स्मार्टफोन कैसे खरीदें | Smartphone buying guide in hindi

आज के समय में हो गया है सभी के लिये मनपसंदीदा डिवाइस स्मार्टफोन जरूरी लेकिन इस डिवाइस को खरीदने के बाद हैंग होने की समस्या देखने को मिलती रहती है उसका कारण है गलत फ़ीचर्स या फिर गलत प्रकार के स्मार्टफोन को सेलेक्ट कर लेना बस इसीलिए मैं आर्टिकल में आपको जरूरी टिप्स के बारे में ही बताने वाले हैं ताकि आप खरीद सकें एक सही स्मार्टफोन को । स्मार्टफोन सीधा ही नहीं खरीदा जाता है देख परख कर लेना होता है और मैं ऐसा ही करता हूँ तो चलिए जानते हैं पूरी डिटेल के साथ ।

Smartphone buying guide in hindi
Smartphone buying guide in hindi

स्मार्टफोन खरीदने के लिए जरूरी टिप्स :

मैं बहुत से पॉइंट के बारे में नीचे बात करने वाला हूँ ताकि आप को अच्छी तरह से पता चल सके और साथ में मैं आपको उसकी खासियतों के बार में भी बताने वाला हूँ और उन पॉइंट्स के नाम जो की इस प्रकार है :

  • प्रोसेसर :

सबसे पहले हमेशा प्रोसेसर की तरफ ही ध्यान देना पड़ता है चाहे स्मार्टफोन हो, कंप्यूटर हो या फिर लैपटॉप क्योंकि यही डिवाइस का मुख्य दिमाग होता है । स्मार्टफोन हैंग तो इसी कारण से होते हैं जब प्रोसेसर की पॉवर कम होती है स्मार्टफोन में । प्रोसेसर के कमजोर होने से यानि की पॉवर कम होने से प्रोसेसर काम धीरे-धीरे करता है जिससे एक एप्लीकेशन को खोलने में समय भी अधिक ले लेता है जितना अधिक प्रोसेसर की पॉवर बढ़ाई जाती है स्मार्टफोन में उतनी ही स्पीड बढ़ती जाती है जिससे आप कोई भी काम करो जल्दी से होता रहेगा । स्मार्टफोन लेने से पहले आप कोशिश कीजियेगा की उसमे प्रोसेसर की पॉवर अधिक से अधिक हो । अगर स्मार्टफोन में प्रोसेसर की पॉवर अधिक होगी तभी स्मार्टफोन काम तेज़ करेगा जिससे आप अगर कोई एप्लीकेशन खोलते हैं तो एप्लीकेशन जल्दी से खुलेगी ।

    • कैसे पहचाने की स्मार्टफोन में प्रोसेसर पॉवरफुल लगा है या नहीं :

दोस्तो इसको पहचानने के लिए आपको सभी प्रोसेसर के बारे में उसकी डिटेल जाननी होगी मुझे भी ऐसे ही पता चला बस आप एक प्रोसेसर कंपनी को सेलेस्ट कीजिये उसके बाद उसके नंबर की तरफ देखें जितने नंबर कम होते हैं उतनी ही पॉवर अधिक होती है प्रोसेसर की लेकिन एक कंपनी की तरफ से बनाये हुए प्रोसेसर के नंबर को दूसरी प्रोसेसर से तुलना नहीं की जाती क्योंकि कुछ कंपनियों के प्रोसेसर के नंबर 1 से शुरू होते हैं और कुछ के 400 से शुरू ।

अगर आप कुछ स्मार्टफोन को सेलेक्ट कर चुके हैं तो आप सभी स्मार्टफोन के प्रोसेसर के नाम और नंबर को कॉपी में लिखकर इंटरनेट में जाकर उसकी तुलना कीजिये जैसे की स्नैपड्रैगन प्रोसेस्सर 712 vs मीडियाटेक प्रोसेसर G-90 T बेंचमार्क स्कोर टेस्ट । एक प्रोसेसर की तुलना दूसरे प्रोसेसर के साथ करने के लिए आप इंटरनेट पर सर्च कर सकते हैं जिसके बाद आपको पता चल जायेगा की जिस प्रोसेसर का बेंचमार्क स्कोर अधिक होगा उस प्रोसेसर की स्पीड तेज़ ही होगी ।

  • रैम :

अब आप सोचेंगे की स्मार्टफोन में जितनी अधिक रैम होगी स्मार्टफोन चलेगा उतना ही तेज़ लेकिन अधिक रैम होने से रैम की मैमोरी ही बढ़ती है और अधिक रैम होने स्मार्टफोन में आप एक साथ कई एप्लीकेशन को खोलकर रख सकते हैं या काम कर सकते हैं । रैम के कम हो जाने से स्पीड जरूर कम हो जाती है स्मार्टफोन की लेकिन रैम के अधिक होने से स्मार्टफोन की स्पीड बढ़ती ही नहीं । अब आपके स्मार्टफोन में रैम कितनी चाहिए यह निर्भर करता है आपके ऊपर यानि की अगर आप गेम्स खेलने के लिए या फिर वीडियो एडिटिंग के लिए ही स्मार्टफोन लेना चाहते हैं तो स्मार्टफोन में अधिक से अधिक 6GB रैम काफी है इससे ऊपर तो जरूरत नहीं पड़ेगी और ना ही पड़ती है और साधारण काम के लिए अधिक से अधिक 3GB या 4GB रैम ही काफी है ।

  • कैमरा :

स्मार्टफोन में कैमरा जरूरी नहीं है की उसमें अगर 64मेगापिक्सेल वाला कैमरा होगा तभी फोटो आएगी अधिक साफ लेकिन स्मार्टफोन के कैमरे से अच्छी और साफ फ़ोटो खींचने के लिए सेंसर ला बड़ा होना भी बहुत ही जरूरी है । सेंसर का आकार जितना बड़ा होता है स्मार्टफोन के कैमरे में उतनी ही फ़ोटो ज्यादा साफ आती है । सेंसर का आकार है कितना बड़ा है उसकी डिटेल स्मार्टफोन के साथ ही लिखी जाती है या बॉक्स के पीछे ।

  • चार्जर और बैटरी :

स्मार्टफोन में बैटरी जितनी बड़ी होगी उतना ही लम्बा बैटरी बैकअप देखने को मिलता है स्मार्टफोन और बैटरी की पॉवर अधिक है या नहीं बैटरी बड़ी है या नहीं इसको पहचानने का भी एक तरीका है बैटरी की डिटेल साथ में बताई ही जाती है स्मार्टफोन लेने से पहले जैसे की इस स्मार्टफोन में 3000mah की बैटरी है उस स्मार्टफोन में 3500mah की बैटरी लगी है जितने अधिक नंबर होते हैं बैटरी के उतना ही बैटरी स्मार्टफोन को अधिक देर तल चलाने में होती है सक्ष्म । बैटरी को जल्दी से अगर आप चार्ज करना चाहते हैं तो आप ऐसा स्मार्टफोन भी ले सकते हैं जिसमें फ़ास्ट चार्जर दिया गया हो । चार्जर फ़ास्ट है या नहीं इसको पहचानने के लिए स्मार्टफोन के बॉक्स के ऊपर लिखा होता है या फिर दुकानदार बता देते हैं की इसमें इतने वॉट का चार्जर लगा है जैसे की 5 वॉट, 10 वॉट, 15 वॉट, 18 वॉट, 20 वॉट, 30 वॉट, 60 वॉट, 120 वॉट । जितने अधिक वॉट होंगे चार्जर के उतना ही जल्दी स्मार्टफोन की बैटरी जल्दी से चार्ज हो जाती है । लेकिन आप एक बात जरूर ध्यान रखना की फ़ास्ट चार्जर उसी स्मार्टफोन में लगाया जाता है जो फ़ास्ट चार्जिंग स्पीड को सपोर्ट करता हो क्योंकि अगर स्मार्टफोन फ़ास्ट चार्जिंग को सपोर्ट नहीं करता है तो बैटरी फूलने लगती है । जिस स्मार्टफोन के साथ फ़ास्ट चार्जर दिया जाता है उस चार्जर को आप यूज़ कर सकते हैं कोई प्रॉब्लम आने वाली नहीं है और ना ही फूलेगी स्मार्टफोन की बैटरी ।

  • चार्जिंग पोर्ट :

आज के समय में स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए दो प्रकार के पोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है usb 2.0 पोर्ट या फिर टाइप-c पोर्ट । इनमें से usb 2.0 पोर्ट की टेक्नोलॉजी अभी तो पुराणी हो चुकी है जबकि टाइप-c पोर्ट नई टेक्नोलॉजी पर बनी है और इसकी स्पीड काफी तेज़ होती है । टाइप-C पोर्ट अधिकतर महँगे स्मार्टफोन में ही किया जाता था पहले लेकिन आज के समय मे अब इसका उपयोग अब उन स्मार्टफोन में भी किया जा रहा है जिसकी कीमत तकरीबन 10000 रुपये से ऊपर होती है । टाइप-C पॉर्ट की खासियत यही है कि इसकी मदद से आप डेटा ट्रांसफर कर सकते हैं डेटा केबल की मदद से वो भी हाई स्पीड के साथ जबकि usb-2.0 की डेटा ट्रांसफर स्पीड काफी कम है । इसके अलावा usb-2.0 तो फ़ास्ट चार्जिंग स्पीड को सपोर्ट तो कर ही लेती है लेकिन टाइप-c इस पॉर्ट से भी काफी आगे निकल जाता है । अगर आप 20000 रुपये से ऊपर का स्मार्टफोन लेना चाहते हैं तो आप टाइप-c पॉर्ट वाला स्मार्टफोन लेने की कोशिश ही करें बाकी आपकी मर्जी है ।

  • डिस्प्ले :
स्मार्टफोन में अलग-अलग प्रकार की डिस्प्ले लगाई जाती है जैसे कि TFT डिस्प्ले इसका इस्तेमाल सिर्फ बहुत ही सस्ते स्मार्टफोन में ही किया जाता है क्योंकि इसकी कीमत कम है काफी कम लेकिन इसकी टेक्नोलॉजी अब बहुत पुरानी हो चुकी है इसीलिए अगर आप इसमें वीडियो देखते हैं तो आपको अच्छी क्लेरिटी के साथ वीडियो नहीं दिखेगी । इसके बाद IPS डिस्प्ले सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली डिस्प्ले है और इसका इस्तेमाल भी मिड रेंज वाले स्मार्टफोन में किया जाता है और ठीक वैसे ही एमोल्ड और सुपर एमोल्ड डिस्प्ले का । लेकिन सुपर एमोल्ड थोड़ी से आगे निकल जाती है एमोल्ड डिस्प्ले से । सुपर एमोल्ड डिस्प्ले का इस्तेमाल भी महँगे स्मार्टफोन में ही किया जाता है । इसके अलावा एप्पल जैसे स्मार्टफोन में तो अधिकतर रेटिना डिस्प्ले का ही इस्तेमाल किया जाता है जो कि आंखों को नुकसान कम ही मात्रा में पहुंचाती है । अगर आपका बजट है 5000 रुपए से ऊपर तो आप कोशिश कीजियेगा ऐसा स्मार्टफोन लेने की जिसमें TFT डिस्प्ले ना लगी हो क्योंकि यह डिस्प्ले आंखों को नुकसान पहुंचाती है अधिक मात्रा में ।
  • वर्ज़न :
स्मार्टफोन चलते हैं दो वर्ज़न में एक है एंड्राइड वर्ज़न और दूसरा है ios वर्ज़न । इसमें अधिकतर स्मार्टफोन तो आते हैं एंड्राइड वर्ज़न में लेकिन ios वर्ज़न वाले स्मार्टफोन एक ही कंपनी के देखने को मिलते हैं और वो कंपनी है एप्पल । एप्पल कंपनी ने के सभी स्मार्टफोन में ios वर्ज़न देखने को ही मिलता है और इसकी स्पीड एंड्राइड वर्ज़न से अधिक होती है । आप एक बात जरूर ध्यान रख लेना कि एंड्रोइड वर्ज़न वाले स्मार्टफोन का डेटा जैसे कि एप्लीकेशन ios वर्ज़न में नहीं चलते हैं उसके लिए ios वाले एप्लीकेशन ही चलती हैं और ठीक वैसे ही ios वाले स्मार्टफोन में पड़ी एप्लीकेशन को आप एंड्राइड स्मार्टफोन में ट्रांसफर करोगे तो वही एप्लीकेशन चलेगी नहीं क्योंकि एप्लीकेशन एंड्राइड वर्ज़न के लिए अलग बनाई गई है और ios वर्ज़न के लिए अलग । हां ios वाले एक स्मार्टफोन एप्लीकेशन दूसरे ios वाले स्मार्टफोन में ट्रांसफर करके चला सकते हैं और एंड्राइड में भी आप ऐसा कर सकते हैं ।

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