Battery के प्रकार | Types of battery in hindi

पहले के समय में सिर्फ एक ही बैटरी होती थी और उसी को उपयोग में लाया जाता था लेकिन उसमें कम स्टोरेज होने के कारण और उसे दुबारा से चार्ज नहीं किया जा सकता था इसीलिए आज के समय में कई बैटरियां आ चुकी हैं जिसको हम बार-बार इस्तेमाल करके उसे दुबारा से भी चार्ज कर सकते हैं । अलग-अलग बैटरियों की अपनी खासियतें भी होती हैं और कमियां भी तो चलिये जानते हैं बैटरी के प्रकार

Types of battery in hindi
Types of battery in hindi

 

Different types of battery in hindi | बैटरी के प्रकार :

बैटरी के प्रकार वैसे देखा जाए तो दो हैं प्राइमरी बैटरी और सेकेंडरी बैटरी । लेकिन उसके भी आगे प्रकार की हैं जैसे की ट्यूबलर बैटरी, लीड एसिड बैटरी, ड्राई बैटरी, अल्पाइन बैटरी , लायन बैटरी इत्यादि :

प्राइमरी बैटरी :

सबसे पहले यही बैटरी बनायी गयी थी । इस बैटरी में पहले से ही करंट होता है उसको यूज़ करने का बाद जब करंट यानि की विधुत खत्म ही जाता है तब इसमें से दोबारा विधुत को स्टोर नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह बैटरी रिचार्जेबल बैटरी नहीं । रिचार्जेबल बैटरी वह होती है जिसको हम इस्तेमाल करने के बाद भी दुबारा से करंट को जमा करके रख सकते हैं जो की इस प्रकार की बैटरी में रखा नहीं जा सकता । इसके भी कई प्रकार हैं जो की इस प्रकार हैं :

  • Alpine battery
  • Zinc air battery
What is primary battery in hindi
What is primary battery in hindi

प्राइमरी बैटरी का उपयोग :

ये बैटरी काफी ज्यादा सस्ती होती हैं लेकिन इसमें ज्यादा पॉवर भी नहीं होती इसीलिए इसका उपयोग अधिकतर ऐसे उपकरणों को चलाने के लिए ही किया जाता है जो उपकरण बहुत ही कम बिजली की खपत करते हैं और उन उपकरणों के नाम जो की इस प्रकार हैं :

  • घड़ी
  • रिमोट
  • छोटे खिलौने

ये सभी उपकरण जो की बहुत ही कम करंट पर चलते हैं इसीलिए इसी प्रकार की बैटरी को उपयोग में लाया जाता है ।

प्राइमरी बैटरी के फायदे :

  1. बहुत ही कम कीमत में उपलब्ध ।
  2. इसे बनाने में आसानी ।

प्राइमरी बैटरी के नुकसान :

  1. इस बैटरी में को बार-बार चार्ज नहीं किया जा सकता ।
  2. एक बार इस बैटरी में करंट खत्म हो जाने के बाद इसे फेंकना ही पड़ता है ।
  3. जितनी बार बैटरी खाली होती जायेगी उतनी ही बार इस बैटरी को खरीदना पड़ता है जिससे यह बैटरी लम्बे समय तक देखें तो काफी महँगी पड़ जाती है ।
  4. पॉवर यानि की करंट का बहुत ही कम होना ।
  5. बार-बार खरीदने से कचरे में बढ़ोतरी हो जाती है ।
  6. इसको कम ही लोग खरीदते हैं ।

ड्राई बैटरी :

यह बैटरी एक सेल ही होती है जिसका इस्तेमाल हम अधिकतर घड़ियों को या रिमोट को चलाने के लिए करते हैं । इस बैटरी का आकार काफी छोटा होता है । इसे अल्पाइन बैटरी के नाम से भी जाना जाता है । इस बैटरी का वोल्टेज और पॉवर काफी कम होता है जिससे इसका इसतेमाल बड़े उपकरणों में नहीं किया जाता ।

सेकंडरी बैटरी :

जिस बैटरी में करंट के खत्म हो जाने के बाद भी उसमे दुबारा से करंट भरे जाने की क्षमता हो उसे सेकेंडरी बैटरी कहते हैं । स्मार्टफोन, लैपटॉप और भी कई उपकरणों में इसी बैटरी का उपयोग किया जाता है । जिससे बैटरी चाहे जितनी मर्जी बार खाली हो या करो उसे दुबारा से चार्ज किया जा सकता है । इसे रिचार्जेबल बैटरी के नाम से जाना जाता है ।

  • लीड एसिड बैटरी :

इस बैटरी के अंदर एसिड को डाला जाता है तभी यह काम करती है । यानि की दो प्लेटों के बीच जगह खाली होती है और इसी जगह पर एसिड होने से एक प्लेट से दूसरी प्लेट में गुज़रने लगते हैं इलेक्ट्रॉन्स तभी बैटरी काम करती है । इस बैटरी की खासियत यही है की यह एक साथ अधिक मात्रा में विधुत देने में सक्ष्म होती हैं । इसका उपयोग ऐसे जगह में किया जाता है जहां एक ही समय में बहुत अधिक मात्रा में करंट की आवश्यकता हो । पॉवरफुल मोटर का उपयोग किया जाता है इंजन को चलाने के किये जैसे की गाड़ियों में, बाइक्स में इत्यादि । इन सब में इंजन को चलाने के लिए पॉवरफुल मोटर की जरूरत होती है और वही मोटर को चाहिए होता है अधिक करंट तभी इस प्रकार की बैटरी को लाया जाता है उपयोग में । जबकि इस बैटरी की कीमत अधिक होती है ।

  • ट्यूबलर बैटरी :

हमारे घरों में जो हम इन्वर्टर बैटरी लगाते हैं उस बैटरी को ट्यूबलर बैटरी कहते हैं वैसे इसमें भी एसिड होता है लेकिन कम मात्रा में और इसके आलावा इसमें डाला जाता है पानी । जैसे-जैसे बैटरी काम करती है वैसे-वैसे इसमें भरा पानी खत्म या सूखता जाता है जिससे पानी की मात्रा कम हो जाने के बाद दुबारा इसमें खुद डालना होता है पानी को । लेकिन इस बैटरी का वजन बाकि बैटरियों से सबसे अधिक होता है । इसी बैटरी को ही लीड एसिड बैटरी भी कहते हैं ।

  • लायन बैटरी :

लायन बैटरी का पूरा नाम है लिथियम आयन बैटरी । जिस बैटरी में ना ही पानी का प्रयोग किया जाता है और ना ही किसी एसिड का बल्कि जिस बैटरी में पाउडर का उपयोग किया जाता है उसे लिथियम आयन बैटरी कहते हैं । इस बैटरी का वजन सभी बैटरियों से कम होता है क्योंकि इसमें डाला हुआ पाउडर का वजन काफी कम होता है और इसे बाहरी तरफ ऐलुमिनियम की पतली चादर से ढका जाता है । इसका अधिकतर उपयोग किया जाता है लैपटॉप के अंदर और स्मार्टफोन के अंदर डिवाइस को चलाने के लिए ।

  • लिथियम पॉलीमर बैटरी :

यह बैटरी को उपवोट किया जाता है ड्रोन और हेलीकॉप्टर जैसे खिलौनों में । जो उपकरण उड़ने वाले होते हैं उसमें कम वजन की बैटरी का उपयोग किया जाता है ।

What is lithium polymer battery in hindi
What is lithium polymer battery in hindi

अगर इसकी खासियत की बात करें तो इस बैटरी का वजन सबसे कम और पॉवर सबसे अधिक होती है इसीलिए इसका उपयोग हल्के उड़ने वाले उपकरणों में किया जाता है ।

सेकंडरी बैटरी का उपयोग :

सेकंडरी बैटरी का उपयोग ऐसे उपकरणों में किया जाता है जहां बार-बार करंट की जरूरत होती है तब इसे लाया जाता है उपयोग में । जैसे कि उड़ने वाले खिलौने और  बड़े खिलौने इत्यादि । क्योंकि इसे बार-बार इस्तेमाल करने से अगर बैटरी में जमा करंट खत्म भी हो जाता है उसके बाद भी इसे दुबारा से चार्ज किया जा सकता है ।

सेकंडरी बैटरी के फायदे :

  1. बैटरी के खाली हो जाने के बाद भी इसे दुबारा से चार्ज किया जा सकता है ।
  2. अधिक पॉवर ।
  3. अधिक वोल्टेज देने में सक्षम ।
  4. अधिक स्टोरेज क्षमता ।
  5. बार-बार चार्ज करने में सुविधा ।

सेकंडरी बैटरी के नुकसान :

  1. इसकी कीमत अधिक होती है ।

कैसे पता करें की बैटरी रिचार्जेबल है या नॉन रिचार्जेबल :

अगर आपको पता नहीं की कैसे पता करें की बैटरी दुबारा से चार्ज होने वाली है या यह बैटरी रिचार्जेबल बैटरी है की नहीं इसका पता हम बैटरी के ऊपर लगे प्रिंट या लेबल की मदद से कर सकते हैं । बैटरी बाहरी तरफ लेबल की तरफ लिखा होता है रिचार्जेबल बैटरी या नॉन रिचार्जेबल बैटरी । इनमें से एक नाम ही लिखा होता है ।

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