Drone क्या है और Drone कैसे काम करता है

ड्रोन के बारे में जरूर सुना होगा आपने जिसको उड़ाया जाता है रिमोट कण्ट्रोल की मदद से । ड्रोन क्या है इसके बारे में तो आपको जरूर पता होगा लेकिन हम साथ में ये भी बताएंगे की ड्रोन कैसे काम करता है । आज के समय यह काफी पॉपुलर हो रहा है और इसका इस्तेमाल भी खास कामों के लिए लिया जाता है तो चलिए शुरू करते हैं ड्रोन के बारे में जानने के लिए ।
 
What is drone in hindi
What is drone in hindi

 

What is Drone in hindi | Drone क्या है :

ड्रोन इलेक्ट्रॉनिक का एक ऐसा उपकरण है जिसको रिमोट कंट्रोल की मदद से हवा में उड़ाया जाता है । रिमोट कंट्रोल में सिर्फ बटन ही होते हैं जिसको घुमाने से और दबाने से ड्रोन को उड़ाया जाता है जैसे की ड्रोन को ऊपर ले जाने के लिए अलग बटन, ऊपर जाने के लिए अलग बटन, दायें और बाएं मुड़ने के लिए अलग बटन वगैरा-वगैरा । इसके अलावा भी और भी बटन दिए जाते हैं जिसकी मदद से कंट्रोल किया जाता है ड्रोन को । ड्रोन के कई प्रकार होते हैं जैसे की quad (क्वैड) कॉप्टर, ड्यूल कॉप्टर, हेक्सा कॉप्टर, ऑक्टा कॉप्टर इत्यादि । इनके बारे में भी मैं आपको इसी आर्टिकल में बता दूंगा और आप एक बात जरूर ध्यान रखें कि ये सभी प्रकार के ड्रोन काम एक जैसा ही करते हैं और काम करने का ढंग भी एक जैसा ही होता है ।

 

Parts of drone in hindi | ड्रोन के पार्ट्स :

ड्रोन को बनाने के लिए और ड्रोन तभी काम करता है जब ये सब पार्ट्स को एक साथ जोड़कर बनाया जाता है उसे ही कहा जाता है ड्रोन । ड्रोन के पार्ट्स के नाम जैसे कि बॉडी, मोटर, प्रोपेलर, सेंसर, रसीवर, रिमोट, स्पीड कंट्रोलर, बैटरी इत्यादि । इसके अलावा कुछ ड्रोन ऐसे होते हैं जिसमें अलग से गिम्बल कैमरा और कुछ सेंसर लगाए जाते हैं तो चलिए अब हम इसके बारे में डिटेल से जानते हैं ।

 

  • मोटर :
सबसे मुख्य पार्ट ड्रोन में होता है उसका इंजन यानी कि मोटर यही ड्रोन को ऊपर उठाने का काम करता है । यह मोटर स्पेशल मोटर होती है । ड्रोन में अधिकतर BLDC मोटर का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन 1 से 5 प्रतिशत ड्रोन ऐसे होते हैं जिसमें dc मोटर का इस्तेमाल किया जाता है । इसमें से सबसे तेज़ चलने वाली और पॉवरफुल मोटर bldc मोटर ही होती है इसीलिए इसी प्रकार का इस्तेमाल अधिकतर किया जाता है । मोटर को कनेक्ट किया जाता है सीधा ही स्पीड कंट्रोलर से ।
 
Parts of drone in hindi
Parts of drone in hindi
  • प्रोपेलर :
प्रोपेलर को पर यानी कि पंखा भी कहा जाता है जिसे लगाया जाता है मोटर के ऊपर । प्रोपेलर के दो प्रकार होते हैं जिसे CW और CCW का नाम दिया गया है । दोनों को अगर हम इसे अलग-अलग दिशा में घुमाएंगे तो ही हवा या तो आगे होगी या पीछे अगर दोनों को एक ही दिशा में घुमाते हैं तो उसमें से एक प्रोपेलर निचे की तरफ हवा मारेगा और दूसरा ऊपर की तरफ ऐसा क्यों किया जाता है वो हम आपको आगे बताएंगे ।

 

  • स्पीड कंट्रोलर :
स्पीड कंट्रोलर का मुख्य काम होता है मोटर की स्पीड को कंट्रोल करना । जितनी मोटर लगाई जाती है ड्रोन में उतनी ही मात्रा में लगाया जाता है स्पीड कंट्रोलर को । अगर ड्रोन में मोटर चार है तो स्पीड कंट्रोलर भी चार ही लगेंगे और इसे तार के जरिये सीधा ही मोटर और सेंसर (कंट्रोलर) से कनेक्ट किया जाता है ।

 

  • सेंसर (कंट्रोलर) :
सेंसर यह भी मुख्य पॉर्ट होता है हर ड्रोन में । यह सेंसर एक तरह से गयरोस्कोप का काम करता है । ड्रोन का कौन सा हिस्सा झुका और कौन सा हिस्सा ऊपर की तरफ है यह सब कुछ इसको पता चलता है । ड्रोन को पूरी तरह से स्टेबल और सीधा रखने के लिए इसे लगाया जाता है । सेंसर को सभी स्पीड कंट्रोलर से और रसीवर से तार की मदद से कनेक्ट किया जाता है ।

 

  • रसीवर :
यह भी ड्रोन का मुख्य हिस्सा होता है । इसका मुख्य काम होता है सिग्नल को पकड़ना । सिग्नल आता है रिमोट कंट्रोल से । रिमोट कंट्रोल से जो भी सिग्नल यानी कि कमांड आती है उसे पकड़ने का या रिसीव करने का काम इसी का होता है । इसे कनेक्ट किया जाता है सीधा सेंसर से ।

 

  • बैटरी :
बैटरी के बारे में तो आपको पता ही होगा । इसका मुख्य काम होता है ड्रोन के अंदर लगे सभी कंपोनेंट्स को करंट देना जिसकी वजह से ही ड्रोन उड़ पाता है । लेकिन ड्रोन में ऐसी बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है जिसका वजन बहुत कम और पॉवर अधिक हो । वजन कम होने से ही ड्रोन उड़ पायेगा और मोटर जो कि बाकी पार्ट्स के मुक़ाबले सबसे अधिक करंट की खपत करती है इसीलिए पॉवरफुल बैटरी को लगाया जाता है । जबकि यह बैटरी काफी अधिक महंगी होती है । रिमोट कंट्रोल में भी बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है ।

 

  • फ्रेम या बॉडी :
इन सब पार्ट्स को रखा जाता है फ्रेम पर और सभी पार्ट्स को जिस चीज़ से ढका जाता है उसे बॉडी कहते हैं । बॉडी का वजन काफी हल्के से हल्का बनाया जाता है ।

 

  • गिम्बल कैमरा :
कुछ ड्रोन में लगाया जाता है गिम्बल कैमरे को । आसमान में ड्रोन उड़ाकर अलग-अलग जगहों को देखना हो ऊपर से या दूर तक ड्रोन उड़ाने के लिए कैमरे से ही देखा जाता है इसके कारण ही हमें चल पाता है दिशा के बारे में । गिम्बल को कैमरे के साथ इसीलिए लगाया जाता है ताकि कैमरे को हम किसी भी दिशा में घुमा सकें । गिम्बल में छोटी मोटर का इस्तेमाल किया जाता है । जो कैमरे को अलग-अलग दिशा में घुमाने का काम करती है ।

 

  • रिमोट कंट्रोल :
रिमोट कंट्रोल होता है हमारे हाथ में । इसके ऊपर काफी बटन और जॉयस्टिक बटन भी लगे होते हैं, जिसकी मदद से ड्रोन को उड़ाया और उसे कंट्रोल किया जाता है । जिस ड्रोन में कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है उसकी वीडियो देखने के लिए अलग से हम स्मार्टफोन को रिमोट कंट्रोल से कनेक्ट करके वीडियो देख सकते हैं । स्पेशल रिमोट कंट्रोल में पहले से स्क्रीन भी आपको मिल जाती है ।

 

Drone working in hindi | Drone कैसे काम करता है :

यह सबसे मुख्य चीज़ है जो आपको जानना जरूरी है कि ड्रोन कैसे काम करता है । ड्रोन में सबसे पहले काम शुरू होता है हमारे रिमोट कंट्रोल से । रिमोट कंट्रोल से अगर हम ड्रोन को उड़ाने के लिए बटन दबाते हैं तो रिमोट से सिग्नल निकलता है और वही सिग्नल पकड़ता है ड्रोन का रसीवर । रसीवर जो कि वही सिग्नल को पकड़कर सेंसर (कंट्रोलर) को देता है जहां सेंसर (कंट्रोलर) सिग्नल को जानकर स्पीड कंट्रोल को देता है निर्देश । इसके बाद स्पीड कंट्रोलर मोटर को करंट देता है जिसकी वजह से मोटर घूमती है और ड्रोन उड़ता है ।
Drone working diagram in hindi
ड्रोन कितनी स्पीड से उड़ेगा और उसकी स्पीड कितनी होगी यह रिमोट कंट्रोल पर निर्भर करती है । रिमोट कंट्रोल में जॉयस्टिक बटन से जितनी स्पीड को बढ़ाते हैं उतना ही ज्यादा स्पीड कंट्रोलर मोटर को अधिक करंट देती है जिससे मोटर तेज़ चलती है । आप एक बात जरूर ध्यान रखें कि ड्रोन की चार मोटर सभी एक दिशा में नहीं घूमेगी । सभी मोटर एक ही दिशा में घूमने से ड्रोन गोल-गोल घूमने लगता है । ड्रोन गोल-गोल ना घूमे और ड्रोन एक ही जगह पर कांस्टेंट खड़ा रहे उसके लिए दो मोटर को अलग दिशा में और बाकी की दो मोटर को अलग दिशा में घुमाया जाता है जिससे ड्रोन एक ही जगह पर टिक कर खड़ा रह सकता है हवा में ।

 

Types of drones in hindi | ड्रोन के प्रकार :

हमने अपको जो भी चित्र दिखाए हैं और उसके बारे में बताया है उस ड्रोन का नाम है quad (क्वैड) कॉप्टर और इसके प्रकार कई हैं जैसे कि ड्यूल कॉप्टर, क्वैड कॉप्टर, हेक्सा कॉप्टर और ऑक्टा कॉप्टर ।
  • ड्यूल कॉप्टर :
जिस ड्रोन में सिर्फ दो ही मोटरों का इस्तेमाल किया जाता है उसे ड्यूल मोटर कहते हैं और ड्यूल का मतलब होता है दो । इस ड्रोन का इस्तेमाल बहुत कम या एक्सपेरिमेंट के लिए किया जाता है क्योंकि इस प्रकार के ड्रोन सही से उड़ नहीं पाते क्योंकि दो मोटर को ड्रोन के चारों कोनों को कंट्रोल करने काफी मुश्किल होता है इसीलिए ।

 

  • क्वैड कॉप्टर :
क्वैड का मतलब होता है चार, इस ड्रोन में कुल चार मोटर का इस्तेमाल किया जाता है । ये ड्रोन काफी ज्यादा इस्तेमाल होते हैं क्योंकि ये हवा में अपने आप को पूरी तरह से या तेज़ हवा में अपने आप को पूरी तरह स कंट्रोल करने में और उड़ने में सक्षम होते हैं इसीलिए इसका अधिकतर इस्तेमाल किया जाता है । लेकिन फ़िल्म इंडस्ट्रियों में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है । छोटे और तंग रस्ते में इसको उड़ान आसान होता है ।

 

  • हेक्सा कॉप्टर :
हेक्सा का मतलब होता है 6, इस ड्रोन में 6 मोटरों को लगाया जाता है जिससे यह मोटर ड्रोन को सही तरीके से हवा में उड़ाने में सहायता कर्ट्स हैं । इन ड्रोन के बैलेंस कम ही बिगड़ता है । लेकिन ये ड्रोन महँगे और वजन में भारी और आकार में बड़े होते हैं । छोटे और तंग रस्ते में इसको उड़ान काफी मुश्किल होता है । इस ड्रोन का अधिकतर उपयोग फ़िल्म इंडस्ट्रियों में फ़िल्म की शूटिंग करने के लिये किया जाता है ।

 

  • ऑक्टा कॉप्टर :
ऑक्टा का मतलब होता है आठ, ठीक वैसे ही इस ड्रोन में 8 मोटरों को लगाया जाता है । जितनी अधिक मोटरों को लगाया जाता है ड्रोन में उतना ही अधिक ड्रोन भारी भरकम समान को उठाकर हवा में बिना बैलेंस बिगड़े जा सकता है । यही इस ड्रोन की खासियत होती है । इस प्रकार के ड्रोन को प्रोफेशनल और भारी समान उठाने के लिए ही लाया जाता है जैसे कि फ़िल्म की शूटिंग करने के लिए भारी कैमरे को उठाना इत्यादि ।

 

Use of drone in hindi | ड्रोन का उपयोग :

इसका उपयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है इसके बिना काम में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है । किन-किन जगहों में किया जाता है इसका उपयोग उसकी लिस्ट जो कि इस प्रकार है :

 

  • फ़िल्म इंडस्ट्रियों में :
फ़िल्म बनाने के लिए हर कंपनियां ड्रोन का इस्तेमाल करती ही हैं । आसमान से चलती ही गाड़ी की वीडियो बनाने के लिए या पानी के ऊपर से वीडियो बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है । ये ड्रोन स्पेशल बनाये जाते हैं फ़िल्म इंडस्ट्रियों के लिए और इनमें कैमरा अलग से भी लगाने का ऑप्शन मिलता है । लेकिन ये ड्रोन बड़े और वजन में भारी और काफी महँगे होते हैं और इसमें बहुत सारे सेंसर भी दिए जाते हैं ।

 

  • एमरजेंसी कामों के लिए :
आज के समय में सबसे ज्यादा इमरजेंसी होती है अस्पतालों में जब किसी की जान बचाने के लिए दूर जाना होता है या दवाई लानी पड़ती है तो इन सब प्रॉब्लम को देखते हुए कंपनियों ने इसे ड्रोन बनाने शुरू किए हैं जिसकी मदद से किसी की जान बचाई जा सकती है । इस ड्रोन की मदद से इमरजेंसी किट भेजी जा सकती है जब जाने के लिए रास्ता ब्लॉक हो गया हो तब इस ड्रोन की मदद से जरूरी सेवाएं हम भेज सकते हैं ।

 

  • किसी और कामों में :
इसके अलावा इसका उपयोग किसी और कामों के लिए भी किया जाता है जैसे कि समान एक जगह से दूसरे जगह भेजना इत्यादि ।

 

Advantages of drone in hindi | ड्रोन के फायदे :

  1. दूर का काम घर बैठे इस ड्रोन से किया जा सकता है जैसे कि समान पहुंचाना या लाना इत्यादि ।
  2. हवा में स्टेबल होकर वीडियो की शूटिंग करने के लिए यह ड्रोन काफी मददगार साबित होता है ।
  3. इंसानों का काम यह ड्रोन चुटकियों में और अकेला ही कर देता है ।
 

Disadvantages of drone in hindi | ड्रोन के नुकसान :

  1. आज के समय में 250 ग्राम से अधिक वजन के ड्रोन उड़ाने के लिए अलग से पुलिस से परमिशन लेनी पड़ती है ।
  2. अधिक वजन वाले ड्रोन के लिए अलग से लाइसेंस बनवाना पड़ता है ।
  3. ड्रोन की कीमत काफी अधिक होती है ।
  4. उड़ते हुए अगर इसकी एक भी मोटर बन्द हुई या कोई प्रॉब्लम आयी तो ड्रोन का नीचे गिरने से पूरी तरह से क्रैश होने का खतरा सबसे ज्यादा ।

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