Flat प्लेट बैटरी क्या है | Flat प्लेट बैटरी कैसे काम करती है

फ्लैट प्लेट बैटरी के बारे में आपको इस आर्टिकल बहुत कुछ बताया जायेगा जैसे की फ्लैट प्लेट बैटरी क्या है, फ्लैट प्लेट बैटरी कैसे काम करती है, फ्लैट प्लेट बैटरी के उपयोग और भी बहुत कुछ । पर आपको इतना भी याद रखना है की फ्लैट बैटरी के आलावा और भी कई तरह की बैटरी होती हैं और उन सभी के बारे में हमने एक-एक करके आर्टिकल लिखे हुए हैं चाहे तो आप उसे पढ़ भी सकते हैं ।

What is Flat Plate Battery in hindi | फ्लैट प्लेट बैटरी क्या है :

फ्लैट प्लेट बैटरी एक इन्वर्टर बैटरी होती है जिसका इस्तेमाल किया जाता है बिजली के चले जाने पर घरों या दुकानों के अंदर लगे उपकरणों को चलाने के लिए जैसे की पंखे, टेलीविज़न, फ्रीज इत्यादि । फ्लैट प्लेट बैटरी ऊँचाई में काफी छोटी लेकिन चोड़ाई काफी ज्यादा होती है । पर फ्लैट प्लेट बैटरी के आलावा ट्यूबलर बैटरी भी होती है और उसका ही सबसे अधिक उपयोग किया जाता है । क्योंकि लम्बा बैटरी बैकअप तो वही बैटरी दे पाती है । परन्तु फ्लैट प्लेट बैटरी की खासियत तो यह है की अगर बिजली कट बार-बार लगता है यानी की एक दिन में बार-बार बिजली जा रही है तो फ्लैट प्लेट बैटरी एकदम बेस्ट रहती है । अगर बिजली एक बार जाने के बाद जल्दी से नहीं आती है यानी की पॉवर कट लम्बा होता है तो इस पॉइंट पर तो फ्लैट प्लेट बैटरी काम में नहीं आती क्योंकि फ्लैट प्लेट बैटरी ज्यादा देर तक करंट नहीं दे पाती । इसीलिए लम्बा बैटरी बैकअप पाने लिए फ्लैट प्लेट बैटरी की जगह पर ट्यूबलर बैटरी का ही चयन करें ।

What is Flat Plate Battery in hindi
What is Flat Plate Battery in hindi

फ्लैट प्लेट बैटरी का नाम इसके अंदर की प्लेट्स की वजह से पड़ा है क्योंकि इस बैटरी के अंदर की प्लेट जालीदार होती है इसीलिए । फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर का चित्र हमने आगे की तरफ नीचे की तरफ बताया हुआ है ।

Parts of Flat Plate Battery in hindi | फ्लैट प्लेट बैटरी के पार्ट्स :

फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर काफी सारे पार्ट्स लगे होते हैं और उन सभी के बारे में हम आपको नीचे की तरफ बतायेंगे एक-एक करके जोकि इस प्रकार है :

  • प्लेट्स :

सबसे पहले बात तो प्लेट्स की ही आती है जिसमें से एक प्लेट पॉजिटिव प्लेट और दूसरी प्लेट नेगेटिव प्लेट कहलाती है । फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर लगी प्लेट्स की मोटाई तकरीबन 5mm मोटी होती है और यह निर्भर करतीहै फ्लैट प्लेट बैटरी की कैपेसिटी के ऊपर । अगर फ्लैट प्लेट बैटरी को छोटा बनाना है तो प्लेट की मोटाई कम रखनी होगी ताकि विधुत कम ही जमा हो पाए । अधिक मात्रा में विधुत जमा करने के लिए प्लेट की मोटाई के साथ-साथ आकार में भी वृद्धि की जाती है ।

Parts of Flat Plate Battery in hindi
Parts of Flat Plate Battery in hindi

पॉजिटिव प्लेट का शुरुआती शेप तो जालीदार होता है जिसको बाद में इसी के आसपास एक्टिव पदार्थ लगाकर ढका होता है और बाद में इसका रूप प्लेट जैसा निकलता है यानी की मोटी सी प्लेट जैसा । जालीदार प्लेट लीड डाइऑक्साइड की बनी होती है और इसके ऊपर एक्टिव पदार्थ डालने से इसका रंग ब्राउन जैसा होता है । नेगेटिव प्लेट लीड एंटीमनी की बनी होती है । इसे भी जालीदार जैसे बनाने के बाद इसके ऊपर एक्टिव पदार्थ डालकर ढकने के बाद प्लेट जैसा आकार दिखाई देता है । पर नेगेटिव प्लेट का रंग सिल्वर जैसा ही होता है ।

  • सेपरेटर :
सेपरेटर को लगाया जाता है दोनों प्लेट्स के बीच में ताकि पॉजिटिव और नेगेटिव प्लेट आपस में ना टच हो  क्योंकि प्लेट्स के आपस में टच होने से शोर्ट सर्किट होकर प्लेट्स खराब हो जाती हैं  सेपरेटर प्लास्टिक का बना होता है जोकि सल्फयूरिक एसिड की वजह से खराब नहीं होती हैं 
  • कंटेनर :

कंटेनर खाली डिब्बे जैसा होता है जोकि बना होता है हार्ड प्लास्टिक से । जिसके अंदर कुल 6 खाने होते हैं और उसी के अंदर कई साड़ी प्लेट्स को आपस में जोड़कर लगाया जाता है । पर आपको एक याद जरुर याद रखनी है की एक खाने के अंदर दो प्लेट्स नहीं बल्कि कई सारी प्लेट्स को आपस में पैरेलल में जोड़कर रखा जाता है और ऐसा क्यों किया जाता है इसके बारे में हमने सबसे नीचे की तरफ बारीकी के साथ बताया हुआ है ।

  • सल्फयूरिक एसिड :

बिना सल्फयूरिक एसिड के फ्लैट बैटरी काम करती ही नहीं है क्योंकि इसी की वजह से करंट और इलेक्ट्रॉन्स एक प्लेट से दूसरी प्लेट की तरफ जा पाते हैं । वैसे सल्फयूरिक एसिड फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर कम मात्रा में डाला जाता है जिसे पानी के साथ मिक्स करके ही फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर पाया जाता है । फीके पीले रंग का होता है सल्फयूरिक एसिड 

  • फ्लोट इंडिकेटर :

फ्लैट प्लेट बैटरी के सबसे ऊपर फ्लोट इंडिकेटर दिया जाता है ताकि यह पता चल सके की फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर पानी कितना रह गया है । फ्लोट इंडिकेटर के सबसे के अंदर छोटी सी लीड होती है और उसी लीड को सबसे नीचे की तरफ जाने से पहले ही पानी भरना होता है और सल्फयूरिक एसिड तो पहले से ही फलते प्लेट बैटरी के अंदर होता ही है, इसमें खुद से डालना नहीं है आपको ।

Flat प्लेट बैटरी कैसे काम करती है :

फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर कई साड़ी प्लेट्स एक साथ काम करती है पर हम आपको दो ही प्लेट्स के बारे में बताने वाले हैं ताकि समझ सकें आप जल्दी से । वैसे फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर पड़े हुए सल्फयूरिक एसिड के रिएक्शन की वजह से ही फ्लैट प्लेट बैटरी काम करती है । फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर की पॉजिटिव प्लेट में पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स जमा होते हैं और नेगेटिव प्लेट में भी नेगेटिव इलेक्ट्रॉन्स जमा होते हैं । सबसे पहले जब फ्लैट प्लेट बैटरी को चार्ज किया जाता है तब पॉजिटिव प्लेट में पड़े हुए इलेक्ट्रॉन्स नेगेटिव प्लेट की तरफ जमा हो जाते हैं और ठीक वैसे ही उसी वक्त करंट भी नेगेटिव प्लेट से उठकर पॉजिटिव प्लेट में जमा होने लगते हैं । पॉजिटिव प्लेट में करंट के भरने के बाद और नेगेटिव प्लेट में इलेक्ट्रॉन्स के भरने के बाद ही पता चलता है की फ्लैट प्लेट बैटरी फुल चार्ज हो चुकी है । पर इलेक्ट्रॉन्स और करंट को एक प्लेट से दूसरी प्लेट की तरफ भेजने का काम इन्वर्टर का ही होता है और वही इन्वर्टर इलेक्ट्रॉन्स और करंट को प्लेट में जमा करता है ।

Flat Plate Battery working in hindi
Flat Plate Battery working in hindi

जब फ्लैट प्लेट बैटरी का इस्तेमाल हम करते हैं यानी की जब फ्लैट प्लेट बैटरी को डिस्चार्ज किया जाता है तब इलेक्ट्रॉन्स धीरे-धीरे नेगेटिव प्लेट में खत्म होते जाते हैं और पॉजिटिव प्लेट में जमा होने लगते हैं और ठीक ऐसे ही करंट भी पॉजिटिव प्लेट में खत्म होने लगते हैं और नेगेटिव प्लेट में भरने लगते हैं ।  दोनों प्लेट्स में इलेक्ट्रॉन्स और स्टोर होते हैं और मूव होते रहते हैं चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के दौरान ।

हलांकि फ्लैट प्लेट बैटरी के चार्जिंग और डिस्चार्जिंग का असर सीधा सल्फयूरिक एसिड पर पड़ता है । फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर पड़ा हुआ हुआ पानी और फ्लैट प्लेट बैटरी एसिड का मिश्रण होता है आप इतना सबसे पहले याद रखें । जैसे-जैसे फ्लैट प्लेट बैटरी डिस्चार्ज होने लगती है वैसे-वैसे केवल सल्फयूरिक एसिड दोनों प्लेट के पास चले जाते हैं और बीच में रह जाता है केवल पानी और फ्लैट प्लेट बैटरी के फुल चार्ज होने पर सारा-सारा सल्फयूरिक एसिड दोनों प्लेट्स के पास जमा होता है और बीच में पानी रह जाता है । लेकिन फ्लैट प्लेट बैटरी के चार्जिंग के दौरान सल्फयूरिक एसिड जो पहले दोनों प्लेट्स के पास एकत्रित था वही सल्फयूरिक एसिड अब धीरे-धीरे करके बीच में आ जाता है यानी की वापिस पानी के साथ ही मिल जाता है । फ्लैट प्लेट बैटरी के पूरी तरह से चार्ज होने पर सारा सल्फुरिक एसिड वापिस में बीच में यानी की आसपास पानी में ही मिलकर फ़ैल जाता है । चित्र में आप फ्लैट प्लेट बैटरी के काम करने का तरीका देखोगे तो आपको अच्छी तरह से समझ आ जायेगा ।

Use of Flat Plate Battery in hindi | फ्लैट प्लेट बैटरी के उपयोग :

फ्लैट प्लेट बैटरी का उपयोग तब किया जाता है जब बिजली बार-बार जाती रहती है । पर इसका इस्तेमाल तब नहीं किया जाता है जब बिजली एक बार चले जाने के बाद जल्दी से वापिस नहीं आती है याने की अगर बिजली लम्बे समय तक नहीं आती अहि आपके घरों में तब आप फ्लैट प्लेट बैटरी को शोड़कर ट्यूबलर बैटरी का उपयोग कर सकते हैं । अगर बिजली बार-बार जाती है और थोड़े समय के लिए ही जाती है तब आप फ्लैट प्लेट बैटरी का उपयोग कर सकते हैं और इन दोनों काम के लिए ही इसे बनाया गया है खास तौर पर ।

क्या फ्लैट प्लेट बैटरी में पानी पड़ता है :

फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर पानी डालना ही पड़ता है और सल्फयूरिक एसिड तो कम्पनी वाले पहले से ही फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर डालकर ही भेजती है और इसके अंदर सल्फयूरिक एसिड आपको खुद से डालना की जरूरत नहीं है । पानी आपको बार-बार डालना पड़ेगा जब पानी फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर सूखता है तो । फ्लैट प्लेट बैटरी के शबे ऊपर 6 फ्लोट इंडिकेटर लगे होते हैं और उसी की वजह से ही पता चलता है की पानी कितना रह गया है इसके अंदर । फ्लैट प्लेट बैटरी के अंदर पानी अगर खत्म हो जाता है और बैटरी खराब हो जाती है ।

Flate प्लेट बैटरी के फायदे :

  1. फ्लैट प्लेट बैटरी जल्दी से चार्ज होने सक्षम है ।
  2. फ्लैट प्लेट बैटरी की कीमत कम ही होती है ।
  3. बार-बार बिजली का कट लगने पर फ्लैट प्लेट बैटरी एकदम बेस्ट होती है ।
  4. आकार में छोटी और कम जगह घेरती है फ्लैट प्लेट बैटरी ।

Flat प्लेट बैटरी की कमियां :

  1. फ्लैट प्लेट बैटरी जल्दी से खाली जाती है यानी की विधुत अधिक मात्रा में जमा नहीं होता ।
  2. फ्लैट प्लेट बैटरी लम्बे समय तक बिजली देने में सक्षम नहीं है ।
  3. फ्लैट प्लेट बैटरी की जिन्दगी 5 साल से कम होती है यानी की ट्यूबलर बैटरी से कम ।

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