Step down transformer क्या है | स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर के बारे में

ट्रांसफार्मर के बारे में अधिकतर लोग जानते ही हैं लेकिन ट्रांसफॉर्मर के भी कई प्रकार होते हैं और उनमें से आज के इस आर्टिकल में हम स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के बारे में बात करेंगे । जिसका इस्तेमाल भी आज के समय मे अधिक मात्रा में किया जाता है और किया भी जा रहा है चाहे वह कोई छोटा उपकरण हो इलेक्ट्रॉनिक का या बड़ा या किसी ओर जगहों में । इसका इस्तेमाल किया ही जाता है । तो चलिये जानते हैं स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर क्या है और यह कैसे काम करता है

 

Step down ट्रांसफॉर्मर क्या होता है :

स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर एक ऐसा ट्रांसफॉर्मर है जो कि वोल्टेज को घटाने का काम करता है । ट्रांसफॉर्मर जो कि एक स्टेटिक डिवाइस कहलाता है यानी कि वह डिवाइस जो बिना हिले काम करता है उसमें भी ट्रांसफॉर्मर का भी यही हाल है जो कि बिना आवाज किये और मूव किये बिना काम करता है । स्टेप डाउन के नाम से ही पता चल जाता है कि यह ट्रांसफॉर्मर वोल्टेज को घटाने का काम करता है क्योंकि इसके नाम के आगे लिखा हुआ है स्टेप डाउन और डाउन का मतलब होता है नीचे या कम करना इत्यादि ।

What is Step Down Transformer in hindi
What is Step Down Transformer in hindi

इसके काम के बारे में तो आपको पता चल ही गया होगा कि यह वोल्टेज को घटाने का काम करता है और इसका इस्तेमाल भी ऐसे ही उपकरणों में किया जाता है जहां वोल्टेज कम चाहिये होता है जबकि बाहर से वोल्टेज की मात्रा अधिक आती है तब इसको लगाया जाता है उस उपकरण में जहां वोल्टेज चाहिए होता है कम । लेकिन यह ट्रांसफॉर्मर जो की सिर्फ ac करंट पर ही काम करता है अगर हम बात करें dc करंट की तो यह ट्रांसफॉर्मर dc करंट पर काम नहीं करता । वैसे देखा जाए तो यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है जो कि वोल्टेज को कम करके देता है तभी तो इसका इस्तेमाल आज के समय में चार्जरों में काफी अधिक मात्रा में किया जाता है और किया जा रहा है ।

 

Step Down ट्रांसफॉर्मर कैसे काम करता है :

स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर साधारण ट्रांसफॉर्मर जैसा ही काम करता है लेकिन बिल्कुल अलग भी नहीं । जब स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर को दिया जाता है करंट तब सबसे पहले प्राइमरी वाइंडिंग में करंट जाता है । जिससे प्राइमरी वाइंडिंग में करंट के प्रवाहित होने से उसी वाइंडिंग में चुम्बकीय क्षेत्र बन जाता है और उसी का प्रभाव पड़ता है उसके नीचे लगे कोर पर । जिससे कोर पर भी मैग्नेटिक फ्लक्स जमा होने लगता है । कोर पर मैग्नेटिक फ्लक्स के जमा होने पर मैग्नेटिक फ्लक्स एक जगह से दूसरी जगह पर घूमने लगता है जिससे जब दूसरी वाइंडिंग में भी करंट होने लगता है उतपन्न और वही करंट हमें बाहर मिलता है । लेकिन सेकेंडरी वाइंडिंग में तार की टर्न कम होने से करंट हमें कम ही मिलता है । करंट पहली वाइंडिंग में अधिक ही जाता है लेकिन दूसरी तरफ करंट हमें कम ही मिलता है इसका सबसे बड़ा कारण है दूसरी वाइंडिंग में ताम्बे की तार को कम मात्रा में लपेटा जाना । यही अंतर होता है एक स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर में और साधारण ट्रांसफॉर्मर में ।

Step Down Transformer working diagram in hindi
Step Down Transformer working diagram in hindi

तो इसमें स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर में प्राइमरी वाइंडिंग में ताम्बे की तार को अधिक लपेटा जाता है जबकि सेकेंडरी वाइंडिंग में कम जिसकी वजह से करंट सेकंडरी वाइंडिंग में यानी कि बाहर हमें करंट कम ही मिलता है ।

 

Step Down ट्रांसफॉर्मर कैसे बनता है :

स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर में कोर की आवश्यकता होती है जो बनता है एल्युमिनियम या लोहे की पतली सी शीट्स से जिसे आपस में जोड़ दिया जाता है और वही बन जाता है कोर । फिर इसके बाद इसी कोर के ऊपर लगाई जाती है वाइंडिंग । वाइंडिंग बनती है ताम्बे की तार से । ताम्बे की तार को एक जगह में अधिक मात्रा में लपेटना उसे ही वाइंडिंग या कॉइल कहते हैं । वाइंडिंग को दोनों तरफ आमने सामने लगाया जाता है । लेकिन प्राइमरी वाइंडिंग में तांबे की तार को जितना लपेटा जाता है उससे आधा कम सेकेंडरी वाइंडिंग में तार को लपेटा जाता है तभी तो वोल्टेज हमें कम मिलता है । कोर के ऊपर वाइंडिंग लगाने से पहले विधुत रोधी कागज लगाया जाता है ताकि वाइंडिंग कोर से टच ना हो । इसी वाइंडिंग के ऊपर भी इसी विधुत रोधी कागज़ को लगाया जाता है जिससे मेटल की कोई भी चीज़ उस वाइंडिंग से ना लगे ।

 

Step डाउन ट्रांसफार्मर के उपयोग :

स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर का इस्तेमाल आज के समय में काफी उपकरणों में किया जाता है जैसे कि चार्जरों में, टेलीविज़नों में, इंवेर्टरों में और भी कई उपकरणों में । इन सभी के बारे में हम नीचे आपको बताते हैं बारी-बारी से ।

  • चार्जरों और इंवेर्टरों में :

इन दोंनो उपकरणों में स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर का इस्तेमाल किया जाता है वोल्टेज को कम करने के लिए ताकि बैटरी चार्ज हो सके क्योंकि बैटरी कम वोल्टेज पर ही चार्ज होती है इसीलिए जबकि बाहर से करंट 240 वॉल्ट आता है ।

  • गलियों में :

अगर पॉवर प्लांट की बात करें तो वहां से करंट का वोल्टेज बहुत अधिक मात्रा में यहां तक भेजा जाता है जबकि हमें 240 वॉल्ट चाहिये होता है इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चलाने के लिए तब भी इसी स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर को गलियों में लगाया जाता है वोल्टेज को कम करके घरों को कम मात्रा में करंट देने के लिए । ये सभी उपकरण जो चलते हैं कम वोल्टेज पर जबकि हमारे घरों में 240 वॉल्ट ac पॉवर की सप्लाई होती है तब इन्हीं उपकरणों में इसी स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर का इस्तेमाल किया जाता है जहां यही ट्रांसफॉर्मर जो कि वोल्टेज को कम करने के लिए लगाया जाता है ।

 

Step Down ट्रांसफार्मर की कीमत कितनी होती है :

स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर की कीमत देखा जाये तो तकरीबन 100 रूपए से शुरू हो जाती है और अधिक से अधिक कीमत वाले स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर में आपको अन्तर देखने को मिल सकता है तो वह है ट्रांसफार्मर कितने वोल्टेज और एम्पिअर (amps) देता है हमको । अब यह आपके उपर निर्भर करता है की आप कितने वोल्टेज और amps वाला स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर खरीदना चाहते हैं 

 

Step Down ट्रांसफॉर्मर के फायदे :

  1. स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर जो कि वोल्टेज को कम करने का काम करता है ।
  2. स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कम कीमत में भी उपलब्ध होना ।
  3. स्टेप डाउन अल्टरनेटिव करंट पर ही काम करता है 

 

Step Down ट्रांसफॉर्मर के नुकसान :

  1. कुछ मात्रा में विधुत व्यर्थ चला जाता है इस स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर से ।
  2. स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर जो कि DC करंट पर काम नहीं करता ।

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