इस आर्टिकल में हम आपको जबर्दस्त तरीके से जानकारी देने वाले हैं रबड़ के बारे में । रबड़ क्या है इसके बारे में मैं नहीं बताने वाला क्योंकि अधिकतर लोग जानते ही हैं । रबड़ कैसे बनती है इसके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे । ताकि आपको रबड़ के बारे में फुल जानकारी हासिल हो सके ।
हमने रबड़ के बारे में जितनी भी जानकारी हासिल की उसके बारे में बताएंगे जिससे आपको कहीं और रबड़ के बारे में जानने की जरूरत नहीं पड़ने वाली । तो चलिए जानते हैं Rubber kaise banta hai बारीकी के साथ ।
Eraser और रबड़ में अंतर :
अधिकतर लोगों के मन में सवाल होता है कि इरेज़र और रबड़ में क्या अंतर होता है । देखा जाए तो ये दोनों अलग-अलग शब्द हैं लेकिन मतलब एक ही है ।
जैसे कि बात करें इरेज़र की तो यह एक अमेरिकन शब्द है यानी कि अमेरिका में इसे रबड़ नहीं बल्कि इरेज़र कहते हैं जबकि रबड़ जोकि ब्रिटिश शब्द है और वहां पर इसे रबड़ के नाम से जाना जाता है । है दोनों एक ही चीज़ लेकिन नाम अलग-अलग हो गए । भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में जहां पंजाबी बोली जाती है वहां पर अधिकतर लोग रबड़ जबकि हिंदी में बात करने वाले अधिकतर लोग इरेज़र कहते हैं ।
रबड़ किस पेड़ से प्राप्त होता है :
रबड़ प्रप्त होती है Hevea Brasiliensis नामक पेड़ से जो जंगलों में देखने को मिलते हैं लेकिन कुछ लोग इसे अलग से लगाते हैं खेतों में रबड़ बेचने या खुद बनाने के लिए । Hevea Brasiliensis पेड़ जो सीधा सा लम्बा पेड़ होता है इसकी लकड़ पर छोटा सा चीरा देने से दूध जैसा तरल पदार्थ बाहर निकलता है जिसे इकट्ठा कर लिया जाता है बर्तन में । पेड़ से मिलने वाले इस पदार्थ को हम फिलहाल दूधिया पदार्थ ही कहेंगे लेकिन समझने में आसानी हो इसीलिए अधिकतर लोग इसे डायरेक्ट रबड़ ही कहते हैं ।
इस पेड़ को इस तरह से तिरछा टक लगाया जाता है कि दूध जैसा दिखने व दूधिया पदार्थ सीधे बर्तन में गिरे । बर्तन जिसे सभी पेड़ों में टांग दिया जाता है क्योंकि एक-एक बूंद टपकता रहता है सारा दिन जिससे अगले दिन काफी सारा दूधिया पदार्थ प्राप्त हो जाता है ।
वैसे जानकारी के लिए जान लें कि इसके अलावा और भी कई पेड़ हैं जहां से दूधिया पदार्थ को एकत्रित कर रबड़ बनाया जा सकता है और उनकी लिस्ट आपको सबसे नीचे मिल जाएगी । लेकिन सबसे अधिक मात्रा में रबड़ तो Hevea Brasiliensis पेड़ से ही प्राप्त की जाती है ।
Rubber कैसे बनता है :
रबड़ जो प्राकृतिक रूप से तैयार होता है आपको ये बात जरूर याद रखनी है । प्राकृतिक रूप से रबड़ का बनने का मतलब जंगलों या पेड़-पौधों से अपने आप बनने वाली चीजें । Hevea Brasiliensis नामक पेड़ों से काफी सारी रबड़ रबड़ प्राप्त कर लेने के बाद यानी कि काफी सारे दूधिया पदार्थ (दूध जैसा दिखने वाला तरल पदार्थ) इसे एक बड़ी बाल्टी या टब में डाल दिया जाता है ।
टब में डले हुए दूधिए पदार्थ में डाला जाता है cis-polyisoprene नामक केमिकल को ताकि इस दूधिए पदार्थ में से रबड़ और पानी अलग-अलग हो जाये । जैसे कि पनीर बनाने के लिए दूध में नींबू का रस डाल दिया जाता है ठीक वैसे ही रबड़ बनाने के लिए अलग से केमिकल डाला जाता है दूधिए पदार्थ में जिससे रबड़ अलग हो जाती है । इसे बाहर निकाल कर सूखने के लिए धूप में रख दिया जाता है फिर सूखने के बाद इसका उपयोग कर लिया जाता है । लेकिन रबड़ को थोड़ा सा सख्त बनाने के लिए इसी रबड़ के ऊपर दबाव डाला जाता है । लेकिन रबड़ कस सुख जाने के बाद इसका रंग थोड़ा सा बदल जाता है जो आपको चित्र में दिखाई दे रहा होगा ।
रबड़ को और बेहतर बनाने के लिए कंपनियां इसके अंदर और भी कुछ पदार्थ मिलाती हैं जोकि कंपनियों के ऊपर ही निर्भर करता है । रबड़ का सख्त बनना या नरम बनना यह भी कंपनी के ऊपर निर्भर करता है कि आखिर वह किस तरीके से रबड़ को बना रही हैं । कागज में पेंसिल की माध्यम से लिखे हुए अक्षर को मिटाने के लिए इसी रबड़ का इस्तेमाल कर लिया जाता है लेकिन टायर बनाने के लिए या कुछ और समान बनाने के लिए इसके अंदर और भी कई पदार्थ डाल दिये जाते हैं ।
रबड़ देने वाले पेड़ों के नाम :
नीचे हमने ऐसे पेड़ों के नाम बताए हैं जो रबड़ देते हैं और इसका इस्तेमाल किया जाता है । लेकिन रबड़ प्राप्त करने के लिए या बनाने के लिए सबसे ज्यादा Hevea Brasiliensis नामक पेड़ को ही चुना जाता है । रबड़ देने वाले पेड़ों की लिस्ट नीचे जितनी भी हैं उनका उपयोग काफी कम किया जाता है और उनकी लिस्ट इस तरह है :
- Hevea Brasiliensis
- Robusta
- Tricolor
- Tineke
- Decora
- Doescheri
- Burgundy
- Abidjan
- Melany
- Red Ruby
- Black Prince
- Yellow Gem
रबड़ बनाने वाली कंपनियां :
- गुडइयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- केरला रबर एंड रिक्लेम्स प्राइवेट लिमिटेड
- अपोलो टायर्स प्राइवेट लिमिटेड
- एमआरएफ प्राइवेट लिमिटेड
- एमएम रबर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड
- डनलप इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- गोविंद रबड़ प्राइवेट लिमिटेड
- टीवीएस श्रीचक्र प्राइवेट लिमिटेड
- फाल्कन टायर्स प्राइवेट लिमिटेड
- पिक्स ट्रांसमिशन प्राइवेट लिमिटेड
- हिल्टन रबर्स प्राइवेट लिमिटेड
- रुबफिला इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड
- दीवान टायर्स प्राइवेट लिमिटेड
- मोडिस्टोन प्राइवेट लिमिटेड
- इंडिया रबड़ प्राइवेट लिमिटेड
- इंडैग रबड़ लिमिटेड (IRL)
- हैरिसन मलयालम प्राइवेट लिमिटेड
- ईस्टर्न ट्रेड्स प्राइवेट लिमिटेड
- वी आर वुडर्ट प्राइवेट लिमिटेड
- UNIMERS इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- कोचीन मालाबार एस्टेट्स एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड
- डॉल्फिन रबर्स प्राइवेट लिमिटेड
- मल्टीबेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- जीआरपी प्राइवेट लिमिटेड
- जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड
- सिएट प्राइवेट लिमिटेड
- मोदी रबड़ प्राइवेट लिमिटेड
- कंधारी रबर्स प्राइवेट लिमिटेड
- वामशी रबड़ प्राइवेट लिमिटेड
- तिरुपति टायर्स प्राइवेट लिमिटेड
- श्री रबर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड
- अपोलो टायर्स प्राइवेट लिमिटेड
- बिरला टायर्स प्राइवेट लिमिटेड
- सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड
- बालकृष्ण इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड
- जेके टायर्स प्राइवेट लिमिटेड
- एल्गी रबड़ कंपनी प्राइवेट लिमिटेड
रबड़ के बारे में मेरी राय :
दोस्तो आप इस गलत फहलमी में मत पड़ जाना कि रबड़ सिर्फ टायर वाला या रबड़ बैंड वाला रबड़ होता है बल्कि eraser को भी रबड़ कहते हैं eraser जो इंग्लिश में ही कहा जाता है । टायर से लेकर ग़ुबारे तक और कई जगहों में रबड़ का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसमें कुछ केमिकल और पदार्थ डाल कर रबड़ को लचकिला, मजबूत और टिकाऊ बनाया जाता है जो निर्भर करता है कि हम रबड़ से बना क्या रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आपको “रबड़ कैसे बनती है” या “eraser कैसे बनती है” इसके बारे में अच्छी तरह से पता चल गया होगा ।