ट्रांसफॉर्मर के बारे में अधिकतर लोग जानते ही हैं लेकिन अगर बारीकी से देखा जाए तो ट्रांसफॉर्मर के कई प्रकार होते हैं जैसे कि स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर, स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर, आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर इत्यादि । स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर और स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर दोनों ट्रांसफॉर्मर के बारे में हमने अलग से आर्टिकल लिखा हुआ है जबकि आज के इस आर्टिकल में हम सिर्फ आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर के बारे में ही आपको बताएंगे । जिसका इस्तेमाल आज के समय में अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक के उपकरणों में किया जाता है और आगे भी किया जाएगा । क्योंकि इसी की वजह से अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक के उपकरण जो कि सड़ने से बचते हैं और लंबे समय तक बिना परेशानी के चल पाते हैं । तो चलिए जानते हैं आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर क्या है और यह कैसे काम करता है ।
What is Isolation Transformer in hindi | आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर क्या होता है :
आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर भी एक स्टेटिक ट्रांसफॉर्मर कहलाता है जो काम करता है बिना हिले और मूव किये बिना । यह ट्रांसफॉर्मर स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर और स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर की तरह वोल्टेज को घटाने का और ना ही बढ़ाने का काम करता है बल्कि यह काम करता है प्रोटेक्शन करने का । जैसे कि सर्किट में अधिक या कम वोल्टेज होने से क्या होता है यही की सर्किट खराब हो जाता है अधिक वोल्टेज होने से । बस सर्किट को इसी अधिक वोल्टेज से बचाने के लिए लगाया जाता है इस आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर को ।
What is Isolation Transformer in hindi |
जिसका मुख्य काम होता है स्पाइक को कम करना यानी कि वोल्टेज का अचानक बढ़ना और घटना । इस ट्रांसफॉर्मर को लगाने के बाद जो करंट हमें मिलेगा वह कांस्टेंट होगा । क्योंकि यह वोल्टेज को एक तरह से नॉर्मल करके देता है यानी कि वोल्टेज ना अधिक होगा और ना ही ज्यादा कम ।
दूसरी तरफ अगर देखा जाए तो आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर जो कि सिर्फ AC करंट पर ही काम करता है जबकि यह ट्रांसफॉर्मर DC करंट पर काम नहीं करता । यही एक कमी आपको देखने को मिल सकती है आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर में । यह कमी सिर्फ आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर में ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के ट्रांसफॉर्मर में देखने को मिलती है । सभी ट्रांसफॉर्मर जो कि सिर्फ AC करंट पर ही काम करते हैं । बस यही खासियत होती है इस आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर की जबकि आगे हम इसके बारे में ओर जानेंगे कि यह ट्रांसफॉर्मर कैसे काम करता है ।
Isolation Transformer working in hindi | आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर कैसे काम करता है :
आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर जो कि साधारण ट्रांसफॉर्मर जैसे ही काम करता है लेकिन इसका काम होता कुछ ओर ही है । सबसे पहले जब आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर को करंट फ़िया जाता है प्राइमरी वाइंडिंग से तब इस प्राइमरी वाइंडिंग में करंट प्रवाहित होने लगता है जिससे उस वाइंडिंग के आसपास बन जाता है एक मैग्नेटिक फील्ड, जिसे चुम्बकीय क्षेत्र भी कहते हैं । इसके बाद यही मैग्नेटिक फील्ड का असर पड़ता है उस मेटल की कोर पर जिससे उसी कोर में मैग्नेटिक फ्लक्स जमा होने के बाद प्रवाहित होने लगता है एक जगह से लेकर दूसरी जगह । एक जगह से दूसरी जगह तक मैग्नेटिक फ्लक्स के प्रवाहित होने से या घूमने से जब दूसरी सेकण्डरी वाइंडिंग इसके अंतर्गत आती है तब सेकंडरी वाइंडिंग में भी करंट लगता है बनने इसी मैग्नेटिक फ्लक्स के कारण और यह करंट बाहर निकलता है या हमें मिलता है ।
Isolation transformer working diagram in hindi |
इस आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर की तरफ अगर ध्यान से देखा जाए तो प्राइमरी वाइंडिंग और सेकंडरी वाइंडिंग की टर्न एक जैसी ही होती है यानी कि जितनी बार प्राइमरी वाइंडिंग में तांबे की तार को लपेटा जाता है ठीक उतनी ही बार सेकंडरी वाइंडिंग में तांबे की तार को लपेटा जाता है । जबकि अगर हम इसकी तुलना किसी ओर ट्रांसफॉर्मर से करते हैं जैसे कि स्टेप डाउन और स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर से, तो इन दोनों ट्रांसफॉर्मर में प्राइमरी वाइंडिंग और सेकंडरी वाइंडिंग में तारों की टर्न कम या ज्यादा होती है लेकिन आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर में ऐसा नहीं होता । आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर में प्राइमरी वाइंडिंग और सेकंडरी वाइंडिंग में तारों की टर्न एक जैसी ही रखी जाती है ।
प्राइमरी वाइंडिंग और सेकंडरी वाइंडिंग में तारों की टर्न एक जैसी होने से यह ट्रांसफॉर्मर वोल्टेज को ना ही बढ़ा पाता है और ना ही कम कर पाता है, तो इससे फायदा बस होता यही है कि जब बाहर से वोल्टेज अगर अचानक से बढ़ जाता है तब यह ट्रांसफॉर्मर जितना हो सके वोल्टेज को कम करके आगे जाने देता है लेकिन बहुत कम भी नहीं । मान लो यह ट्रांसफॉर्मर 240 वॉल्ट पर काम करता है और अगर बाहर से कभी वोल्टेज 260 या 230 वॉल्ट आ रहा है तो यह ट्रांसफॉर्मर 250 वॉल्ट को ही आगे जाने देगा । जिससे कुछ हद तक उपकरणों को प्रोटेक्शन मिल ही जाती है और बाद में तो वोल्टेज का लेवल सही हो जाता है । यही मुख्य काम होता है इस आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर का किसी उपकरणों को प्रोटेक्शन करने का ।
जानिए ट्रांसफार्मर के प्रकार
Use of Isolation Transformer in hindi | आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर का उपयोग :
इस आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर का अधिकतर उपयोग ऐसे उपकरणों में ही किया जाता है जिस उपकरण में कभी अधिक या कभी कम वोल्टेज अंदर जाता हो और वह उपकरण ठीक से काम भी नहीं कर पाते और उन उपकरणों का अधिक वोल्टेज से चलने के कारण सड़ने का भी खतरा बना रहता है और जो उपकरण महँगे होते हैं उनमें ही इन आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर का उपयोग किया जाता है । जैसे कि टेलीविज़न, इंडक्शन कुकर और भी कई सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण । अब आज के समय में बहुत से इलेक्ट्रॉनिक के उपकरण ऐसे हैं जिसमें इस आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर का उपयोग किया जा रहा है ।
Advantages of Isolation Transformer in hindi | आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर के फायदे :
- सर्किट के सड़ने का खतरा इस आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर से कम हो जाता है ।
- आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर प्रोटेक्शन देने का काम करता है ।
- आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर की कीमत भी कम ही होती है ।
- आइसोलेशन ट्रांसफार्मर अल्टरनेटिव करंट पर ही काम करता है ।
Disadvantages of Isolation Transformer in hindi | आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर के नुकसान :
- आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर जो कि DC करंट डायरेक्ट करंट पर काम नहीं करता ।
- यह ट्रांसफॉर्मर ना तो वोल्टेज को बढ़ाने का काम करता है और ना ही वोल्टेज को घटाने का ।