Developer ऑप्शन क्या है | Developer आप्शन कैसे ओन करें

Developer ऑप्शन के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में एक-एक करके विस्तार से बताने वाले हैं सभी पॉइंट्स के साथ जैसे की Developer ऑप्शन क्या है, डेवलपर ऑप्शन के फीचर्स, Developer ऑप्शन ऑप्शन कैसे ओन करें और भी बहुत कुछ । डेवलपर ऑप्शन का इस्तेमाल आज के समय में कम ही लोग करते हैं क्योंकि अधिकतर लोगों को इसके बारे में नहीं पता होता और इसका कारण है इस फीचर को स्मार्टफोन के अंदर छुपाकर रखना । तो चलिए जानते हैं डेवलपर ऑप्शन के बारे में आगे की तरफ ।

What is Developer option in hindi | डेवलपर ऑप्शन क्या है :

डेवलपर ऑप्शन सभी स्मार्टफोन के अंदर पाया जाने वाला ऐसा फीचर है जो स्मार्टफोन को कस्टमाइज करने की सुविधा प्रदान करता है । डेवलपर ऑप्शन के फीचर की मदद से हम स्मार्टफोन के अंदर ऐसे काम कर सकते हैं जो काम स्मार्टफोन करने से रोकता है या जल्दी से नहीं कर पाते जैसे की स्मार्टफोन के बैकग्राउंड में कितनी एप्लीकेशन रन हो रही है उसको कण्ट्रोल करना, स्मार्टफोन की पॉवर और स्पीड को बढ़ाना, लोकेशन चेंज करना, रैम, मैमोरी (ROM) और स्मार्टफोन के अंदर हो रहे कभी काम के बारे में जानना इत्यादि । ये सब कुछ आप डेवलपर ऑप्शन के को ओन करके जान सकते हैं जबकि बिना डेवलपर ऑप्शन के आप स्मार्टफोन के अंदर गहराई तक नहीं जा सकता । हलांकि डेवलपर ऑप्शन के अंदर बहुत सारे फीचर हैं जिसके बारे में हमने नीचे की तरफ एक-एक करके बारीकी के साथ समझाया हुआ है ताकि आपको सभी डेवलपर ऑप्शन के अंदर दिखाई जाने वाली सभी सेटिंग्स के बारे में पता चल सके ।

डेवलपर आप्शन कैसे ओन करें :

डेवलपर आप्शन का फीचर आपको आसानी से नहीं दिखने वाला जबकि इसको अलग से एक्टिवेट किया जाता है ताकि डेवलपर आप्शन ओन या ऑफ करने का बटन मिल सके । डेवलपर आप्शन करने की तरीके नीचे की तरफ इस तरह हैं :

Developer ऑप्शन क्या है | Developer आप्शन कैसे ओन करें
Developer option kya hota hai
  1. मोबाइल की सेटिंग्स को खोल लें
  2. इसके बाद सिस्टम मैनेजमेंट पर जाएँ
  3. इसके बाद about फ़ोन आप्शन पर जाएँ
  4. सबसे नीचे सॉफ्टवेयर वर्सन के आप्शन पर बार-बार (तकरीबन 7 बार) क्लिक करते रहें जिसके बाद छोटा सा मैसेज दिखाई दे जिसमें बताया गया होगा की डेवलपर ऑप्शन बन चूका है
  5. इसके बाद सिस्टम मैनेजमेंट पर जाएँ
  6. सबसे नीचे आपको डेवलपर आप्शन दिखेगा उसे ओन कर लें

नोट :

आप ऊपर वाली और नीचे वाली दोनों तस्वीर को देख लो जिससे आपको सही तरीके से पता चल जायेगा की आखिर डेवलपर ऑप्शन कैसे ओन किया जाता है ।

Developer ऑप्शन क्या है | Developer आप्शन कैसे ओन करें
Developer option kaise on kren

Developer option features in hindi | डेवलपर आप्शन के फीचर्स :

अब हम नीचे की तरफ डेवलपर आप्शन के सभी फीचर्स के बारे में विस्तार से बतायेंगे ताकि आप अपने हिसाब से स्मार्टफोन को कस्टमाइज कर सकें । कुछ सेटिंग्स ऐसी होती हैं जिसकी जरूरत हमको नहीं बल्कि स्पेशल लोगों को ही पडती है । डेवलपर आप्शन के फीचर्स इस तरह हैं

  • मैमोरी :

चित्र में दिखाए अनुसार मैमोरी फीचर का इस्तेमाल करके हम ये जान सकते हैं कि कौन सी एप्लीकेशन कितनी रैम यूज कर रही है और फोन का सिस्टम सॉफ्टवेयर कितनी रैम यूज कर रहा है वो भी विस्तार के साथ । इस मैमोरी वाले बटन पर क्लिक करने के बाद सभी जानकारी सामने दिखने लगे जाती है जिसे आप समझ सकते हैं ।

  • टेक बग रिपोर्ट :

इस फीचर का इस्तेमाल तब किया जाता है जब फोन में कुछ प्रॉब्लम खड़ी हो जाती है । तब इस बटन पर क्लिक करके ओन कर लो । जिससे फोन में जब भी कुछ एरर आता है किसी भी प्रकार का तो ये फीचर उस एरर को रिकॉर्ड करके रख लेता है । जिससे आपको ये पता चल जाएगा कि स्मार्टफोन में एरर किस एप्लीकेशन की वजह से हो रहा है ।

  • Stay Awake :

इस फीचर को इनेबल करने से स्मार्टफोन की स्क्रीन कभी बंद नहीं होगी यानी कि हमेशा चलती रहेगी । स्मार्टफोन के अंदर स्क्रीन आपने आप बमद तो हो जाती है लेकिन इसका समय अधिक तकरीबन आधे घण्टे तक का देखने को मिलता है । कई बार काम ऐसा होता है स्मार्टफोन के की स्क्रीन हमेशा चलती रहे तो ऐसे में ये फीचर का इस्तेमाल अधिकतर किया जाता है । हलांकि इस फीचर की जरूरत इतनी नहीं पड़ती ।

  • Running Services :

स्मार्टफोन के अंदर कौन-कौन सी एप्लीकेशन बैकग्राउंड में चल रही हैं उसके बारे में फुल जानकारी आपको इसी फीचर पर क्लिक कर्म के बाद देखने को मिल जाएगी । स्मार्टफोन के अंदर सभी एप्लीकेशन को अगर आप बंद भी कर देते हैं तो भी यहां इस फीचर में वो ऍप्लिकेशन आपको देखने मिलेंगी जो स्मार्टफोन के काम की होती है जिसे बंद करने की जरूरत नहीं है । जिस एप्लीकेशन को आप जानते हैं और यूज करते हैं सिर्फ उसी एप्लीकेशन को ही बंद कर सकते हैं इसके अलावा दूसरी एप्लीकेशन को नहीं ।

  • ऑटोमैटिक सिस्टम अपडेट :

कंपनियां स्मार्टफोन के लिए साल में कई बार अपडेट भेजती रहती है ताकि स्मार्टफोन में प्रोब्लम्स को सॉल्व और नए फीचर्स को जोड़ा जा सके । हलांकि इसके लिए हमको सबसे पहले अलग से नोटिफिकेशन आता है उसके बाद उसे खुद से डाऊनलोड करना और इंस्टॉल करना होता है जिसे करना आसान तो होता है लेकिन अलग से समय देना पड़ता है । स्मार्टफोन अपने आप अपडेट हो जाये और इंस्टाल हो जाये तो इस फीचर को इनेबल कर सकते हैं ।

  • Bug रिपोर्ट शॉर्टकट :

इस फीचर को ऑन करने से नया बटन पॉवर मेन्यू के साथ जुड़ सकता है । जब स्मार्टफोन में आपको कोई बग यानी कि प्रॉब्लम लगती है तब आप इस बटन को दबा सकते हैं जिससे ये फीचर उस प्रॉब्लम का स्क्रीनशॉट ले लेता है ।

  • सेलेक्ट मॉक लोकेशन एप्प :

इस फीचर की मदद से आप स्मार्टफोन की लोकेशन को चेंज कर सकते हैं । हलांकि इस फ़ीचर्स का इस्तेमाल काफी कम मात्रा किया जाता है ।

  • ग्राफ़िक्स ड्राइवर परेफरेंस :

इस फीचर पर क्लिक करने के बाद आप स्मार्टफोन के ग्राफ़िक्स ड्राइवर में कुछ बदलाव कर सकते हैं जिसकी जरूरत हम जैसे साधारण लोगों को नहीं बल्कि ऐसे लोगों को पड़ सकती है जो हैकिंग की दुनिया मे रुचि दिखाते हैं । क्योंकि ग्राफ़िक्स और सॉफ्टवेयर में बदलाव करना तो उन्हीं लोगों को ही आता है जो आसान काम नहीं है क्योंकि इसमें गलती होने पर स्मार्टफोन में नई प्रोब्लम्स आ सकती है इसीलिए इस फीचर के साथ आप कुछ मत करें ।

  • रिफ्रेश रेट :

इस फीचर को इनेबल करने के बाद सबसे ऊपर की तरफ नंबर दिखाए जाते हैं जैसे कि 60 fps, 50 fps 120 fps । स्मार्टफोन को स्क्रीन कितनी बार रिफ्रेश हो रही है एक सेकंड में उसकी वैल्यू दिखाई जाती है । यानी कि जितने ज्यादा नंबर, उतना ही स्मार्टफोन स्मूथ चलता दिखाई देता है । लेकिन ये फीचर तो डिस्प्ले की स्पीड को ही दर्शाता है और इसे इनेबल करने से स्मार्टफोन की स्पीड नहीं बढ़ती ।

  • Allow screen overlays :

एक ही स्क्रीन में एक से अधिक एप्लीकेशन दिखाई देनी चाहिए इसके लिए इस फीचर को इनेबल किया जा सकता है । हलांकि इस फ़ीचर्स की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि इसका काम अधिकतर नहीं होता है ।

  • Wifi स्कैन थ्रोटलिंग :

जब स्मार्टफोन नेटवर्क और wifi के सिग्नल को अच्छी तरह से नहीं पकड़ या रहा है तो आप इस फीचर को ऑन कर सकते हैं । जिससे स्मार्टफोन दूर के wifi के साथ और टॉवर के साथ आसानी से कनेक्ट हो पायेगा । ये फीचर स्मार्टफोन के सिग्नल को बढ़ा देता है ताकि नेटवर्क और wifi सिग्नल अधिक-स्ट्रांग मिले ।

  • Mobile data always active :

स्मार्टफोन के इंटरनेट डेटा ऑन करने की जरूरत ना पड़े जब wifi ऑन हो तब इस फीचर को ऑन कर सकते हैं । ये फीचर स्मार्टफोन के इंटरनेट डेटा को हमेशा चालू ही रखेगा ।

  • Tethering hardware acceleration :

स्मार्टफोन के हार्डवेयर की पॉवर को बढ़ाने के लिए इस फीचर का इस्तेमाल होता है । ऐसे हार्डवेयर पार्ट्स की पॉवर बूस्ट होती है जो नेटवर्क से कनेक्ट करने होते हैं जैसे कि हॉटस्पॉट, wifi, और इंटरनेट सिग्नल का बूस्ट होना ।

  • Show bluetooth devices without name :

ऐसे डिवाइस जो ब्लूएटूथ से कनेक्ट होते हैं अगर उसका कोई नाम ना हो और वे डिवाइस स्मार्टफोन के अंदर दिखे इसके किये इस फीचर को किया जा सकता है ऑन । बिना नाम वाले ब्लूएटूथ डिवाइस स्मार्टफोन के अंदर ब्लूएटूथ फीचर में नहीं दिखते जो ये फीचर उसे दिखाने का काम करता है । लेकिन सिर्फ mac अड्रेससेस के लिए ।

  • Disable absolute volume :

स्मार्टफोन को अगर किसी ब्लूटूथ स्पीकर और रिमोट कंट्रोल स्पीकर से कनेक्ट करते हैं और उस स्पीकर में से अगर आवाज में कोई प्रॉब्लम सुनने को मिले है तो ऐसे में इस फीचर को ऑन कर लेना चाहिए प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी ।

  • Bluetooth devices connected :

आपका स्मार्टफोन अधिक से अधिक कितने ब्लूएटूथ डिवाइस से कनेक्ट होना चाहिए उसकी लिमिट आप इस फीचर से सेट कर सकते हैं । जैसे कि अगर इसमें 5 सेट किया तो आपका स्मार्टफोन एक डिवाइस से लेकर 5 डिवाइस से एक साथ कनेक्ट हो जाएगा लेकिन 6 डिवाइस के साथ नहीं ।

  • Show taps :

इस फीचर को ऑन करने के बाद आप स्मार्टफोन की स्क्रीन के ऊपर जहां-जहाँ पर टच करेंगे एक छोटा सा होल देखने को मिलेगा यानी कि डॉट । जितनी देर टच किया जाता है उतनी ही देर तक स्क्रीन के ऊपर डॉट निशान रहता है । जब आप इसको यूज करेंगे तब आपको पता चल जाएगा । इसका इस्तेमाल अधिकतर यूट्यूब के किये स्क्रीन रिकॉर्डिंग करके वीडियो बनाने के लिए किया जाता है ताकि यूजर को पता चल सके किस पॉइंट में टच किया जा रहा है ।

  • पॉइंटर लोकेशन :

इस फीचर की ऑन करने से जब आप स्क्रीन के उलर उंगली चलाते हैं तो लम्बा सी रंग-बिरंगी लाइन दिखाई देती है । लेकिन ये लाइन तुरंत मिट भी जाती है । इसे फीचर का इस्तेमाल आप कर सकते हैं मनोरंजन करने के किये ।

  • विंडो एनीमेशन स्केल :

इस फीचर पर क्लिक करने के बाद कुछ फीचर और दिखाए जाते हैं जैसे कि ऑफ़, 0.5x, 1x, 2x 3x इत्यादि । आप जो भी फीचर को ओपन करते हैं उस फीचर के खुलने की स्पीड यहां पर ही निर्धारित होती है । जैसे कि अगर आप के 0.5x और उससे कम यानी कि ऑफ़ कर दिया तो । ऑप्शन या फीचर के खुलने की स्पीड बढ़ जाती है यानी कि जल्दी से फीचर और ऑप्शन खुल जाते हैं । अगर इसको 4x पर सेट कर दिया तो फीचर और ऑप्शन धीरे-धीरे खुलेंगे ।

  • ट्रांजीशन एनीमेशन स्केल :

इस फीचर लो इनेबल करने से आप जिस भी एप्लीकेशन को इधर-उधर करते हैं, एक एप्लीकेशन से दूसरे एप्लीकेशन में जाते हैं तो उसकी स्पीड इस फीचर में निर्धारित होती है जिसे आप अपने हिसाब से आजमाकर देख सकते हैं । 

  • एनिमेटर स्केल :

बैकग्राउंड में चल रहे एप्लीकेशन को को जब आप हटाते हैं तो उसके हटने की स्पीड और एनीमेशन की स्पीड इसी फीचर ओर निर्भर होती है जिसे आप कम या ज्यादा करके सेट कर सकते हैं ।

  • फ़ोर्स 4× MSAA :

इस फीचर को ऑन करने से स्मार्टफोन के प्रोसेसर की स्पीड 4 गुना तक बढ़ जाती है जोकि इस डेवलपर ऑप्शन में सबसे अधिक मात्रा में इस्तेमाल में लाया जाने वाला फीचर है । इस फीचर की जरूरत तब पड़ती है जब स्मार्टफोन हैंग हो रहा हो, स्पीड कम हो गयी हो और गेम्स स्मूथ ना चलती हो । इन सब काम में प्रॉब्लम ना हो इसके लिए इस फीचर को कर लेना चाहिए ऑन । लेकिन इस फीचर के ऑन हो जाने से प्रोसेसर की जिंदगी कम हो जाती है जिससे स्मार्टफोन लंबे समय (जैसे कि 1 साल, 2 साल,3 साल इत्यादि) तक साथ नहीं दे पाता ।

  • HW overlays :

इस फीचर को ऑन करने से प्रोसेसर के अंदर पाया जाने वाला GPU काम करने लगता है जैसे कि टेक्स्ट दिखाना, इमेज दिखाना, वीडियो दिखाना इत्यादि । इससे प्रोसेसर पर पड़ने वाला बोझ कम हो जाता है क्योंकि जब इस फीचर को इनेबल ना किया जाए तो ये सब काम CPU ही करता है तब GPU पर बोझ कम पड़ता है । हलांकि इस फीचर को इनेबल करने से स्मार्टफोन की स्पीड मामूली सी बढ़ जाती है जिसे महसूस करना काफी मुश्किल है ।

  • Don’t keep activities :

इस फीचर को इनेबल करने से जब आप किसी एप्लीकेशन के अंदर जाकर उसपर काम करके वापिस से बाहर आ जाते हैं बिना एप्लीकेशन बंद किये । तब वापिस जब आप उसी एप्लीकेशन को जिसे आपने बंद नहीं किया उसको जब आप खोलते हैं तब वे एप्लीकेशन दुबारा से खुलती है यानी कि एप्लीकेशन उसी जगह से नहीं खुलेगी जहां तक आपने उसे चलाकर छोड़ दिया था ।

  • बैकग्राउंड प्रोसेसर लिमिट :

इस फीचर पर क्लिक करने के बाद ये सेट कर सकते हैं कि बैकग्राउंड में कितनों के बाद एप्लीकेशन नहीं चलनी चाहिए । जैसे कि अगर आपने इस फीचर पर 2 सेलेक्ट किया तो जब आप तीन एप्लीकेशन खोलकर रखेंगे तो उसमें से 2 ही एप्लीकेशन बैकग्राउंड में काम करेगी जबकि बाकी की जितनी भी एप्लीकेशन आपने खोली है वे बंद ही रहेगी जिससे प्रोसेसर पर बोझ नहीं पड़ेगा । अगर आपने 1 सेलेक्ट किया और एप्लीकेशन 3 खोल ली तो उसमें से 1 ही एप्लीकेशन बैकग्राउंड में काम करती रहेगी बाकी की नहीं । कितनी एप्लीकेशन के खुलने के बाद आपकी एप्लीकेशन काम बंद होनी चाहिए अपने आप वो सेट करने इसी फीचर में है ।

  • बैकग्राउंड चेक :

स्मार्टफोन के बैकग्राउंड में कौन-कौन सी एप्लीकेशन काम कर रही है उसके बारे मस जानकारी आपको इस फीचर पर क्लिक करने के बाद मिल जाएगी । हलांकि इस फीचर ओर क्लिक करने के बाद आप ऐसी एप्लीकेशन को बंद ना करें जिसके बारे में आप नहीं जानते । ऐसा करना से स्मार्टफोन बंद हो सकता है लेकिन खराब नहीं होगा और दुबारा चल भी जाता है ।

  • USB debugging :

इस ऑप्शन का इस्तेमाल स्मार्टफोन के अंदर किया जाता है स्मार्टफोन के अंदर पड़े सॉफ्टवेयर में बदलाव करने और डिलीट ना होने वाली एप्लीकेशन को हाईड करना यानी कि छुपाना ताकि वे एप्लीकेशन बैकग्राउंड में चल कर स्पीड कम ना करे । जैसे कि स्मार्टफोन के अंदर कुछ एप्लीकेशन ऐसी होती हैं जिसे डिलीट करने का ऑप्शन नहीं दिया जाता यूजर को जबकि उस एप्लीकेशन की जरूरत तो तकरीबन हमें पड़ती नहीं । बस यही एप्लीकेशन जो हमारे सामने ना दिखे इसके लिए इस फीचर को ऑन करके स्मार्टफोन को कंप्यूटर से कनेक्ट करके किसी भी एप्लीकेशन को छुपाया जा सकता है लेकिन ये एप्लीकेशन अगर एक बार छुप जाए तो ये वापिस तब तक दिखाई नहीं देती जबतक फोन को रिसेट ना किया जाए । रिसेट करने के बाद ये एप्लीकेशन वापिस से आ जाती है । हलांकि डिलीट ना होने वाली एप्लीकेशन डिलीट भी हो जाती है लेकिन उसके लिए फोन को रुट करना पड़ जाता है जो स्मार्टफोन के लिए फायदा भी है और नुकसान भी ।

  • डेस्कटॉप बैकअप पासवर्ड :

स्मार्टफोन का डेटा कंप्यूटर या लैपटॉप में भेजना काफी आसान सा होता है । दूसरा आदमी आपका डेटा स्मार्टफोन से कंप्यूटर और लैपटॉप की मदद से ना निकाल पाए इसके लिए इस फीचर की मदद से आप नया पासवर्ड बना सकते हैं जिससे डेटा बिना पासवर्ड डाले कंप्यूटर या लैपटॉप में नहीं जा पायेगा । इससे स्मार्टफोन के अंदर पड़ा डेटा सुरक्षित रहता है ।

डेवलपर ऑप्शन फोन के अंदर छुपाकर क्यों रखा जाता है :

डेवलपर ऑप्शन कोई भी हार्डवेयर पार्ट नहीं बल्कि यह सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया फीचर है और इसे स्मार्टफोन के अंदर छुपाकर रखा जाता है आपसे ताकि स्मार्टफोन लम्बे से लम्बे समय तक चलने लायक रहे । डेवलपर ऑप्शन को स्मार्टफोन के अंदर पहले से दिखाई नहीं देता बल्कि अलग से एक्टिवेट करना होता है इस फीचर को । डेवलपर ऑप्शन के ओन हो जाने से स्मार्टफोन की जिन्दगी कम हो जाती है इसीलिए इस सेटिंग्स को छुपाकर रखा जाता है आपसे । जैसे की अधिकतर लोग डेवलपर ऑप्शन का इस्तेमाल इसीलिए करते हैं ताकि स्मार्टफोन के अंदर लगे प्रोसेसर की पॉवर और स्पीड को बढ़ाया जा सके और प्रोसेसर-GPU के होने वाले काम दूसरी तरफ शिफ्ट किया जा सके । ऐसे जुगाड़ तो भारत में ही होते हैं जिसके कारण फायदा तो बहुत देखने को मिलता है लेकिन स्मार्टफोन की जिन्दगी कम हो जाती है । डेवलपर ऑप्शन से अगर आप स्मार्टफोन की स्पीड-पॉवर को नहीं बढ़ाते हैं, इसके आलावा कुछ और ही सेटिंग्स में बदलाव करते हैं तो इसका असर स्मार्टफोन की जिन्दगी पर नहीं पड़ता ।

जरूरी सुचना :

डेवलपर ऑप्शन के ओन हो जाने से स्मार्टफोन की वारंटी और गारंटी खत्म हो जाती है इसीलिए इस फीचर को गारंटी के अंदर ओन मत करना चाहे तो उसके बाद कर सकते हैं ।

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