फैक्ट्री में साबुन कैसे बनता है इसी के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बताने वे हैं । हलांकि यहां इस आर्टिकल में हम आपको साबुन बनाना नहीं सिखाने वाले बल्कि factory me sabun kaise banta hai इसके तरीके दिखाने और बताने वाकई हैं । साबुन को इंग्लिश में जिसे सोप कहते हैं लेकिन साबुन के प्रकार आगे कुछ हिस्सों में बंट जाते हैं जैसे कि नहाने वाला साबुन, कपड़े धोने वाला साबुन और बर्तन साफ करने वाला साबुन । इन सभी के बारे में विस्तार से चर्चा की जाएगी ।
मुझे विश्वास है कि इस आर्टिकल को पूरा पढ़ लेने के बाद आप अच्छी तरीक़े से जान ही जायेंगे की आखिर sabun kaise banta hai फैक्ट्री में । तो चलिए जानते हैं विस्तार के साथ ।
Factory में साबुन कैसे बनता है :
साबुन के प्रकार कुल तीन हैं जिसकी वजह से अलग-अलग साबुन अलग-अलग तरीकों से बनाये जाते हैं । इसीलिए हम अलग-अलग पॉइंट्स के माध्यम से तीनों प्रकार के साबुन के बारे में बताएंगे । नीचे में सिखाने वाले हैं :
- नहाने वाला साबुन कैसे बनता है
- कपड़े धोने वाला साबुन कैसे बनता है
- बर्तन धोने वाला साबुन कैसे बनता है
नहाने वाला साबुन कैसे बनता है :
नहाने वाला साबुन बनाने के लिए फैक्ट्री में काफी सारी मशीनें देखने को मिलती हैं जिसका काम अलग-अलग होता है जैसे कि एक का काम मिक्सिंग, दूसरे का काम गर्म करना, तीसरे का काम साबुन बनाना, चौथे का काम साबुन काटना इत्यादि । फैक्ट्री में नहाने का साबुन बनने के तरीके हैं इस प्रकार :
- मटेरियल को मिक्स करना :
फैक्ट्री में रॉ मटेरियल यानी कि कच्चे समान को खरीदना पड़ता है दूसरी जगह से जो सीधा फैक्ट्री में लाया जाता है । नहाने का साबुन बनाने के लिए अलग-अलग तरह के तेल (जैसे कि नारियल तेल, सरसों तेल) , सोडियम बेंजोएट, कास्टिक सोडा, कास्टिक पोटाश, पानी, lye, सोडियम cocoate, सोडियम लौरेथ सरफेस, पानी जैसे मटेरियल को मिक्सिंग मशीन में डाला जाता है ।
तेल कौन सा डाला जाएगा यह साबुन के फ़्लेवर के ऊपर निर्भर करता है । नहाने वाले साबुन में कास्टिक कम डाला जाता है ताकि शरीर को नुकसान कम पहुंचे । जहां पर ये मशीन इन सभी मटेरियल को अच्छी तरीके घोलने में मदद करती है और साथ ही इसे अच्छी तरीके से गर्म कर दिया जाता है । गर्म करते-करते इस मटेरियल को हिलाया जाता है जिससे ये मिश्रण काफी ज्यादा गाढ़ा हो जाता है । रॉ मटेरियल के घुल जाने के बाद जो मिश्रण तैयार होता है यह मिश्रण पाइप के माध्यम से दूसरी मशीन में अपने आप पहुंच जाता है ।
- गाढ़े मिश्रण को दूसरी मशीन में भेजना :
यही गर्म गाढ़ा मिश्रण जो पाइप से दूसरी मशीन में जाता है जहां पर इस मशीन पर ये गाढ़ा लिक्विड अंदर जाता है तो दूसरी तरफ बारीकी सी पाइपों से बाहर निकलता है जिससे ये और भी ज्यादा सुख जाता है । हद से ज्यादा गाढ़ा हो जाने के बाद ये जाता है रोलर बैल्ट से अगली मशीन में चला जाता है ।
- मिश्रण को पीसना :
इस मशीन में मिश्रण के आ जाने के बाद इसे दुबारा से और पीस दिया जाता है । जिससे पाउडर जैसा हो जाने के बाद इसके अंदर खुशबूदार लिक्विड डाला जाता है जो रंग समेत ही होता है । अलग से रंग देने के लिए इसमें परमिटेड रंग भी डाल दिया जाता है । रंग या खुशबूदार लिक्विड के डाले जाने के बाद इसे दुबारा से मिक्सिंग मशीन की मदद से मिक्स किया जाता है । अच्छी तरह से मिक्स हो जाने के बाद अब यह मिश्रण बेल्ट की मदद से आगे किसी और मशीन में चला जाता है ।
- मिश्रण को दबाव देना :
इस मशीन में मिश्रण के आ जाने के बाद ये मशीन मिश्रण को ज्यादा से ज्यादा दाब देकर इसको चौरस लम्बा से आकार देती है । ज्यादा दाब देने के वजह स यह मिश्रण टुकड़ों में बदल जाता है जो अभी काफी लंबा है ।
- साबुन को काटना :
फिलहाल नहाने वाला साबुन तो बनकर तैयार हो ही गया है लेकिन ये अभी काफी लंबा है जो अपने आप ही कटिंग मशीन में जाता है जहां ओर ये कटिंग मशीन साबुन के छोटे-छोटे टुकड़ें कर आगे भेजती है और यही मुख्य काम होता है इस कटिंग मशीन का ।
- साबुन की ब्रांडिंग :
साबुन के टुकड़े हो जाने के बाद इसके उर कंपनी की ब्रांडिंग की जाती है यानी कि कंपनी का नाम छापा जाता है । नाम छप जाने के बाद ये साबुन बेल्ट की मदद से आगे पैकिंग के लिए जाते हैं ।
- साबुन की पैकिंग होना :
सबुन के ऊपर कंपनी की ब्रांडिंग हो जाने के बाद ये साबुन दूसरी मशीन में जाता है । जहां ओर इस मशीन के अंदर पैकिंग का रोल चढ़ा हुआ होता है जो बारी-बारी करके सभी साबुन को पैक करती है और इसमें से चार-चार साबुन के टुकड़ों को और टेप से जोड़ कर एक सेट बनाया जाता है । फिर आगे बेल्ट की मदद से आगे भेज देती है । जिसके बाद आगे की तरफ कर्मचारी जो इस पैक हुए साबुन को इक्कठे कर बड़े-बड़े बॉक्स में भर देता है । अब ये साबुन आपके घरों या दुकानों तक जाने के लिए तैयार है ।
नोट :
पहले के समय में साबुन बनाने के लिए केमिकल और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था है लेकिन आज के समय में बंद हो चुका है जोकि काफी अच्छी बात है । इसके अलावा साबुन बनने से लेकर पैक होने तक साबुन का चूरा यानी कि बचे हुए साबुन (साबुन का बुरा) को दुबारा से इस्तेमाल में लाया जाता है ।
कपड़े धोने वाला साबुन कैसे बनता है :
कपड़े साफ करने वाले साबुन बनाने के लिए फैक्ट्री छोटी से लेकर बड़ी तक तकरीबन हर शहरों में देखने को मिल जाएंगी । कपड़े साफ करने वाले साबुन को बनाने के लिए काफी सारी नहीं बल्कि कुछ मशीनें होती हैं जो इस प्रकार है :
- कच्चे माल (रॉ मटेरियल) को मिक्स एवं गर्म करना :
कच्चे माल को किस करने का मतलब रॉ मटेरियल को मिक्स करना । सबसे पहले फैक्ट्री में लगे कर्मचारी खुद से ही मिक्सिंग मशीन में कास्टिक सोडा और तेल को डालते हैं । ये दोनों मुख्य मटेरियल हैं जबकि कुछ कंपनियां और भी कुछ डालती हैं जैसे कि वाशिंग सोडा, सोडियम borate, बेकिंग सोडा, sulfonate, अल्कोहल, सोडियम हाईड्रॉकसीड, सोडियम ट्री फॉस्फेट, जानवरों की चर्बी, नमक, पानी । कुछ साबुनों में चर्बी नहीं डाली जाती । मशीन इस मटेरियल को मिक्स करने का काम करती है वही मशीन साथ ही साथ इसी मिश्रण को गर्म भी करती रहती है । बार-बार मिक्स होने के कारण और गर्म होने के कारण ये मिश्रण जो गाढ़ा हो जाता है पहले के मुकाबले में । ये मिश्रण अब पाइप के माध्यम से दूसरी मशीन में चला जाता है तापमान को साधारण करने के लिए ।
- मिश्रण को सांचे में रखना :
यह मिश्रण जो काफी ज्यादा गाढ़ा होता है जिसे बड़े से सांचे में रखा जाता है और उसे जमने के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है । कुछ घण्टों तक के मिश्रण जम जाता है ।
- साबुन को काटना :
ये मिश्रण जो आकार में काफी बड़ा होता है जिसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है मशीन की मदद से । मशीन दो तरह की होती है एक आटोमेटिक जो अपने आप ही साबुन को पैक करती रहती है और दूसरी मैन्युअल जिसे हाथ से कंटोल करके साबुन को काटना पड़ता है । बड़ी-बड़ी फैक्टरियों में आटोमेटिक मशीन ही रखी जाती है । साबुन के टुकड़े हो जाने के बाद से साबुन अब आगे की मशीन में चला जाता है ।
- ब्रांडिंग :
साबुन के टुकड़े हो जाने के बाद इसी साबुन को मशीन कंपनी की ब्रांडिंग करती है यानी कि साबुन के ऊपर कंपनी का नाम और लोगो छापती है । इसके बाद अब ये दूसरी मशीन में चला जाता है ।
- साबुन की पैकिंग :
साबुन के पर ब्रांडिंग होने के बाद ये अब पैक होता है जो मशीन का ही काम होता है । मशीन के ऊपर प्रिंटेड प्लास्टिक रोल चढ़ा होता है जो अपने आप ही एक-एक करके साबुन को पैक करके साबुन को बेक्ट की मदद से आगे की और भेजती रहती है । जिसके बाद इसी साबुन को वहां काम कर रहे कर्मचारी इक्कठे कर बड़े से बॉक्स में पैक कर देते हैं ।
बर्तन धोने वाला साबुन कैसे बनता है :
बर्तन धोने वाले साबुन को बनाने के लिए बड़ी और छोटी फैक्टरियां हमको देखने को मिलती हैं । छोटी फैक्टरियों में कर्मचारियों को ही सारा काम करना पड़ता है जबकि बड़ी फैक्टरियों में एक बार समान डालने के बाद सारा सामान अपने आप ही बनकर बाहर निकल आता है । बर्तन धोने वाले साबुन को फैक्ट्री में बनान का तरीका हेठ दिए अनुसार है :
- मटेरियल को मिक्स एवं गर्म करना :
सबसे पहले मिक्सिंग मशीन में जिसके अंदर सोडियम LAC, सोडियम कार्बोनेट, STPP, कंक्टरटेड लाइम जूस, पानी, परमिटेड रंग, खुशबूदार लिक्विड इत्यादि मटेरियल को मशीनों के अंदर डाला जाता है । इसके अलावा साबुन को बेहतर बनाने के लिए अलग से कुछ कंपनियां अलग से लकड़ों की राख भी डाल देती हैं । जहां पर ये मशीन इसी मटेरियल को अच्छी तरीके से घोलने के साथ-साथ इसे गर्म करने का भी काम करती है । गर्म हो जाने के बाद अब यह गाढ़ा लिक्विड बन जाता है जो पाइप की मदद से दूसरी मशीन में भेज दिया जाता है ।
- जमने के लिए छोड़ देना :
इस मशीन में आने कब बाद यह गाढ़ा लिक्विड सांचे में चला जाता है यानी कि बड़े आकार के मेटल बॉक्स में डाल दिया जाता है और उसके बाद इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है ।
- साबुन को काटना :
जिस बड़े से बॉक्स में इस मिश्रण को जमाया गया था अब उसे बाहर निकालकर मशीन में डाल दिया जाता है ताकि इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जा सके । जहां पर ये मशीन बड़े से आकार के साबुन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल देती है जिसके बाद इसे अब आगे की और दूसरी मशीन में बेल्ट की मदद से भेज दिया जाता है ।
- साबुन की ब्रांडिंग :
जो साबुन छोटे-छोटे टुकड़ों में कटा हुआ था अब उसे ऐसे मशीनों में भेजा जाता है जहां पर ये मशीन साबुन के ऊपर कंपनी का नाम छापती रहती है सभी साबुन के टुकड़ों पर । इस मशीन का काम सिर्फ साबुन के ऊपर नाम छापने का ही होता है ।
- साबुन की पैकिंग :
साबुन के ऊपर नाम छप जाने के बाद अब साबुन अगली मशीन में चला जाता है जहां पर इस मशीन के ऊपर प्रिंटेड प्लास्टिक का रोल चढ़ा होता है जहां पर ये मशीन साबुन के टुकड़ों को बारी-बारी से पैक कर आगे भेजी जाती है । इसके बाद फैक्ट्री पर रखे कर्मचारी इस पैक हुए साबुन को बड़े बॉक्स में डाल कर पैक कर देते हैं ।
साबुन कैसे बनते हैं इसके बारे में मेरी राय :
फ़ैक्टरियों में साबुन बनाने के तरीके अलग-अलग होते हैं और हो सकते हैं जैसे कि मटेरियल का कम-ज्यादा डाला जाना, उसे तैयार करने का तरीका इत्यादि । सभी फ़ैक्टरियों की तरफ से बनाये गए साबुन का तरीका एक जैसा नहीं होता और उनकी बनावट, रंग इत्यादि एक जैसे भी देखने को नहीं मिलते ताकि किसी कंपनी का प्रोडक्ट दूसरी कंपनी से मेल ना खाए ।
- फैक्ट्री में रबड़ कैसे बनती है
- फैक्ट्री में इरेज़र कैसे बनती है
- फैक्ट्री में पेन कैसे बनते हैं
जरूरी सूचना :
साबुन बनाने के लिए कुछ केमिकल भी इस्तेमाल में लाये जाते है जो शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं अगर ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल में लाया जाए तब । इसीलिए आपको इन केमिकलों से दूर रहना चाहिए । घर पर भी साबुन बनाने से परहेज कर लेना चाहिए क्योंकि इसको बनाने के लिए सेफ्टी जरूरी होती है ।