मच्छर किसे ज्यादा काटते हैं

मच्छर किसे ज्यादा काटते हैं, यह सवाल उन्हीं लोगों के मन में सबसे ज्यादा आता है जिन्हें मच्छर ज्यादा ही काटते रहते हैं । ऐसा तब होता है जब परिवार में किसी एक बंदे को ज्यादा मच्छर काट रहे हैं बाकियों को छोड़कर । परिवार में किसी एक बंदे को ज्यादा मच्छर काटने लगे तब वह इन्सान जानना चाहता है कि मच्छर किसे ज्यादा काटते हैं । क्योंकि उस इंसान को जानने का होता है कि मच्छर इतने ज्यादा उसे क्यों काटते हैं जबकि बाकि को उतने काटते नहीं ।

हालांकि यह जानना गलत होगा कि मच्छर किसे ज्यादा काटते हैं क्योंकि मच्छर तो इन्सान को ही सबसे ज्यादा काटते हैं और इन्सान को लेकर ही बात हो रही होती है । चलिए जानिए विस्तारपूर्वक ढंग के साथ किस इन्सान को मच्छर काटते हैं सबसे ज्यादा ।

मच्छर किसे ज्यादा काटते हैं
मच्छर किसे ज्यादा काटते हैं

मच्छर उन्हीं लोगों को सबसे ज्यादा काटता है जिसके खून का मेटाबॉलिक रेट ज्यादा होता है और जिनकी त्वचा का कार्बोक्सिल एसिड लेवल ज्यादा होता है । यह दो कारण बनते हैं मुख्य कारण बनते हैं इन्सान को मच्छर काटने के । इनमें से सबसे मुख्य खून ही शामिल होते है क्योंकि मच्छर उसी लोगों का खून पीते हैं जो उसे पसंद होता है ।

सबसे पहले खून की बात करें तो जैसा आपने जाना कि जिस इन्सान के खून में मेटाबॉलिक रेट ज्यादा होता है उसी को मच्छर ज्यादा काटते हैं । मेटाबॉलिक रेट तो सबसे ज्यादा “O” ब्लड ग्रुप में ही होता है । इसका मतलब जिस इन्सान का ब्लड ग्रुप “O” होता है, उन्हीं को मच्छर ज्यादा काटते हैं । रिसर्च में पाया गया है कि मच्छरों ज्यादातर “O” ब्लड ग्रुप की तरफ ही ज्यादा आकर्षित होते हैं यानि उन्हें “O” ब्लड ग्रुप ही पसंद होता है ।

वहीँ दूसरी तरफ रिसर्च के मुताबिक यह भी पता चला है कि “A” ब्लड ग्रुप के इन्सान को भी ज्यादा मच्छर काटते हैं, लेकिन “O” ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में कम । “O” ब्लड ग्रुप में मौजूद मेटाबॉलिक रेट ज्यादा होना ही मच्छरों के काटने का सबसे मुख्य कारण बनता है । यानी “A” के मुकाबले “O” ब्लड ग्रुप जिस इन्सान का है उसी को मच्छर ज्यादा काटे जाने की सम्भावना होती है और ऐसा होता भी है ।

इसके बाद उन लोगों को भी मच्छर ज्यादा काटते हैं जिनकी त्वचा में कार्बोक्सिल एसिड लेवल ज्यादा होता है । त्वचा में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जहाँ से पसीना बहर निकलता है । उसी छिद्र से पसीना जब बाहर आता है तब साथ में कार्बोक्सिल एसिड भी बाहर आने लगता है और इस कार्बोक्सिल एसिड की गंध मच्छरों को आने लगती है । मच्छर तो कार्बोक्सिल एसिड की तरफ आकर्षित तो होते ही हैं । जिसकी वजह से मच्छर कार्बोक्सिल एसिड की तरफ आकर्षित होकर उसी इन्सान का खून चूसते हैं ।

ऐसा बताया जाता है कि इन्सान के शरीर पर लगा पसीना भी मच्छर उसकी तरफ ज्यादा आकर्षित होता है क्योंकि मच्छरों को गंदगी ही पसंद होती है । हमारे शरीर से पसीना जो निकलता है उसमें लैक्टिक एसिड होता है और इसी लैक्टिक एसिड की तरफ मच्छर ज्यादा आकर्षित होते हैं । जिसकी वजह से मच्छर सूखे इन्सान को छोड़ेंगे और ऐसे इन्सान का खून चूसना पसंद करेंगे जिसके शरीर से पसीना निकल रहा हो या लगा हो । मच्छर उन्हीं लोगों को भी ज्यादा काटते हैं जिसकी त्वचा पर गंदगी लगी हो ।

जिस प्रकार इन्सान को कम मीठे वाला दूध पसंद नहीं होता उसी तरह मच्छर को भी ऐसा खून पीना पसंद नहीं होता जिसका मेटाबॉलिक रेट होता है काफी कम । आसपास अगर ऐसा इन्सान ना मिले जिसका मेटाबॉलिक रेट ज्यादा हो तो ऐसे में वह अन्य लोगों का ही खून चूसेगा । लोगों की भीड़ में से अगर ऐसा इन्सान मिले जिसका ब्लड ग्रुप हो “O” यानी जिसके खून का मेटाबॉलिक रेट हो ज्यादा, उस इन्सान का ही खून पीना ज्यादा पसंद करेंगे मच्छर और उसे ही काटेंगे । अब आप अच्छे से जान ही गए होंगे कि मच्छर किसे ज्यादा काटते हैं ।

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