कि यह आधा dc करंट ही हमें दे पाता है । इसीलिए इसे कहा जाता है हाफ वेव रेक्टिफायर । लेकिन आधा dc करंट हमें मिलने से जब हम बल्ब जगाते हैं तो इससे बल्ब जगेगा फिर बन्द होगा फिर जगेगा और फिर भी बंद होगा । बार-बार जगना और बन्द इसीलिए होता है क्योंकि इसमें करंट हमें लगातार नहीं मिलता । लगातार ना मिलने का कारण यही है कि जब ac करंट अपनी दिशा बदलता बार-बार बदलता है । अगर बात करते हैं कि किसी सर्किट में हमें पूरा यानी कि dc करंट लगातार चाहिए होता है तो इससे यह हाफ वेव रेक्टिफायर लगातार dc करंट नहीं दे पाता तो यही इसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम या कमी है । वैसे देखा जाए तो इसका इस्तेमाल ना के बराबर ही होता है ।
Half वेव रेक्टिफायर कैसे बनता है :
हाफ वेव रेक्टिफायर को बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती क्योंकि इसमें हमें एक ही डायोड की जरूरत पड़ती है जिसे सीधा ही सर्किट में लगा दिया जाता है जबकि अगर आप इसकी तुलना ब्रिज रेक्टिफायर से करते हैं तो ब्रिज रेक्टिफायर को बनाने के लिए 4 डायोड की जरूरत होती है उसको आपस में जोड़ने का बाद ही ब्रिज रेक्टिफायर बन जाता है जबकि हाफ वेव रेक्टिफायर को बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती ।
Half वेव रेक्टिफायर कैसे काम करता है :
अब हम जानते हैं कि यह रेक्टिफायर कैसे काम करता है । लेकिन सबसे पहले आप एक बात जरूर जान लें कि डायोड तभी काम करता है जब हम पॉजिटिव करंट डायोड के पॉजिटिव यानी कि एनोड टर्मिनल से देते हैं तब ही डायोड करंट को गुज़रने देता है और जबकि पॉजिटिव करंट को डायोड के कैथोड टर्मिनल यानी कि नेगेटिव टर्मिनल से भेजेंगे तो करंट को डायोड ब्लॉक कर देता है यानी कि रोक देता है । ठीक ऐसे ही रेक्टिफायर में होता है । चित्र के अनुसार डायोड में जो पट्टी दिखाई दे रही है वह टर्मिनल नेगेटिव यानी कि कैथोड का होता है जबकि दूसरा टर्मिनल होता है पॉजिटिव यानी कि एनोड का । इसका चित्र आप देख सकते हैं कि डायोड का कौन सा टर्मिनल पॉजिटिव और नेगेटिव का है ।
Half wave rectifier working diagram in hindi |
हाफ वेव रेक्टिफायर में ac करंट प्रवाहित करने से पॉजिटिव करंट जो कि गुज़र जाता है डायोड के एनोड टर्मिनल से । लेकिन जैसे ही ac करंट की दिशा चेंज हो जाती है और दिशा चेंज होने से उसका पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल भी हो जाता है चेंज । जिससे नेगेटिव करंट जो कि कोशिश करता है डायोड के पॉजिटिव टर्मिनल में जाने के लिए लेकिन डायोड उसे रोक देता है । क्योंकि डायोड एक ही दिशा में काम करता है यानी कि वह करंट को एक ही दिशा में आगे जाने देता है जबकि वापिस आ रहे करंट को यह रोक देता है । तो इस पहले पड़ाव में पॉजिटिव करंट तो पास हो गया लेकिन दूसरे पड़ाव नेगेटिव करंट पास नहीं हुआ । इसके बाद फिर से ac करंट की दिशा चेंज होने से पॉजिटिव करंट जो कि प्रवाहित होने लगता है वापिस डायोड के पॉजिटिव टर्मिनल से । तो इसमें आपको यह देखने को मिलता है कि करंट पहले पास हो जाता है फिर रुक जाता है फिर पास होता है और फिर से रुक जाता है तो इससे करंट जो हम बाहर मिलेगा वो है आधा dc करंट । यह किस तरह से काम कर रहा है इसका चित्र आप ऊपर भी देख सकते हैं मुझे उम्मीद है कि अब आपको अच्छी तरह से समझ आ गया होगा ।
अब आप सोचेंगे कि यह आधा dc करंट हमें मिला इससे कैसे साबित होता है कि यह dc करंट ही है । देखिये दोस्तो जो करंट बार-बार अपनी दिशा नहीं बदलता यानी कि जिस करंट का पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल फिक्स्ड रहता है वह कहलाता है dc करंट । जबकि ac करंट का पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनक कई बार चेंज होते रहते हैं इसको आप चित्र में भी देख सकते हैं की किस प्रकार ac करंट का पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनक हो रहा है बार-बार चेंज ।
अब आप इसका साईकल भी देख सकते हैं । जब करंट dc करंट में बदल जाता है या पास हो जाता है तब वह एक साईकल बन जाता है लेकिन जब करंट बन्द हो जाता है तब साईकल नहीं बनता । ठीक वैसे ही जब फिर से करंट पास होता है फिर से एक साईकल बनता है । इस चित्र में हमें यह पता चलता है कि dc करंट जो कि हमें आधा ही मिल रहा है और बीच-बीच में बंद और चालू हो रहा है ।
Half वेव रेक्टिफायर का उपयोग :
हाफ वेव रेक्टिफायर की बात करें तो इसका इस्तेमाल बहुत ही कम होता है । जबकि इसका इस्तेमाल ऐसे सर्किट में कर सकते हैं जहां करंट रुक-रुक कर चाहिए होता है या ऐसे सर्किट में जहां आप सर्किट को बार-बार चालू और बन्द करवाना चाहते हैं जैसे कि अगर आप इसका उपयोग करते हैं बल्ब पर तो यह जगती और बुझती हुई लड़ियों जैसा भी काम करेगा । अब यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप इसको किस काम में लेते हैं ।
Half वेव रेक्टिफायर के फायदे :
- यह आधा dc करंट को बदलता है ।
- इसमें एक ही डायोड की जरूरत पड़ती है ।
- इस रेक्टिफायर को बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती ।
Half वेव रेक्टिफायर के नुकसान :
- यह रेक्टिफायर जो कि ac करंट को पूरी तरीके से dc करंट में नहीं बदल पाता कहने का मतलब यह है कि यह सिर्फ आधा dc करंट को ही बदल पाता है ।
- इसका इस्तेमाल ना के बराबर ही किया जाता है ।