हेलो दोस्तो अगर आप फ्यूज के बारे में जानने के लिए आए हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है । जहां हम आपको बताएंगे की Fuse क्या है, Fuse कैसे काम करता है, Fuse के प्रकार, Fuse के फायदे और Fuse के नुकसान इत्यादि । फ्यूज शब्द तो काफी सारे लोगों ने सुना तो जरुर से सुना होगा ही, किन्तु इसके बारे में ज्यादा कुछ जानते नहीं है । Fuse के बारे में जानना काफी जरूरी है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स केटेगरी में फ्यूज एक मुख्य टॉपिक माना जाता है ।
इस आर्टिकल को पूरा पढ़ लेने के बाद अप Fuse के बारे में काफी कुछ जान ही जायेंगे । तो चलिए जानते हैं विस्तार के साथ Fuse क्या है या Fuse क्या होता है, Fuse कैसे काम करता है और Fuse के प्रकार के बारे में इत्यादि ।
What is Fuse in hindi | Fuse क्या है :
फ्यूज साधारण सी वायर यानी की तार होती है जोकि मेटल जैसे पदार्थों की ही बनी होती है । जिसका मुख्य काम होता है इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिजली के तेज झटके से बचाना । जैसे की हाई वोल्टेज और एम्पीयर का उपकरणों के अंदर जाने से रोकना, उपकरणों का शॉर्ट सर्किट होने से रोकना और किसी सर्किट का अत्यधिक बिजली खाने से रोकना इत्यादि । ये सब काम तब होता है जब फ्यूज से अत्यधिक मात्रा में करंट बहने से फ्यूज खराब हो जाता है तब । फ्यूज की रेजिस्टेंस वैल्यू कम से लेकर ज्यादा तक की देखने को मिल जाती है और यह निर्भर करता है फ्यूज कितने एम्पीयर का बनाना है ।
हालांकि फ्यूज को सिर्फ फ्यूज नहीं बल्कि इलेक्ट्रिक फ्यूज कहते हैं क्योंकि या इलेक्ट्रॉनिक की कैटेगरी में आता है इसीलिए । आपको पता ही होगा की हमारे घरों, दुकानों या इंडस्ट्री में बिजली कभी-कभी अचानक से ज्यादा आ जाती है, जैसे की अचानक से वोल्टेज या करंट का बढ़ना । इससे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे की रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन, इन्वर्टर, कंप्यूटर (मदरबोर्ड), चार्जर आदि का सड़ने का खतरा बन जाता है । बस इसी को रोकने के लिए फ्यूज को काम में लिया जाता है । Fuse क्या होता है, इसके बारे में हमने आपको बताया जबकि अगर आप “Fuse कैसे काम करता है” के बारे में जानेंगे तो काफी कुछ सीख जायेंगे ।
Fuse क्या काम करता है :
Fuse का कार्य या काम होता है अचानक से बढ़ने वाली बिजली के तेज वोल्टेज या एम्पीयर को उपकरणों में जाने से रोकना और उन उपकरणों को सड़ने से बचाना । सर्किट को ब्रेक करना यानी की जिस तार से करंट अंदर जा रहा है उस तार से कनेक्शन बंद करना यही फ्यूज का कार्य होता है ।
Fuse की खोज किसने की :
इलेक्ट्रिक फ्यूज की खोज साल 1890 में महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन के द्वारा की गई थी । इसके बाद अलग अलग प्रकार के फ्यूज तो बन गए लेकिन सभी का काम एक जैसा ही होता है जैसा कि सर्किट को हाई विधुत या करंट से बचाना ।
Fuse कैसे काम करता है :
Fuse कुछ काम नहीं करता बल्कि ये तो एक ही जगह पर खड़ा रहता है और काम अपने आप ही हो जाता है बिजली के प्रवाहित होने से । फ्यूज का मीटर के पास या वायर के साथ जोड़ देने के बाद ही काम शुरू हो जाता है ।
जैसे की जब बाहर से वोल्टेज अचानक बढ़ जाती है तो बिजली मीटर से होते हुए सीधा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में जायेगी जिससे उपकरण सड़ जायेंगे ज्यादा वोल्टेज के चलते या ज्यादा मात्रा में एम्पीयर को चलते । तो ऐसे में जब फ्यूज लगा दिया जाता है तब उसके बाद अत्यधिक मात्रा में करंट बाहर से आए और फ्यूज में से जाने लगे तो फ्यूज की तार टूट जाती है अत्यधिक गर्म होकर । किसी तार में अत्यधिक मात्रा में वोल्टेज और करंट प्रवाहित करने से तार अत्यधिक गर्म होकर टूट जाती है, यही तो फ्यूज का काम होता है ।
बाहर से बिजली कम मात्रा में आ जाने से वो फ्यूज के माध्यम से आसानी से प्रवाहित हो जाती है लेकिन फ्यूज की क्षमता से अधिक बिजली प्रवाहित नहीं हो पाती और प्रवाहित करने को कोशिश करेंगे तो फ्यूज में से करंट आगे नहीं जायेगा उसी वक्त खराब हो जाता है यानी की फ्यूज की तार टूट जाती है । ऐसा भी देखने को मिलता है की जब लगातार फ्यूज में से करंट प्रवाहित किया जाता है तो भी तार धीरे-धीरे से गर्म होने लगती है अगर हल्का सा भी वोल्टेज ऊपर चला जाए तो, परंतु करंट तो आगे की तरफ कम ही जायेगा फ्यूज की तार की मोटाई के हिसाब से ।
लेकिन बाहर से आने वाली बिजली कभी कांस्टेंट नहीं मिलती कभी बढ़ती है तो कभी कम होती है । बिजली बढ़ कर जब फ्यूज में से प्रवाहित होता है तब फ्यूज बड़ी हुई बिजली को आगे जाने नहीं देता लेकिन बड़ी हुई बिजली की मात्रा से फ्यूज धीरे-धीरे गर्म होने लगता है और आखिर में फ्यूज की तार पिघल या बीच में टूट जाती । बार-बार फ्यूज को फिट करना भी बड़ी परेशानी होती है तो इसी से बचने के लिए बढ़िया मैटेरियल से फ्यूज बनाया जाता है जिससे फ्यूज अत्यधिक गर्मी को सहन करने के बाद बार बार खराब नहीं होता ।
Types of Fuse in Hindi | Fuse के प्रकार :
Fuse के प्रकार इतने सारे की आप उलझन में पड़ जायेंगे, इसीलिए मैं नीचे Fuse के प्रकार के बारे में ज्यादा बारीकी में नहीं जाऊंगा । Fuse के प्रकार नीचे की तरफ इस तरह है :
- Cartridge फ्यूज
- लिंक टाइप कार्ट्रिज फ्यूज
- D टाइप कार्ट्रिज फ्यूज
- ब्लेड टाइप
- बोल्टड टाइप फ्यूज
- HRC फ्यूज
- Cartridge टाइप फ्यूज
- Expulsion टाइप HRC फ्यूज
- लिक्विड टाइप HRC फ्यूज
- NH टाइप HRC फ्यूज
- DIN टाइप HRC फ्यूज
- ब्लेड टाइप HRC फ्यूज
- Kit-Kat फ्यूज
- राउंड फ्यूज
- ऑटोमोटिव फ्यूज
- striker टाइप फ्यूज
- ड्रॉप आउट फ्यूज
- स्विच टाइप फ्यूज
- SMD फ्यूज
- चिप फ्यूज
- लीड फ्यूज
- Axial फ्यूज
- Resettable फ्यूज
- थर्मल फ्यूज
- Cartridge फ्यूज :
कार्ट्रीज फ्यूज को टोटल enclosed फ्यूज के नाम से भी जाना जाता है । Cartridge फ्यूज ऐसे फ्यूज होते हैं जिसकी बाहरी बॉडी कांच की बनी होती है और उसके अंदर तार एक सिरे से निकलकर दूसरे सिरे तक जाती है । फ्यूज के दाईं और बाईं तरफ मेटल की छोटी सी टोपी लगाई जाती है ताकि बीच में तार को आपस में जोड़ा जा सके ।
Cartridge फ्यूज के अंदर सिर्फ सिंगल तार ही होता है इसके अलावा और कुछ भी नहीं होता बल्कि हवा ही होती है । Cartridge फ्यूज जो चारों तरफ से बंद होता है जिसकी वजह से अगर इसकी अंदर की तार टूट जाए तो इसे दुबारा से तार को डाला नहीं जा सकता, फ्यूज को फेंकना ही पड़ता है । कार्ट्रिज फ्यूज की रेंज 0.5 एम्पीयर से लेकर तकरीबन 30 एंपीयर तक की होती है जो आकार में काफी छोटा होता है ।
Cartridge फ्यूज के प्रकार
Cartridge फ्यूज के प्रकार भी आगे कई हैं जिसकी कैपेसिटी में ही अंतर होता है लेकिन सभी फ्यूज का काम एक जैसा ही होता है, Cartridge फ्यूज के प्रकार हेत दिए अनुसार है :
- लिंक टाइप कार्ट्रिज फ्यूज
- D टाइप कार्ट्रिज फ्यूज
- ब्लेड टाइप
- बोल्टड टाइप फ्यूज
- HRC फ्यूज :
HRC फ्यूज जिसका पूरा नाम है हाई Rupturing कैपेसिटी फ्यूज भी कहा जाता है और यह भी कांच का ही बना होता है जो थोड़ा सा कार्ट्रिज फ्यूज की तरह ही दिखाई देता है, जैसे की इसकी ऊपरी बॉडी कांच की बनी होनी । लेकिन इसके अंदर सिंगल तार के अलावा चीनी मिट्टी या सिरेमिक पाउडर डाला जाता है ताकि फ्यूज के अंदर बनने वाली चिंगारी को कम किया जा सके । अगर फ्यूज की तार उड़ जाती है जैसे की फ्यूज सड़ जाता है तो इसके अंदर का सफेद पाउडर का रंग काला हो जाता है जिससे हमें ये पता चल जाता है की फ्यूज सड़ चुका है या खराब हो चुका है ।
HRC फ्यूज को दुबारा से ठीक नहीं किया जा सकता जैसे की तार की चेंज करके नई तार डालना । HRC फ्यूज की अधिकतम रेंज तकरीबन 800 एम्पीयर तक की होती है जिसकी वजह से इसका उपयोग में हाई एम्पीयर वाले सर्किट में ही किया जाता है ।
HRC फ्यूज के प्रकार
HRC फ्यूज के प्रकार भी आगे कई हैं जिसकी कैपेसिटी में ही अंतर होता है लेकिन सभी फ्यूज का काम एक जैसा ही होता है, HRC फ्यूज के प्रकार हेठ दिए अनुसार है :
- Expulsion टाइप HRC फ्यूज
- लिक्विड टाइप HRC फ्यूज
- NH टाइप HRC फ्यूज
- DIN टाइप HRC फ्यूज
- ब्लेड टाइप HRC फ्यूज
- Kit-kat फ्यूज या रिवायरेबल फ्यूज :
Kit-kat फ्यूज जिसे रिवायरबेल फ्यूज या सेमी enclosed फ्यूज के नाम से भी जाना जाता है । अक्सर इसे रिवायरेबल फ्यूज इसीलिए कहते हैं क्योंकि इस फ्यूज की तार को हम खुद से चेंज भी कर सकते हैं । इस रिवायरेबल फ्यूज का इस्तेमाल अधिकतर ऐसी जगहों में किया जाता है जहां पर हाई वोल्टेज या हाई एम्पीयर का विधुत ना बहता हो जैसे की घरों में और छोटी छोटी इंडस्ट्रियों में इसका उपयोग कर लिया जाता है ।
रिवायरेबल फ्यूज की तार अगर किसी कारण से टूट भी जाती है जैसे की हाई वोल्टेज आने से फ्यूज की तार का सड़ना, तब इसी तार को है निकालकर उसकी जगह पर दूसरी नई फ्यूज की तार को लगा सकते हैं ।
रिवायरेबल फ्यूज का वह हिस्सा जो बिजली मीटर के पास दीवार से लगा होता है उसे फ्यूज बेस कहते हैं, जबकि इसका दूसरा हिस्सा जिसे फ्यूज करियर कहते हैं । फ्यूज कैरियर को हम खुद से निकाल सकते हैं, उसके अंदर की जली हुई तार को निकालकर उसकी जगह पर नई तार डालकर, इसी फ्यूज कैरियर को फ्यूज बेस में फिट कर सकते हैं वो भी चलती हुई बिजली सप्लाई में ।
रिवायरेबल फ्यूज की रेंज 5 एम्पीयर से लेकर 15 एम्पीयर तक की होती है जिसकी बाहरी बॉडी चीनी मिट्टी की बनी होती है । एक बार खरीदने के बाद, इस फ्यूज के जल जाने के बाद इसे दुबारा से खरीदना नहीं पड़ता बल्कि इसकी सिर्फ फ्यूज तार को ही बदलने की जरूरत पड़ती है जिसकी कीमत काफी ज्यादा कम होती है ।
- राउंड या गोल फ्यूज :
राउंड फ्यूज जो आकार में गोल होते हैं जिसका उपयोग किया जाता है इलेक्ट्रॉनिक के उपकरणों के अंदर सर्किट को बचाने के लिए । राउंड फ्यूज के अंदर का आकार होता कुछ ऐसा है कि इसके अंदर तार सीधी एक सिरे से दूसरी सिरे तक नहीं जाती बल्कि घूमती हुई जाती है और इसके ऊपरी सिरे में छोटा सा छेद भी देखने को मिल जाता है ताकि इसके अंदर बनने वाली हिट या गैस बाहर निकल से । राउंड फ्यूज बना होता है बेकलाइट और पोर्सलेन पदार्थ से,जिसे PCB बोर्ड में ही अधिकतर फिट किया जाता है ।
राउंड फ्यूज की तार अगर सड़ जाये तो हम इसे बदल तो सकते हैं लेकिन काफी सतर्क होकर बदलना पड़ता है क्योंकि इसका फ्यूज का एक सिरा हमेशा फेज से जुड़ा रहता है इसीलिए । जबकि रिवायरेबल फ्यूज की तार को हम डाल सकते हैं फ्यूज की बॉडी को निकालकर, जिससे करंट लगने का खतरा काफी कम होता है ।
- ऑटोमोटिव फ्यूज :
ऑटोमोटिव फ्यूज जिसका इस्तेमाल किसी उपकरणों के अंदर नहीं बल्कि वहिक्लों के अंदर ही किया जाता है । ऑटोमोटिव फ्यूज, इसके अंदर भी पतली सी तार होती है जो रोकती है वेहिकल के अंदर लगे पार्ट्स को सड़ने से रोकने के लिए, जैसे की व्हीकल के अंदर अगर कोई तार जुड़ जाए या शोर्ट सर्किट हो जाए तो इस फ्यूज के अंदर लगी तार अत्यधिक गर्म होकर टूट जाती जिससे व्हीकल के अंदर का सर्किट सुरक्षित रहता है । इस तरह के फ्यूज कम करंट रेटिंग के उपर आधारित होते हैं ।
फ्यूज किस करंट पर काम करते हैं :
फ्यूज काम करते हैं DC करंट या AC करंट पर । अलग अलग तरह के फ्यूज बनाए गए हैं जिसमें कुछ फ्यूज के कुछ प्रकार ऐसे हैं जो DC करंट पर चलते हैं जबकि कुछ फ्यूज चलते हैं AC करंट पर ।
फ्यूज का तार किसका बना होता है :
फ्यूज का तार बना होता है लीड, जिंक और टीन पदार्थों से । हाई विधुत के लिए तांबा, एल्यूमीनियम, सीसा, एंटी मनी, चांदी, जस्ता जैसे पदार्थों का भी उपयोग कर लिया जाता है । इन तीनों पदार्थों से फ्यूज की तार बनाई जाए तो फ्यूज की तार अत्यधिक गर्मी को भी सहन कर लेती है । जिससे बार-बार फ्यूज बदलने का झंझट कम हो जाता है ।
वैसे अक्सर मैंने देखा है की कुछ लोग घर में पड़ी हुई साधारण सी तार को फ्यूज की तरह लगा देते हैं, उसके लगने से काम तो चल जाता है लेकिन बार-बार तार टूटने का डर होता है और ऐसा हमें बार-बार करना पड़ेगा । इस साधारण सी तार की जिंदगी ज्यादा दिनों तक की नहीं होती जबकि अच्छी क्वालिटी से बनी हुई फ्यूज ही कई समय तक साथ देते हैं । इसीलिए आपको फ्यूज मार्किट से ही खरीदना चाहिए ।
Fuse कहां पर लगाया जाता है :
फ्यूज कहां पर लगाया जाता है था निर्भर करता है उसके उपयोग और आकार के ऊपर । घरों के उपकरणों को हाई वोल्टेज और एम्पीयर के करंट से बचाने के लिए रिवायरेबल फ्यूज जिसे बिजली मीटर के पास लगाया जाता है । उपकरणों के अंदर लगे सभी पार्ट्स को बचाने के लिए उसके अंदर फ्यूज लगाए जाते हैं लेकिन प्रकार दूसरा होता है ना की रिवायरेबल फ्यूज ।
फ्यूज की रेटिंग :
फ्यूज की रेटिंग लिखी होती है फ्यूज के ऊपर ही, जैसे की 200VA । VA का मतलब होता है वोल्टेज और एम्पीयर । अगर 10 वोल्ट और 5 एम्पीयर वाला फ्यूज है तो उसकी va वैल्यू 50 दिखाई जाएगी इसके लेबल पर ।
फ्यूज की कैपेसिटी या रेटिंग किससे बढ़ती है :
फ्यूज की रेटिंग या कैपेसिटी निर्भर करती है उसके अंदर की तार की लम्बाई और मोटाई के ऊपर । मोटाई के हिसाब से ही फ्यूज को रेटिंग दी जाती है और उससे ही पता चलता है की फ्यूज कितना विधुत झेल सकता है ।
Fuse के फायदे :
- सर्किट में हाई विधुत जाने से रोकता है फ्यूज ।
- इलेक्ट्रिक फ्यूज की वजह से सर्किट पूरा खराब होने से बच जाता है ।
- इलेक्ट्रिक फ्यूज की वजह से सर्किट में होने वाले नुकसान होने का खतरा काफी कम हो जाता है ।
- शोर्ट सर्किट होने से बचाता है इलेक्ट्रिक फ्यूज ।
- इलेक्ट्रिक फ्यूज काफी सस्ते होते हैं ।
- कुछ इलेक्ट्रिक फ्यूज के प्रकार ऐसे होते हैं जिसे बदलना आसान होता है ।
- फ्यूज बिना आवाज किये सर्किट को बंद करके प्रोटेक्शन देता है ।
- फ्यूज से किसी तरह की कोई भी गैस उत्पन्न नहीं होती ।
- सर्किट या मशीनों में पड़ने वाले अत्यधिक लोड पड़ने से रोकता है फ्यूज ।
- फ्यूज, जिसे बार-बार रिपेयर करवाने की जरूरत नहीं पड़ती ।
Fuse के नुकसान :
- घटिया क्वालिटी के Fuse जल्दी से उड़ जाते हैं जिसे बार-बार बदलने की जरूरत पड़ती है ।
- कुछ सर्किट में बार-बार खराबी आ जाने से फ्यूज बार-बार उड़ता है, जिससे बार-बार फ्यूज बदलने की जरूरत पड़ जाती है ।
- फ्यूज के सड़ने या उड़ने से हल्का सा धुआं (गैस) उत्पन्न होता है ।
Fuse के बारे में मेरी राय :
मुझे पूरा विश्वास है की आपको “fuse क्या है” के बारे में, “fuse कैसे काम करता है” के बारे में और “fuse के प्रकार” के बारे में, फ्यूज के फायदे और Fuse के नुकसान के बारे में काफी कुछ विस्तार से पता चल गया होगा । इसके अलावा और भी हमने कुछ सवालों का जिक्र भी कर दिया है ताकि आपको कुछ सवालों के जवाब मिल सके, जैसे की फ्यूज की रेटिंग, फ्यूज कहाँ लगाते हैं इत्यादि ।