कैमरा चाहे कोई भी हो उसमें में अपर्चर का भी बहुत रोल होता है जब भी हम कोई कैमरा लेने जाते हैं या फिर स्मार्टफोन लेने जाते हैं तो उसमें कैमरे का अपर्चर नंबर दिया जाता है जैसे की f/1.7, f/2.0, f/4.0, f/8.0 इत्यादि । जो लोग फोटोग्राफर होते हैं वो इस अपर्चर की तरफ अधिक ध्यान देते हैं । ताकि कैमरे से ली गयी तस्वीर की क्वालिटी अच्छी आये । सभी कैमरे के साथ अपर्चर की वैल्यू जरूर लिखी जाती है ताकि उस कैमरे को खरीदने वाले लोग कैमरे की अपर्चर वैल्यू को जान सकें । तो चलिए जानते हैं अपर्चर क्या है और यह कैसे काम करता है ।
What is Aperture in hindi | अपर्चर क्या है :
अपर्चर के बारे में बात करें तो यह कैमरे का खोल होता है । कैमरे की बीच में जो खोल होता है वह वही दर्शाता है अपर्चर । इसी खोल के जरिये प्रकाश जाता है कैमरे के अंदर और पड़ता है सेंसर पर जिसके बाद हमें फ़ोटो दिखाई देती है । अगर कैमरे का वही खोल या अपर्चर छोटा होगा उतना ही कम प्रकाश कैमरे के अंदर सेंसर तक पहुंचेगा जिससे फ़ोटो ज्यादा साफ और धुंधली ही दिखाई देती है ।
What is Aperture in hindi |
चित्र में आप देख ही सकते हैं की कैमरे के बीच में जो बिंदु देखाई दे रहा है वह अपर्चर ही है और इसका खोल कितना बड़ा होगा इसकी वैल्यू दर्शायी जाती है नंबर के जरिये जिसकी मदद से हम कैमरे के बारे में जान सकेंगे की कैमरे के बीच में खोल बड़ा है या नहीं यानि की प्रकाश कितनी अधिक मात्रा में कैमरे के अंदर सेंसर तक पहुंचेगा । लेकिन आप एक बात जरूर ध्यान रखें की जितना कम नंबर होगा अपर्चर का उतना ही अधिक प्रकाश कैमरे के अंदर सेंसर तक पहुंचेगा । इसके बारे में हम ओर अच्छी तरीके से आगे ही जानेंगे ।
Aperture working in hindi | अपर्चर कैसे काम करता है :
अपर्चर यानि की एक लेंस में होल होता है जितना बड़ा होल होता है उतना ही ज्यादा मात्रा में प्रकाश सेंसर तक पहुंचता है जिससे फ़ोटो काफी साफ और ब्राइट दिखाई देती है । अपर्चर की वैल्यू जितनी कम होती है उतना ही ज्यादा लेंस का खोल बड़ा होता है । कम नंबर वाले अपर्चर का कैमरे में छेद होता है बड़ा बस उसी छेद में से रौशनी या किसी चीज़ का प्रकाश जाता है सेंसर के अंदर और वही फ़ोटो साफ दिखाई देती है ।
aperture value difference in hindi |
जैसे की आपको चित्र में दिखाई दे रहा होगा की जिस कैमरे का अपर्चर नंबर बड़ा है उसी कैमरे के बीच में छेद भी काफी छोटा है और ठीक वैसे ही जिस कैमरे का अपर्चर नंबर सबसे कम है उस कैमरे के बीच का छेद सबसे बड़ा है यानि की जैसे-जैसे अपर्चर की वैल्यू कम होती जाती है ठीक वैसे ही कैमरे के बीच के छेद का आकार बड़ा होता है जिससे छोटे छेद वाले कैमरे के अंदर प्रकाश कम मात्रा में और बड़े छेद वाले कैमरे के अंदर प्रकाश अधिक मात्रा में पहुंचता है ।
कम अपर्चर नंबर = अधिक मात्रा में प्रकाश का कैमरे के अंदर सेंसर तक जाना
अधिक अपर्चर नंबर = कम मात्रा में प्रकाश का कैमरे के अंदर सेंसर तक जाना
अपर्चर का छोटा नाम क्या है :
अपर्चर का छोटा नाम f है । कैमरे की अपर्चर वैल्यू को दर्शाने के लिए अपर्चर की बजाय f और साथ में उसकी वैल्यू लिखी जाती है जैसे की f/1.2 या f/4.0 । डिटेल अधिक लम्बी ना हो इसीलिए शॉर्टकट तरीक़े से अपर्चर की जगह f लिखा जाता है ।
अधिक अपर्चर की वैल्यू से क्या होता है :
अधिक अपर्चर होने से आप ये मत सोचना की कैमरा काम में नहीं आएगा या फ़ोटो अच्छी नहीं आएगी । कम अपर्चर से फायदा ये भी है की कम नंबर वाले अपर्चर की मदद से कैमरा निकट की चीज़ को फोकस करके बाकि के दूर पड़े चीजों को ब्लर कर देता है जिससे फ़ोटो काफी साफ आती है जैसा की आप चित्र में देख ही सकते हैं की कम नंबर वाले अपर्चर होने से किस तरह कैमरा सिर्फ निकट पड़ी चीजों को ही फोकस कर रहा है । अधिक नंबर वाले अपर्चर से प्रकाश कम मात्रा में कैमरे के अंदर यानि की सेंसर तक पहुंचता है जिससे रात के समय में फ़ोटो बहुत खराब आती है इसका प्रयोग ऐसी जगह में किया जाता है जहाँ प्रकाश पर्याप्त मात्रा में हो और इसका इस्तेमाल बहुत कम होता है । Dslr में भी बड़े-बड़े लेंस का इस्तेमाल किया जाता है वो इसलिए की कम प्रकाश में भी कैमरा अच्छी फ़ोटो कैप्चर कर लेता है और बैकग्राउंड भी ब्लर कर देता है ।रात के समय इसमें थोड़ी प्रॉब्लम आती है ऐसा इसीलिए की निकट object से प्रकाश कैमरे पर नहीं पड़ता इसीलिए लाइट का इस्तेमाल रात के समय किया जाता है ।
कम अपर्चर वैल्यू से क्या होता है :
जिस कैमरे में अपर्चर की वैल्यू काफी कम दी जाती है तो इसका मतलब उस कैमरे से ली गयी तस्वीर साफ ही आएगी क्योंकि कम अपर्चर होने से प्रकाश पर्याप्त मात्रा में कैमरे के अंदर जाता है जिससे फ़ोटो काफी ज्यादा साफ आती है । कम नंबर वाले अपर्चर के कैमरे की एक और खासियत यह है की यह रात के समय में भी अच्छी फ़ोटो ले लेता है ।
अपर्चर में अन्तर :
अलग-अलग नंबर वाले अपर्चर का प्रयोग अलग अलग किया जाता है । कम से कम नंबर वाले अपर्चर का प्रयोग तब किया जाता है जब आप बैकग्राउंड को ब्लर करके निकट पड़ी चीज़ की फ़ोटो लेनी हो । और अधिक नंबर वाले अपर्चर का प्रयोग तब किया जाता है जब सभी ऑब्जेक्ट की फ़ोटो खींचनी हो बिना बैकग्राउंड ब्लर किये जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं ।
कौन सी अपर्चर वैल्यू सही होती है :
अपर्चर की वैल्यू जितनी कम होगी उतनी ज्यादा मात्रा में प्रकाश अंदर जाता है और फ़ोटो काफी साफ दिखाई देती है । कम नंबर वाले अपर्चर का उपयोग बहुत लोग करते हैं इससे कैमरा एक ऑब्जेक्ट पर फोकस करता है और बाकि के ऑब्जेक्ट को ब्लर कर देता है और बैकग्राउंड भी ब्लर कर देता है जिससे फ़ोटो काफी अच्छी दिखाई देती है इसे बोकेश मोड कहा जाता है ।
Bokesh मोड क्या है :
निकट पड़ी चीज़ को फोकस करके पीछे पड़ी या आसपास पड़ी चीज़ों यानि की बैकग्राउंड को ब्लर करना इसे ही बोकेश मोड कहा जाता है । इसमें आपको कई ऑप्शन्स भी मिलते हैं जिससे आप मीटर के हिसाब से किसी ऑब्जेक्ट पर फोकस करके बैकग्राउंड ब्लर कर सकते हैं ।
Blur क्या होता है :
ब्लर करना यानि की धुंधला करना । जब हम पोर्ट्रेट मोड का इस्तेमाल करते हैं तो इससे कैमरा सिर्फ इंसान को ही फोकस करता है और बाकि सब को धुंधला कर देता है और बोकेश मोड की मदद से कोई भी चीज़ को आप फोकस करके अच्छी तस्वीर ले सकते हैं ।
Aperture के फायदे :
- रात या दिन के समय अच्छी तस्वीर को खींचने की क्षमता ।
- दूर रखे समान को ब्लर करना ।
- कम रौशनी में अच्छी तस्वीर खींचने की क्षमता ।
- प्रकाश को कैमरे के अंदर कम या अधिक जाने के लिए कण्ट्रोल करना ।