इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं सोलर बैटरी के बारे में जैसे की सोलर बैटरी क्या है, सोलर बैटरी कैसे काम करती है, कहाँ-कहाँ पर इसका उपयोग किया जाता है और इसके अंदर के पार्ट्स के बारे में । वैसे जरूरी नहीं है की सोलर बैटरी का सिर्फ उसी वक्त किया जाता है जब सोलर पैनल लगाना हो और इसके बारे में भी हम नीचे की तरफ एक-एक करके बताने वाले हैं ।
What is Solar Battery in hindi | सोलर बैटरी क्या है :
सोलर बैटरी सबसे बेस्ट लीड एसिड बैटरी मानी जाती है क्योंकि इसके अंदर एसिड डाला जाता है इसीलिए । अगर आप जेल बैटरी नहीं खरीद सकते है तो आप सोलर बैटरी की तरफ भी जा सकते हैं क्योंकि सोलर बैटरी की जिन्दगी भी जेल बैटरी जितनी ही देखने को मिलती है जबकि कीमत उससे थोड़ी सी कम देखने को मिलती है । सोलर बैटरी का नाम क्यों रखा गया है और क्यों इस बैटरी का निर्माण किया गया है तो चलिए जानते हैं । होता ऐसा है अगर आपने बिजली का कनेक्शन नहीं लिया हुआ है अपने घर के लिए और सोलर पैनल अगर आपने घर में लगाया हुआ है तो सोलर पैनल फ्री में बिजली देता रहेगा तब तक जितनी देर तक गर्मी उस पर पडती है यानी की सूरज की गर्मी उस पर पड़ती है लेकिन शाम के वक्त सूरज डूब जाता है और धुप भी चली जाती है जिससे सोलर पैनल शाम के वक्त या रात को फ्री में बिजली नहीं बना पाता है । रात के समय हम बैटरी की मदद से उपकरण चला सकते हैं लेकिन बैटरी रात को डिस्चार्ज होती है और सुबह सोलर पैनल की मदद से चार्ज होती है और ऐसा रोज-रोज होना होता है । अगर ट्यूबलर बैटरी को लगाते हैं तो तकरीबन 3 साल ही ट्यूबलर बैटरी चलेगी, फ्लैट प्लेट बैटरी चलेगी तकरीबन 2 साल यानी कम चलती है क्योंकि बैटरी रोज-रोज यूज होती है इसीलिए । बैटरी रोज-रोज यूज करने के बाद भी बैटरी लम्बे समय तक चले इसके लिए बनाया गया है सोलर बैटरी जिसका बार-बार इस्तेमाल करने से भी काफी साल काम करने में सक्षम होती है ।
What is Solar Battery in hindi |
कहने का मतलब यह है की सोलर बैटरी का रोज-रोज इस्तेमाल करने के बाद भी कई साल तक काम करती रहती है जिसकी वजह से सोलर बैटरी की जिन्दगी 5 साल से भी अधिक तक की देखने को मिलती है । सोलर बैटरी का इस्तेमाल हम तब कर सकते हैं जब हम सोलर पैनल घर में लगवा रहे हैं तो क्योंकि सुबह तो सोलर पैनल से बैटरी चार्ज होगी और रात को डिस्चार्ज होगी और ऐसा रोज रोज करने से बैटरी की जिन्दगी कम ना हो इसीलिए । अगर आपने सोलर पैनल नहीं भी लगाया हुआ है तो भी आप सोलर बैटरी को खरीद सकते हैं क्योंकि एक बार लगाने के बाद आपको जल्दी से बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है । यानी की सोलर बैटरी की जिन्दगी तकरीबन 10 साल तक की होती है ।
Parts of Solar Battery in hindi | सोलर बैटरी के पार्ट्स :
सोलर बैटरी के अंदर कई सारे पार्ट्स देखने को मिल जाते हैं जिसके बारे में हम एक-एक करके विस्तार से समझाने वाले हैं ताकि आप अच्छी तरह से समझ सके जोकि इस प्रकार है :
- प्लेट्स :
सोलर बैटरी के अंदर प्लेट्स काफी बैटरी के अंदर लगी प्लेट्स की तुलना में अधिक मोटी होती है इसी कारण से इसकी प्लेट्स जल्दी से खराब नहीं होती यानी की गलती नहीं है । सोलर बैटरी के अंदर प्लेट्स बहुत साड़ी लगाई जाती हैं जिसमें से एक प्लेट पॉजिटिव और दूसरी प्लेट नेगेटिव होती है । पॉजिटिव प्लेट लीड डाइऑक्साइड की बनी होती है और नेगेटिव प्लेट बनी होती है लीड पदार्थ से ही । इन दोनों प्लेट्स को शुरुआत में ट्यूब जैसा आकार दिया जाता है जिसको बाद में सभी को आपस में जोड़कर सबसे ऊपर की तरफ इन्हें मेटल की मदद से जोड़ दिया जाता है । इसके बाद नीचे की तरफ प्लास्टिक के बने कैप की मदद से सभी ट्यूब को टिकाया जाता है । इसके आबाद इनके ऊपर ही एक्टिव पदार्थ डाला जाता है जोकि लीड डाइऑक्साइड का ही बना होता है जिसके बाद इनका आकार एक प्लेट् जैसा देखने को मिलता है और उनका रंग ब्राउन जैसा देखने को मिलता है ।
Parts of Solar Battery in hindi |
नेगेटिव प्लेट लीड पदार्थ की बनी होती है जिसको सबसे पहले ट्यूब जैसा आकार देने के बाद आपस में जोड़कर उसके बाद इसके आसपास एक्टिव पदार्थ डालकर ढका जाता है लेकिन एक्टिव पदार्थ इनमें लीड का ही बना होता है ।
- सेपरेटर :
सेपरेटर बना होता है प्लास्टिक का और इसको बनाया गया है इसीलिए ताकि पॉजिटिव और नेगेटिव प्लेट्स आपस में जुड़ ना सके अगर जुड़ जाए तो प्लेट्स खराब हो जाएँगी और बैटरी खराब हो जाएगी । सेपरेटर का कोई भी स्पेशल काम नहीं होता बल्कि इसके पॉजिटिव और नेगेटिव प्लेट के बीच में रखा जाता है प्लेट्स को आपस से दूर रखने के लिए । लेकिन अधिक दूर नहीं रखा जाता है क्योंकि पॉजिटिव और नेगेटिव प्लेट्स को आपस में जितना अधिक दूर रखते हैं तो बिजली भी उतनी ही कम बनती है ।
- कंटेनर :
कंटेनर बहुत ही हार्ड प्लास्टिक का बना होता है । कंटेनर के अंदर की तरफ 6 खाने बनाये जाते हैं और उसी के अंदर ही कई सारी प्लेट्स को आपस में जोड़कर एक सेल का रूप देकर उसे सभी खाने में एक-एक करके रखा जाता है । सभी खाने में रखी गयी प्लेट्स से बनने वाला वोल्टेज 2 होता है और 6 खाने से से बनने वाला वोल्टेज कुल 12 हो जाता है और इतना ही वोल्टेज हमें चाहिए होता है ।
- सल्फयूरिक एसिड :
वैसे प्लेट्स को कंटेनर के अंदर रखा तो जाता है लेकिन इसके बाद इसके अंदर सल्फयूरिक एसिड भी डालना होता है तभी तो सोलर बैटरी काम करती है । लेकिन सल्फयूरिक एसिड को पानी के साथ मिलाकर ही सोलर बैटरी के अंदर डाला जाता है सिर्फ सल्फयूरिक एसिड ही इसके अंदर नहीं डाला जाता । आप इतना भी याद रखें की सल्फयूरिक एसिड और पानी का मिश्रण सोलर बैटरी के लगातार उपयोग होने से यही मिश्रण खत्म होता रहता है और इसीलिए पानी कुछ-कुछ महीने बाद इसके अंदर डालना भी पड़ता है ताकि पानी की कमी ना हो सोलर बैटरी के अंदर ।
- फ्लोट इंडिकेटर :
सोलर बैटरी के अंदर पानी कितना रह गया इसके बारे में तो फ्लोट इंडिकेटर की मदद से पता चल पाता है । फ्लोट इंडिकेटर के अंदर की तरफ पतली सी लीड बनी होती है जोकि पानी के अधिक और कम होने पर ऊपर या नीचे होती है । वैसे इसमें सल्फयूरिक एसिड आपको नहीं डालना है जोकि पहले से कम्पनी डालकर भेजती है बल्कि आपने सिर्फ पानी डालना होगा जैसे-जैसे सोलर बैटरी का उपयोग होता रहता है तब ।
सोलर बैटरी कैसे काम करती है :
सोलरबैटरी एक साधारण बैटरी की तुलना में अलग ही तरीके से काम करती है । सोलरबैटरी के अंदर सल्फयूरिक एसिड और पानी का मिश्रण होता है जोकि सोलर बैटरी के चार्ज या डिस्चार्ज होने पर इन्हीं एसिड पर हमें कुछ ना कुछ असर देखने को मिलता है । जैसेकी सोलर बैटरी जब डिस्चार्ज होने लगती है तब सल्फयूरिक एसिड दोनों प्लेट्स प्लेट्स के साथ जाकर जमा होने लगता है और पूरी तरह से डिस्चार्ज होने पर सल्फयूरिक एसिड दोनों प्लेट्स के पास जाकर एकत्रित रहता है । जैसे–जैसे सोलर बैटरी चार्ज होने लगती है वैसे–वैसे सल्फयूरिक एसिड वापिस पानी के साथ मिलने लगता है और फुल चार्ज होने पर पूरा का पूरा सल्फयूरिक एसिड प्लेट से हटकर पानी के साथ ही मिल जाता है । सोलरबैटरी के चार्ज और डिस्चार्ज होने पर सल्फयूरिक एसिड में यही कुछ देखने को मिलता है हमें । सल्फयूरिक एसिडके बार–बार प्लेट्स की तरफ जाने से ही प्लेट्स खराब होने लगती है धीरे–धीरे ।
Solar Battery working in hindi |
सोलर बैटरी के अंदर की प्लेट्स में ही बिजली जमा होती है और एसिड की मदद से एक प्लेट से लेकर दूसरी तरफ जाती है । सोलर बैटरी के अंदर लगी पॉजिटिव प्लेट्स और नेगेटिव प्लेट्स में इलेक्ट्रॉन्स और करंट होता है जोकि एक प्लेट्स से दूसरी प्लेट्स में जाता है लेकिन जाता है तभी जब सोलर बैटरी को चार्ज और डिस्चार्ज किया जाता है । जैसे की सोलर बैटरी के फुल चार्ज होने पर इलेक्ट्रॉन्स नेगेटिव प्लेट्स में जमा हो जाते हैं और करंट पॉजिटिव प्लेट्स में जाकर जमा हो जाता है । करंट और इलेक्ट्रॉन्स दोनों अलग-अलग प्लेट्स में जमा हो जाते हैं । सोलर बैटरी के डिस्चार्ज होते वक्त करंट वापिस जाकर नेगेटिव प्लेट में जमा होने लगते हैं और इलेक्ट्रॉन्स पॉजिटिव प्लेट्स में जमा होने लगते हैं धीरे-धीरे । लेकिन सोलर बैटरी के फुल डिस्चार्ज होने पर पॉजिटिव प्लेट में केवल इलेक्ट्रॉन्स भरे होते हैं और नेगेटिव प्लेट में केवल करंट ही जमा होता है जिसका मतलब यह हुआ है की सोलर बैटरी की पूरी तरह से खाली हो चुकी है ।
सोलर बैटरी की वारंटी कितनी होती है :
सोलर बैटरी की वारंटी कम से लेकर अधिक तक की आती है और उसी वारंटी से हमें पता चलता है की सोलर बैटरी की जिन्दगी कितनी है ।
- सोलर बैटरी 36 महीने की वारंटी के साथ
- सोलर बैटरी 60 महीने की वारंटी के साथ
- सोलर बैटरी 75 महीने की वारंटी के साथ
तीन वारंटी के साथ आती है सोलर बैटरी और इसकी जिन्दगी कम से लेकर अधिक तक की देखने को मिलती है लेकिन वारंटी की वजह से । जैसे की 36 महीने की वारंटी के साथ आने वाली सोलर बैटरी लगातार 3 साल काम कर सकती है अगर इसका लगातार उपयोग किया जाये तो । तो सोलर बैटरी का ही होता है और ऐसे में आपको तकरीबन हर 2 साल बाद सोलर बैटरी को बदलवाना होगा क्योंकि धीरे-धीरे इसकी जिन्दगी भी खत्म होने लगती है । अगर आप सोलर बैटरी खरीदने चाहते हैं तो आप अधिक से अधिक वारंटी वाला सोलर बैटरी खरीदें जो 75 महीने की वारंटी के साथ आता है और 75 महीने चलने में सक्षम होती हैं । ताकि आपको जल्दी से सोलर बैटरी बदलवाने की जरूरत ना पड़े । कीमत में अंतर होता है लेकिन तकरीबन 2000 हजार रूपए का ही इसीलिए अधिक से अधिक वारंटी वाला सोलर बैटरी खरीदें ।
क्या सोलर बैटरी का इस्तेमाल सिर्फ सोलर पैनल के लिए किया जाता है :
सोलर पैनल लगवाओ या ना लगवाओ तो भी आप सोलर बैटरी का इस्तेमाल कर सकते हैं । सोलर पैनल ना होने पर अगर आप सोलर बैटरी लगवाते हैं तो आपको फायदा यह होगा की यह सोलर बैटरी 10 साल से भी लम्बे समय तक काम कर पायेगी जबकि साधारण ट्यूबलर बैटरी इतने लम्बे समय तक नहीं चल पाती । इसीलिए अगर आप ऐसी बैटरी चाहते हैं जिसकी जिन्दगी कम से कम हो और कीमत भी कम हो तो आपके लिए सबसे बेस्ट बैटरी सोलर बैटरी ही है ।
Use of Solar Battery in hindi | सोलर बैटरी के उपयोग :
सोलर बैटरी का उपयोग किया जाता है तब इन्वर्टर बैटरी का उपयोग बहुत अधिक हो जैसे की रोज-रोज यानी की प्रतिदिन । तब फ्लैट प्लेट बैटरी और ट्यूबलर बैटरी के अलावा सोलर बैटरी एकदम बेस्ट रहती है जिसका लगातार उपयोग करने पर भी लम्बे समय तक उपयोग में लाया जाता सकता है क्योंकि सोलर बैटरी की जिन्दगी सबसे लम्बी होती है । जबकि फ्लैट प्लेट और ट्यूबलर बैटरी का लगातार उपयोग करने के बाद भी लम्बे समय तक नहीं चल पाएगी यानी की 5 साल से ही कम समय तक चलेगी । जबकि सोलर बैटरी 5 साल से भी ज्यादा समय तक चलती है ।
Features of Solar Battery in hindi | सोलर बैटरी के फीचर्स :
- जल्दी से चार्ज होना
- अधिक विधुत देने में सक्षम
- 10 साल तक काम करने में सक्षम
- चार्जिंग और डिस्चार्जिंग साईकल अधिक मिलना
- अधिक टेम्परेचर सहन करने में सक्षम
- फ्रीक्वेंट ( बार-बार ) चार्ज और डिस्चार्ज होने में सक्षम
सोलर बैटरी के फायदे :
- फ्लैट बैटरी और ट्यूबलर बैटरी की तुलना में सोलर बैटरी की जिन्दगी सबसे अधिक होती है ।
- सोलर बैटरी जल्दी से चार्ज हो जाती है ।
- सोलर बैटरी की जिन्दगी सबसे अधिक होती है ।
- सोलर बैटरी का उपयोग प्रतिदिन किया जा सकता है ।
सोलर बैटरी की कमियां :
- फ्लैट प्लेट और ट्यूबलर बैटरी की तुलना में सोलर बैटरी की कीमत होती है अधिक ।
- सोलर बैटरी में कुछ-कुछ महीने बाद बार-बार पानी डालना पड़ता है ।
- सोलर बैटरी के चार्ज और डिस्चार्ज होने पर बैटरी से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाता है ।
नोट :