नई टेक्नोलॉजी मार्किट में आई है जोकि स्मार्टफोन के लिए नई है लेकिन कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे डिवाइस के लिए पुरानी ही है । क्योंकि इस टेक्नोलॉजी का उपयोग तो कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे डिवाइस में पहले भी किया जाता है और आज भी किया जा रहा है लेकिन स्मार्टफोन में भी इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसका नाम है वर्चुअल रैम या फिर डायनामिक रैम एक्सपेंशन । दोनों नाम अलग-अलग हैं लेकिन टेक्नोलॉजी एक ही है ।
डायनामिक रैम एक्सपेंशन क्या है :
डायनामिक रैम एक्सपेंशन कोई भी हार्डवेयर पार्ट नहीं है बल्कि यह टेक्नोलॉजी है जोकि एक सॉफ्टवेयर के ऊपर आधारित है । यानी की जिस स्मार्टफोन में रैम अपग्रेड होने का फीचर्स मिलता है उसमें डायनामिक रैम एक्सपेंशन की टेक्नोलॉजी डाली गयी है । हलांकि रैम के अपग्रेड होने से ROM भी कम होती है । जिसके बारे में हम आगे की तरफ बारीकी के साथ बताने वाले हैं ।
virtual ram in hindi |
What is Virtual Ram in hindi | वर्चुअल रैम क्या है :
वर्चुअल रैम का नाम ही सबसे पहले पड़ा यानी की यही टेक्नोलॉजी सबसे पहले आई थी जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर और लैपटॉप के अंदर रैम को अधिक करने के लिए किया जाता है । हलांकि कंप्यूटर और लैपटॉप में रैम अपग्रेड करने के लिए अलग से रैम कार्ड भी लगा सकते हैं लेकिन अगर अलग से रैम कार्ड लगाने के लिए रैम स्लॉट्स फुल हो चुके हैं तो हम वर्चुअल रैम टेक्नोलॉजी की मदद से कंप्यूटर या फिर लैपटॉप की रैम को बढ़ा सकते हैं । हलांकि जिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कंप्यूटर या लैपटॉप की रैम को अपग्रेड करने के लिए किया जाता है उस टेक्नोलॉजी को वर्चुअल रैम कहते हैं जबकि यह टेक्नोलॉजी डायनामिक रैम एक्सपेंशन टेक्नोलॉजी ही कहलाती है ।
Virtual रैम कैसे काम करती है :
वर्चुअल रैम के बारे में हमने आपको बताया है की यह कोई हार्डवेयर पार्ट नहीं बल्कि एक सॉफ्टवेयर या फाइल भी कह सकते हैं जिसका काम होता है स्मार्टफोन या कंप्यूटर के अंदर पड़ी इंटरनल मैमोरी को रैम में बदलना । हलांकि पूरी की पूरी इंटरनल मैमोरी नहीं बल्कि कुछ ही मैमोरी को रैम में बदल पाती है यह टेक्नोलॉजी । ROM को रैम में बदल देने के बाद डिवाइस की रैम तो बढ़ जाती है लेकिन ROM मैमोरी भी उतनी ही कम हो जाती है जितनी रैम को बढ़ाया है कम्पनी ने । जैसे की 64GB ROM और 4GB रैम वाले स्मार्टफोन की रैम को अगर 2GB रैम और बढ़ानी हो खुद से तो रैम तो कुल 6GB तो हो जाएगी लेकिन इंटरनल मैमोरी यानी की ROM की मैमोरी 64GB से कम होकर 62GB रह जाती है । रोम को रैम में बदलने में सबसे बड़ा काम इंटरनल फ़्लैश स्टोरेज का ही होता है और इसी के कारण से ही रैम को बढ़ा सकते हैं । हलांकि आप इतना भी जरूर ध्यान दें की वर्चुअल रैम टेक्नोलॉजी के काम करने का तरीका तो कम्पनी वाली ही अपने हिसाब से बनाती है और इसे कोडिंग के हिसाब से बनाया गया है और उसी के ऊपर ही यह टेक्नोलॉजी काम करती है ।
लेकिन वर्चुअल रैम में बैकग्राउंड में चल रही वही एप्लीकेशन जमा होती है जो एप्लीकेशन को रिफ्रेश करने की जरूरत नहीं होती जैसे की कैलकुलेटर, केलिन्डर इत्यादि । लेकिन यूट्यूब जैसे एप्लीकेशन बार-बार रिफ्रेश होते रहते हैं जिससे ये एप्लीकेशन वर्चुअल रैम में कभी भी जमा नहीं होती और इससे आपको खास फायदा तो नहीं होने वाला है क्योंकि अधिकतर यूजर बहुत सारी एप्लीकेशन को खोलकर काम नहीं करते और एक या दो एप्लीकेशन खोलने के बाद तीसरी एप्लीकेशन तब तक नहीं खोलते जब तक बैकग्राउंड क्लियर ना कर दें ।