हेल्लो दोस्तो आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की इन्वर्टर बैटरी क्या है और यह कैसे काम करती है । बहुत से लोग इन्वर्टर बैटरी के बारे में तो जानते हैं लेकिन इन्वर्टर बैटरी कैसे काम करती है यह कम ही लोगों को पता होता है । तो हम आगे इसके बारे में आपको इन्वर्टर बैटरी के बारे में पूरा विस्तार से समझायेंगे । आज के समय में जनरेटर की बजाय इसी प्रकार की इन्वर्टर बैटरी को अधिकतर उपयोग में लाया जाता है क्योंकि इसमें जनरेटर तरह बार-बार खर्चा करने की जरूरत नहीं पड़ती । तो चलिए इन्वर्टर बैटरी के बारे में हम आगे जानते हैं ।
Inverter battery in hindi | इन्वर्टर बैटरी क्या होती है :
इन्वर्टर और बैटरी दोनों अलग-अलग होते हैं जिसको एक साथ जोड़कर ही कहा जाता है इन्वर्टर बैटरी । इन्वर्टर का मुख्य काम होता है बैटरी को कण्ट्रोल करना और बैटरी का मुख्य काम होता है करंट देना और जमा करना । इन्वर्टर बैटरी एक ऐसा उपकरण होता है जो हमें बिजली देने का काम करता है । इसका उपयोग हम तब करते हैं जब घर में बिजली नहीं आती तब यह हमें बिजली देने का काम करता है जिसकी मदद से हम जरूरी उपकरणों को चला सकते हैं जैसे की पंखा, फ्रीज, टीवी इत्यादि । यह बिजली फ्री की बनाता नहीं है बल्कि इसका मुख्य काम होता है बिजली को अपने अंदर स्टोर करके रखना । बैटरी के अंदर विधुत को जमा करके रखा जाता है जबकि इसके ऊपर रखा हुआ बक्सा जिसे इन्वर्टर कहते हैं वह करता है इस बैटरी को कंट्रोल और पॉवर को सप्लाई करना इत्यादि ।
What is inverter battery in hindi |
इन्वर्टर का मुख्य काम होता है बैटरी को ही सुरक्षित तरीके से और पूरी तरीके से चार्ज करना, अधिक वोल्टेज से बैटरी को सड़ने से बचाना, dc करंट को ac करंट में बदलना इत्यादि । जब घर में बिजली होती है तब यह इन्वर्टर बैटरी की करंट को रोककर बाहर से आ रहा विधुत को घर में सप्लाई करता है जब बाहर से विधुत आना बन्द हो जाये तब यह बैटरी के विधुत को घर में सप्लाई करता है । तो कुल मिलाकर आपको इसमें कुछ भी बटन दबाने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि यह सारा काम ऑटोमैटिक करता है । लेकिन जनरेटर में आपको बहुत कुछ करना पड़ता है जैसे की लाइट जाने के बाद जनरेटर को स्पेशल चलाना और लाइट जाने के बाद उसे स्पेशल बन्द करना इत्यादि ।
Inverter बैटरी कैसे काम करती है :
इन्वर्टर बैटरी का काम बहुत स्पेशल नहीं होता और यह काम किस तरह से ऑटोमैटिक तरीके से करता है यह जानने से पहले आप चित्र को देख लीजिये उसके बाद ही आप नीचे पढ़ना शुरू कीजिये ।
Inverter battery working diagram in hindi |
सबसे पहले जब बिजली होती है तब क्या होता है उसके बारे में हम समझेंगे पहले । इसमें जब बिजली होती है तब उस इन्वर्टर के अंदर होता है रिले जो बिजली से चलकर अपना टर्मिनल दूसरे टर्मिनल से जोड़ता है जिससे बैटरी का करंट बाहर नहीं आता हाँ अंदर जरूर जायेगा चार्ज होने के लिए दूसरी तार से वहां से सिर्फ करंट अंदर ही जाता है । जिससे अगर बैटरी चार्ज होनी चाहिए तब होने लगती है । जब बिजली चली जाती है तब इन्वर्टर के अंदर लगा रिले घूम कर दूसरी तार से जुड़ जाता है जिससे बैटरी का करंट बाहर निकलने लगता है और उसी करंट का उपयोग हम करते हैं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चलाने के लिए ।
Parts of Inverter in hindi | इन्वर्टर के पार्ट्स :
एक बैटरी के आलावा इन्वर्टर के अंदर कई सारे पार्ट्स होते हैं जैसे की कनवर्टर, ट्रांसफॉर्मर, रिले इत्यादि । यह वह कनवर्टर होता है जिसका मुख्य काम होता है ac करंट को dc करंट में या dc करंट को ac करंट में बदलना । क्योंकि बैटरी 12 वॉल्ट dc करंट की ही होती है जबकि हमारे घर में ac करंट 240 वॉल्ट चाहिए होता है और 240 वॉल्ट ac करंट की ही बिजली की सप्लाई होती है । तो इसमें कनवर्टर बाहर से आया हुआ ac करंट 240 वॉल्ट को 12 वॉल्ट dc करंट में कन्वर्ट करता है जिससे बैटरी चार्ज होना शुरू होती है । इसके बाद जब बिजली चली जाती है तब बैटरी में जमा 12 वॉल्ट को कनवर्टर की मदद से 240 ac वॉल्ट में बदला जाता है जिससे उसी करंट का उपयोग हम घरों में उपकरणों को चलाने के लिये करते हैं ।
इसके बाद बारी आती है ट्रांसफॉर्मर की । वोल्टेज को बढ़ाने या घटाने के लिए अंदर ट्रांसफॉर्मर को लगाया जाता है । यही मुख्य काम होता है एक ट्रांसफॉर्मर का ।
इसके बाद बारी आती है रिले । इसी की वजह से इन्वर्टर ऑटोमैटिक तरीके से काम करता है । जैसे की बिजली के चले जाने के बाद अपने आप बैटरी का करंट की सप्लाई पुरे घर को करनी । बिजली आने के बाद बैटरी के करंट को रोक कर और बैटरी को चार्ज करना इत्यादि ।
अब बारी आती है फ्यूज की । इसे अधिकतर उपकरणों में लगाया जाता है उपकरणों को बचाने के लिए जैसे की अगर बैटरी पर अधिक मात्रा में लोड डाल दिया जाये यानि की छोटी बैटरी पर ac चलाया जाये और अगर बाहर से अचानक से अधिक वोल्टेज आ जाये वगैरा-वगैरा । इससे इन्वर्टर के खराब होने का खतरा बना रहता है इसी को बचाने के लिए फ्यूज को लगाया जाता है जो खुद चाहे खराब हो सकता है लेकिन अंदर लगे महंगे पार्ट्स को खराब नहीं होने देता है । खुद खराब का मतलब अधिक वोल्टेज फ्यूज का उड़ जाना ।
Types of Inverter in hindi | इन्वर्टर के प्रकार :
आज के समय में कई इन्वर्टर मार्किट में आ चुके हैं और सबकी अपनी-अपनी खासियत और कमियां भी हैं तो चलिए जानते हैं इन्वर्टर के प्रकार के बारे में ।
- साधारण इन्वर्टर :
इस प्रकार के इन्वर्टर की कीमत बाकि के सभी इंवेर्टरों से कम होती है क्योंकि इसमें खास फीचर्स नहीं दिए जाते ताकि कीमत कम से कम हो सके । अगर इसकी पॉवर की बात करें तो यह इन्वर्टर अच्छी तरीके से काम भी कर लेते हैं । इसकी कमी बस आपको यही देखने को मिल सकती है वो है इसमें इंडिकेटर दिया नहीं जाता है । इंडिकेटर ना होने से हमें पता नहीं चल पाता की बैटरी कितनी खाली हो चुकी है या कितना समय लेगी और चार्ज होने में और कितना देर तक यह ओर उपकरणों को चला सकती । ये फीचर्स ना होने पर इंसान के मन में बिजली के जाने के बाद थोड़ी सी टेंशन जरूर हो जाती है जब उपकरणों को वे इन्वर्टर बैटरी से चला लेते हैं फिर उसको ये ही नहीं पता होता है की मैने 5 घन्टे पंखे को चलाया तो अब यह बैटरी कितनी खाली हो चुकी है इसका कुछ नहीं पता होता । जब बैटरी खाली होने वाली होती है तब इसमें वार्निंग दिखाई देती है की बैटरी खाली होने वाली है । यही कमी है इस इन्वर्टर की । इसको सबसे पहले बनाया गया था ।
- स्मार्ट इन्वर्टर :
आज के समय में कंपनियों ने स्मार्ट इन्वर्टर भी बनाने शुरू कर दिए हैं । इसमें अलग से कई सारे फीचर्स दिए जाते हैं जैसे कि बैटरी इंडिकेटर यानी कि बैटरी कितनी चार्ज हो चुकी या या कितनी मात्रा में बैटरी खाली हो चुकी है, wifi कनेक्शन जिसकी मदद से स्मार्टफोन को इन्वर्टर के साथ कनेक्ट कर सकते हैं इन्वर्टर बैटरी को कंट्रोल करने के लिए और भी बहुत कुछ । इस इन्वर्टर में अलग से स्क्रीन दी जाती है जिसमें यह सब फीचर्स को हम देख पाते हैं और बैटरी कितनी देर तक और चलेगी उसका समय भी स्क्रीन के ऊपर ही लिखा होता है जिसकी मदद से हमें यह पता चल पाता है बैटरी कितना समय लेगी चार्ज होने में और खाली होने में । जब ये सब फीचर्स इन्वर्टर में दिए जाते हैं तब उस इन्वर्टर को स्मार्ट इन्वर्टर का नाम दिया गया । अगर इसकी कीमत की बात करें तो इसकी कीमत साधारण इन्वर्टर से अधिक ही होती है । लेकिन इसकी टेक्नोलॉजी सबसे नयी होने के साथ-साथ यह बिजली की खपत साधारण बैटरी से कम ही करती है ।
Inverter का उपयोग :
पहले के समय में इन्वर्टर बैटरी का उपयोग घरों और दुकानों में अधिकतर किया जाता था लेकिन आज के समय में अब इसको थोड़ा सा बदलाव कर इसे लगाया जाने लगा इलेक्ट्रिक व्हीकल में जैसे कि इलेक्ट्रिक रिक्शा, इलेक्ट्रिक कारें इत्यादि । इन्वर्टर बैटरी का उपयोग आज के समय मे काफी जरूरी हो गया है क्योंकि पता नहीं कब बिजली चली जाए जिससे कई बार जरूरी काम बिजली के चले जाने के बाद पूरा नहीं हो पाता ।
Inverter बैटरी के फायदे :
- लंबे समय तक बिजली को जमा करके रखने की क्षमता ।
- बिजली के चले जाने के बाद विधुत को लगातार उपकरणों को चलाने के लिए देना ।
Inverter बैटरी के नुकसान :
- इन्वर्टर बैटरी की कीमत काफी ज्यादा होती है ।
- कई साल चलाने के बाद बैटरी को बदलना पड़ता है यानी ई नयी बैटरी लगानी पड़ती है ।
useful information thanks
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