Rectifier क्या है | Rectifier कैसे काम करता है

आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की रेक्टिफायर क्या है और रेक्टिफायर कैसे काम करता है । रेक्टिफायर जिसका उपयोग किया जाता है इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में वह उपकरण जो dc करंट और ac करंट से चलने वाले होते हैं । कुछ उपकरण ऐसे होते हैं जो इस रेक्टिफायर के बिना काम ही नहीं कर सकते । वैसे देखा जाए तो तकरीबन 50 प्रतिशत उपकरण ऐसे होते हैं जिसमें रेक्टिफायर का उपयोग किया जाता है तो चलिए आगे हम इसके बारे में और अच्छी तरह से जानते हैं ।
What is rectifier in hindi, rectifier kya hai
What is rectifier in hindi

What is rectifier in hindi | Rectifier क्या होता है :

रेक्टिफायर जिसका मुख्य काम होता है करंट को बदलना यानि के करंट के प्रकार को बदलना । जैसे की आपको पता ही होगा की करंट मुख्य रूप से दो प्रकार के ही होते हैं ac करंट और dc करंट । तो कुछ उपकरण ऐसे होते हैं जो dc करंट पर ही चलते हैं जबकि हमारे घरों में ac पॉवर की ही सप्लाई होती है । जबकि हमारे उपकरण जो dc करंट पर चलते हैं वो ac करंट पर नहीं चलेंगे ।  इस प्रॉब्लम को सुलझाने के लिए रेक्टिफायर ही एक ऐसा कॉम्पोनेन्ट है जो की ac करंट को dc करंट में बदल कर देता है जिसकी वजह से उपकरण चाहे ac करंट पर चलता हो उसेे हम चला सकते हैं ।
लेकिन एक बात आप जरूर ध्यान रखें की जब रेक्टिफायर की मदद से करंट को ac से dc में बदला जाता है तब उसमें कुछ करंट का पल्सेस या फिर कचरा सा रह जाता है तो उस कचरे को दूर करने के लिए कैपेसिटर को जरूर लगाया जाता है । आप कहीं पर भी देख लो जहां रेक्टिफायर लगा होता है वहां पर उसके आसपास या उसके बीच में कैपेसिटर लगाया जाता है जिसका काम होता है विधुत को साफ या शुद्ध करना ।

उदाहरण :

जैसे कि स्मार्टफोन या मोबाइल जो कि dc करंट सेे ही चार्ज होता है लेकिन पॉवर सप्लाई तो हमारे घर में ac करंट की होती है । तो इसमें चार्जर में सबसे पहले लगाया जाता ट्रांसफार्मर को जो कि 240 वॉल्ट को कम करके 5 वॉल्ट बदलता है । 5 वॉल्ट का करंट जो कि ac करंट होता है । इसके बाद ही रेक्टिफायर 5 वॉल्ट ac करंट को dc करंट में बदलता है एयर वही करंट से चार्ज किया जाता है स्मार्टफोन या बैटरी ।

How rectifier is made in hindi | रेक्टिफायर कैसे बनता है :

रेक्टिफायर बनता है डायोड से । डायोड जो की एक ऐसा dc इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट है जो की विधुत को एक ही दिशा में आगे की ओर बहने देता है । जब डायोड को सीरीज के रूप में आपस में जोड़ दिया जाता है तब वह रेक्टिफायर बन जाता है ।
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How rectifier is made in hindi

कितने डायोड की आवश्यकता होती है रेक्टिफायर बनाने के लिए यह निर्भर करता है की आप किस प्रकार का रेक्टिफायर बनाना चाहते हैं क्योंकि रेक्टिफायर मुख्य रूप से दो प्रकार के ही होते हैं हाफ वेव रेक्टिफायर और फुल वेव रेक्टिफायर । हाफ वेव रेक्टिफायर में दो डायोड की जरूरत होती है जबकि ब्रिज वेव रेक्टिफायर में 4 डायोड की जरूरत पड़ती है । डायोड को आपस में किस तरह से जोड़ा जाता है इसके बारे में हम आगे अच्छी तरीके से जानेंगे और जो हमने ऊपर चित्र दिखाया हुआ है वह ब्रिज रेक्टिफायर है ।

Rectifier working in hindi | रेक्टिफायर कैसे काम करता है :

पहले आपको हम यही बताएंगे की रेक्टिफायर किस तरह से ac करंट को बदलता है dc करंट में । सबसे पहले बाहर से आ रहा ac करंट को तार की मदद से डायोड के एक सिरे से और दूसरे डायोड के दूसरे सिरे से जोड़ दिया जाता है । इसे जोड़ना किस तरह से हैं वो आप चित्र में देख सकते हैं । इसके बाद बाकि के बचे दो तारों को आप अलग रखें उस तारों में से हमें मिलेगा dc करंट यानि की डायरेक्ट करंट क्योंकि यह करंट एक ही दिशा में बहने वाला होता है इसीलिए ।
आप एक बात जरूर ध्यान रखें जब पॉजिटिव करंट डायोड के एनोड (पॉजिटिव) सिरे से अंदर जाता है तब डायोड उसको आगे जाने देता है लेकिन जब करंट की दिशा बदलने से या अगर हम उसका नेगेटिव करंट डायोड के एनोड (पॉजिटिव) सिरे से अंदर भेजेंगे तो नहीं जाएगा और डायोड उसे रोक देगा क्योंकि डायोड एक ही दिशा में करंट को आगे की ओर बहने देता है । बिल्कुल ऐसा ही रेक्टिफायर में होता है ac करंट की एक ही तार को एक डायोड के पॉजिटिव सिरे से और दूसरे डायोड के नेगेटिव सिरे से जोड़ा जाता है । ऐसा करने से फायदा यह होता है जब एक तार में से पॉजिटिव करंट आएगा तो वह पहले वाले डायोड में से प्रवाहित होगा क्योंकि पहले वाला डायोड का टर्मिनल एनोड (पॉजिटिव) का है ठीक वैसे ही अगर वही तार में से अगर नेगेटिव करंट भी आ जाता है तो वह करंट पहले डायोड की बजाय दूसरे डायोड में से प्रवाहित होगा क्योंकि दूसरा डायोड का टर्मिनल कैथोड (नेगेटिव) का है । पहले वाले डायोड में से इसीलिए नहीं जाएगा क्योंकि नेगेटिव करंट डायोड के पॉजिटिव टर्मिनल से कभी प्रवाहित (अंदर नहीं जाता) नहीं होता ।
Rectifier working diagram in hindi, Rectifier working in hindi
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अब AC करंट हम देंगे डायोड को उसकी तार जोड़ी जाती है डायोड नंबर 1 और डायोड नंबर 2 के टर्मिनल से । ठीक वैसे ही ac करंट की दूसरी तार को जोड़ा जाता है डायोड नंबर 3 और डायोड नंबर 4 के टर्मिनल से ।इसके बाद ac करंट की पॉवर सप्लाई जैसे ही करते हैं ऑन उसके बाद पहली तार जिसमें पॉजिटिव करंट होता है वह डायोड नंबर 2 में से निकलकर बाहर आ जाता है । उसके बाद दूसरी ac करंट की नेगेटिव तार का करंट जाता है डायोड नंबर 4 में से और बाहर निकलता है । ये तो हुई साधारण बात ।
लेकिन जैसे ही ac करंट की दिशा होती है चेंज उसके बाद उसका पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल भी चेंज होता है जिससे तार का कनेक्शन तो वही होता है बस फर्क इतना ही होता है कि नेगेटिव करंट जो कि डायोड नंबर 2 की बजाय डायोड नंबर 1 से बाहर निकलता है ठीक वैसे ही ac करंट का पॉजिटिव करंट जो कि डायोड नंबर 4 की बजाय डायोड नंबर 3 से बाहर निकलता है । इसमें हमें यह देखने को मिलता है ac करंट चाहे कितनी भी बार अपनी दिशा चेंज कर ले पर हमें करंट कांस्टेंट ही मिलेगा और कांस्टेंट करंट dc करंट ही होता है क्योंकि dc करंट बार-बार अपनी दिशा चेंज नहीं करता तो इस प्रकार जो हमें करंट मिलेगा उसका पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल फिक्स्ड ही रहेगा जबकि जहां से ac करंट अंदर जाता है वह दोनों टर्मिनल पॉजिटिव और नेगेटिव बार-बार चेंज होते रहते हैं ।

नोट :

रेक्टिफायर के प्रकार भी होते हैं जैसे कि हाफ वेव रेक्टिफायर, फुल वेव रेक्टिफायर और ब्रिज वेव रेक्टिफायर । ये सभी रेक्टिफायर अलग-अलग तरह से कम करते हैं और इन सभी रेक्टिफायर का काम करने का तरीका भी अलग है । इस आर्टिकल में हमने ब्रिज रेक्टिफायर के बारे में ही बताया है ताकि आपको अच्छी तरह से समझ आ जाये । जबकि कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो बहुत ही कम या ना के बराबर ही हाफ वेव रेक्टिफायर और फुल वेव रेक्टिफायर का इस्तेमाल होता है जबकि अधिकतर ब्रिज रेक्टिफायर का ही इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यही एक ऐसा रेक्टिफायर है पूरा ही करंट को बदलता है । जबकि कुछ रेक्टिफायर आधा ac करंट को या आधा dc करंट को ही बदल पाते हैं ।

Types of Rectifier in hindi | रेक्टिफायर के प्रकार :

रेक्टिफायर के प्रकार कुल तीन हैं जिसके बारे में हमने अलग से आर्टिकल लिखे हुए हैं चाहे तो आप उसके बारे में जान सकते हैं जोकि इस तरह हैं :
  1. हाफ वेव रेक्टिफायर
  2. ब्रिज वेव रेक्टिफायर
  • हाफ वेव रेक्टिफायर :

हाफ वेव रेक्टिफायर ऐसे रेक्टिफायर होते हैं जो ac करंट को आधा ही dc करंट में बदल पाते हैं यानी की इस रेक्टिफायर से मिलने वाला करंट आधा dc करंट होता है आधे dc करंट का मतलब आधा साईकल और इस करंट से बल्ब जलाने पर बल्ब जगेगा-बुझेगा बार-बार क्योंकि dc करंट लगातार नहीं मिलता इसीलिए । हलांकि हाफ वेव रेक्टिफायर का इस्तेमाल बहुत ही कम किया जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल अगर किसी डिवाइस में करें तो डिवाइस लगातार चलेगा नहीं क्योंकि हाफ वेव रेक्टिफायर रुक-रुक कर dc करंट देता है और ये बनता है सिर्फ दो ही डायोड से । और जानें

  • ब्रिज वेव रेक्टिफायर :

ब्रिज वेव रेक्टिफायर सबसे अधिक अधिक मात्रा में इस्तेमाल में लाये जाने वाले वाले रेक्टिफायर होते हैं क्योंकि ये रेक्टिफायर ac करंट को पूरी तरह से dc करंट में बदलने में मदद करते हैं और ऐसे डिवाइस जो dc करंट से चलते हैं उसमें अगर इस ब्रिज वेव रेक्टिफायर को लगा दिया जाए तो डिवाइस बिना किसी प्रॉब्लम के बिना रुके लगातार चलेगा क्योंकि यह करंट लगातार देता रहता है । ब्रिज वेव रेक्टिफायर जोकि चार डायोड से मिलकर बनता है । और जानें

Use of rectifier in hindi | रेक्टिफायर का उपयोग :

रेक्टिफायर का उपयोग या इस्तेमाल कई उपकरणों में किया जाता है और उस उपकरणों में इसका प्रयोग करंट को बदलने के लिए किया जाता है । यानी कि कुछ उपकरण हमारे पास ऐसे होते हैं जो चलते हैं ac करंट पर परन्तु हमारे पास होता है dc करंट । तो इस प्रॉब्लम को दूर करने के लिए ही रेक्टिफायर का किया जाता है इस्तेमाल । जिस-जिस उपकरणों में रेक्टिफायर का उपयोग किया जाता है उसकी लिस्ट नीचे दी गयी है जो कि इस प्रकार है :
  • चार्जर
  • टेलीविज़न
  • रेडियो
  • कंप्यूटर
  • माइक्रोवेव ओवन
  • इन्वर्टर
  • विधुत कनवर्टर

Benefits of rectifier in hindi | रेक्टिफायर के फायदे :

  1. रेक्टिफायर जो की Ac करंट को dc करंट में बदलता है ।
  2. इसकी मदद से DC करंट से चलने वाले उपकरण को AC करंट से चला सकते हैं ।
  3. सर्किट को सुरक्षित रखता है ताकि सर्किट अधिक करंट से सड़ने से बचे ।
  4. हाई वोल्टेज वाले उपकरणों में काम करने की क्षमता ।
  5. Dc करंट की पॉवर सप्लाई करने में योगदान ।

रेक्टिफायर के नुकसान :

  1. करंट बदलने के पश्चात उसमें कुछ कचरा सा रह ही जाता है यानि की हमें करंट पूरी तरह से साफ या शुद्ध नहीं मिलता ।

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