LED बल्ब कैसे बनता है, अगर आप ये जानने के लिए यहां आए हैं तो आप बिल्कुल बेस्ट वेबसाइट पर आए हैं । यहां इस वेबसाइट के आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं आखिर फैक्ट्री में LED बल्ब कैसे बनता है । ताकि आपको फुल जानकारी विस्तार से जानने को मिल सके ।
वैसे मुझे इलेक्ट्रॉनिक के कामों में रुचि है जिससे LED बल्ब के बारे में आपको अच्छी तरह से बता पाऊंगा जैसे की “led कैसे बनता है” ।
Factory में LED बल्ब कैसे बनता है :
फैक्ट्री में LED बल्ब को बड़े ही स्तर पर यानी कि लाखों की तादाद में बनाया जाता है तो वहां पर मशीनें होती हैं काफी सारी जो अलग-अलग काम करती हैं बल्ब के सभी पार्ट्स को बनाने के लिए जिसके बारे में हमने सभी पॉइंट्स को नीचे की तरफ बताया हुआ है । विस्तार से जोकि इस तरह हैं :
- LED बल्ब डिज़ाइन और उसकी बॉडी :
LED बल्ब तैयार करने से पहले बल्ब का डिज़ाइन कंप्यूटर में बनाया जाता है ताकि सही आकार में बल्ब बन सके जिससे किसी भी पार्ट्स को बल्ब में फिट करने में कोई मुश्किल ना हो और उसी के हिसाब से डेटा मशीनों के अंदर भेजा जाता है जिससे उसी आकार की बॉडी बनकर बाहर निकलती है । LED बल्ब की बॉडी जो हार्ड प्लास्टिक से बनी होती है । LED बल्ब की नीचे की बॉडी जो मशीन के पटे के ऊपर खाने में सीरीज में रखी जाती है । फिर आगे की तरफ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है ।
- RC ड्राइवर :
दूसरे स्टेप में बल्ब की बॉडी आ जाती है दूसरी मशीन में । जहां पर ये मशीन बॉडी में सिर्फ RC ड्राइवर को ही डालती है और यही इसका मुख्य काम होता है । RCB ड्राइवर का LED बल्ब में फिट हो जाने के बाद बल्ब आगे चला जाता है ।
RC बोर्ड जोकि प्रिंटेड सर्किट बोर्ड होता है, इसके ऊपर काफी सारे जरूरी कंपोनेंट्स लगे होते हैं जैसे कि कैपेसिटर, डायोड, फ्यूज, ट्रांसफार्मर, रेसिस्टर, ट्रांजिस्टर, IC इत्यादि । जिसके बाद RC ड्राइवर कहलाता है । RC ड्राइवर जो मशीनें ही बनाती हैं जिसका डिज़ाइन पहले ही कंप्यूटर के माध्यम से बनाया जाता है । RC ड्राइवर का काम होता है बाहर से आने वाले AC करंट को कम करना, उसके बाद उसी AC करंट को DC करंट में बदलना, फिर आगे की तरफ लगने वाले LED बल्ब को करंट देना । हलांकि RC ड्राइवर बोर्ड के अंदर फ्यूज के अलावा जरूरी कंपोनेंट्स लगे होते हैं जो हाई वोल्टेज से बचाते हैं LED बल्ब को ।
- LED फिट करना PCB में :
स्टेप नंबर 4 में मशीन का काम होता है मिनी LED बल्ब रखने के लिए PCB बनाना । जो छोटी-छोटी PCB बनाकर देती है । LED जो पहले से ही किसी और मशीन से बनाई जाती है जिसका रोल इसी मशीन के अंदर डाला जाता है ताकि ये मशीन छोटी-छोटी LED को PCB में लगा सके ।
PCB जिसके ऊपर कुछ भी नहीं लगा होता । लेकिन इसके अंदर पतली सी तारें लगी होती हैं जो LED को करंट सप्लाई करने का काम करती हैं ।
- PCB में LED फिट करना :
PCB के बनने के बाद मशीन इसी PCB के ऊपर LED लगाती हैं । LED कितनी लगेगी यह निर्भर करता है LED बल्ब कितने वॉट का या कितनी रौशनी देने वाला बनाना है ।
- LED प्लेट बनाना :
PCB-LED जिसे सिल्वर की चोटी सी प्लेट में रखा जाता है ताकि बल्ब में PCB प्लेट वाली LED हिले ना । सिल्वर का इस्तेमाल इसीलिए किया जाता है ताकि ये सिल्वर की प्लेट LED की गर्मी को सोख ले जिससे बल्ब खुद ज्यादा गर्म होकर सड़ते नहीं बल्कि चांस कम हो जाते हैं ।
- LED प्लेट फिट करना बॉडी में :
PCB में LED के लग जाने के बाद इसी LED प्लेट को बल्ब के ऊपरी हिस्से में फिट किया जाता है मशीन की मदद से । LED प्लेट के बल्ब की बॉडी के पर लग जाने के बाद led की तारों को जोड़ दिया जाता है PCB बोर्ड से वेल्डिंग मशीन के माध्यम से । लेकिन इसमें मशीन खुद ही काम करती है यानी कि हमको अलग से कोई कमांड नहीं देनी पड़ती । इसके बाद बल्ब आगे चला जाता है कम्पलीट होने के लिए ।
- बल्ब होल्डर की तारों को सही करना :
इसके बाद ये काम फैक्ट्री में लगे कर्मचारी ही करते हैं जो बल्ब के अंदर लगे PCB बोर्ड की दो तारों को होल्डर यानी कि बल्ब के निचले हिस्से से बाहर निकालकर उसे सीधा करते हैं । हलांकि ये तारें बाहर ही होती हैं लेकिन इसे सीधा किया जाता है सही ढंग से ।
- बल्ब की तारों को होल्डर से जॉइंट करना :
बल्ब के नीचे के हिस्से में निकली तारों को ये मशीन बाहर निकली हुई तारों को काट देती है । जिसके बाद ये मशीन सोल्डरिंग मशीन के माध्यम से तारों को जोड़ देती है । होल्डर में तारों का जुड़ने कब बाद बल्ब आगे चला जाता है ।
- बल्ब की ऊपरी बॉडी को लगाना :
जब बल्ब इस स्टेप में आ जाता है तो इस मशीन का काम सिर्फ इतना होता है की यह बल्ब की ऊपरी बॉडी को बल्ब से जोड़ती है दाब देकर । इसके बाद बल्ब पूरी तरह से तैयार हो चुका है जो अब आगे चला जाता है टेस्टिंग के लिए खुद ही ।
- मशीन से बल्ब की टेस्टिंग करना :
बल्ब पहुंच जाता है खुद ही मशीन के पास जहां पर इस मशीन का काम होता है बल्ब को चेक करना । जैसे कि बल्ब चला रहा है कि नहीं, उसकी रैशनी इत्यादि । इसके बाद बल्ब आगे की तरफ बढ़ने लगता है ।
- मैन्युअल टेस्टिंग :
मशीन से बल्ब के पास हो जाने के बाद कंपनी में काम कर रहे लोग खुद से LED बल्ब की टेस्टिंग करते हैं जिसके बाद वह मशीन में रख देते हैं ।
- मोहर और डिटेल्स छापनी :
बल्ब के पास हो जाने के बाद बल्ब का मशीन में डाल देने के बाद यहां ये मशीन जो LED बल्ब के साइड में कंपनी की मोहर और उस बल्ब की डिटेल्स छापती है । डिटेल्स के छप जाने के बाद बल्ब आगे बढ़ने लगते हैं ।
- LED बल्ब का पैकिंग होना :
LED बल्ब की पैकिंग जो मशीन खुद ही करती है । इसका गत्ता भी पहले से ही मशीन से या किसी दूसरी कंपनी से बनाया जाता है ।
नोट :
फैक्ट्री में बल्ब एक-एक करके नहीं बनते बल्कि एक साथ लगातार काफी सारे बनते रहते हैं । जैसे की जब बल्ब की बॉडी बनकर आगे चली जाती है तब वही मशीन और बॉडी बनाने लगती है । फ़ैक्ट्री में मशीनें अलग-अलग हिसाब से बनाई गई हैं । जैसे कि एक मशीन का काम होता है सिर्फ बल्ब के लिए बॉडी बनाने का, दूसरी मशीन का काम होता है PCB बनाने का, तीसरी मशीन का काम होता है सिर्फ LED बनाने का, चौथी मशीन का काम होता है केवल LED फिट करने का, पांचवी का सोल्डरिंग करने का, छठवीं का टेस्ट करने का, आठवीं का मोहर लगाने का और दसवीं का पैक करने का । इन सब काम में से अधिकतर काम मशीनें खुद से ही करती हैं जबकि कुछ काम वहां ओर कगे कर्मचारी खुद से करते हैं जैसे कि बल्ब की नीचे से निकली तारों को बाहर निकालकर सेट करना और LED बल्ब को दुबारा से चेक करना इत्यादि ।
LED बल्ब के बारे में मेरी राय :
मुझे पूरा विश्वास है कि आपको इस आर्टिकल में काफी कुछ विस्तार से सीखने को मिला होगा LED बल्ब कैसे बनता है इसके बारे में । LED बनने के तरीके थोड़े से अलग भी हो सकते हैं कुछ कंपनियों के लेकिन होता ऐसे ही है जैसे हमने आपको ऊपर बताया । हलांकि हमने रबड़ और इरेज़र के बारे में भी आर्टिकल लिखा हुआ है जैसे कि रबड़ कैसे बनता हैं चाहे तो आप उसे भी पढ़ सकते हैं ।